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Vishwanath Corridor: विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के साथ शुरू होगा मेगा शो, यूपी विधानसभा का एजेंडा काशी से होगा तय

अभिषेक कुमार झा, वाराणसी
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के शिलान्यास पर कहा था कि ये शिलान्यास बाबा विश्वनाथ की मुक्ति का पर्व है। साथ ही पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर पूर्व की सरकारों का सहयोग मिलता तो आज वो लोकार्पण कर रहे होते।

8 मार्च 2019 को शिलान्यास के बाद दो साल के भीतर ही अब पीएम मोदी का महत्वाकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (kashi vishwanath corridor) तैयार हो चुका है। खरमास शुरू होने के ठीक पहले 13 दिसंबर को पीएम मोदी विश्वनाथ कॉरिडोर को लोकार्पित करेंगे। यूपी विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav) के ठीक पहले उद्घाटन पर इसे एक सियासी चश्मे के तौर पर देखा जा रहा है। उद्घाटन के साथ ही पीएम मोदी विकास के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अपने एजेंडे का भी साफ संदेश देंगे।

अधिग्रहण से लेकर निर्माण तक करीब 600 करोड़ हुए हैं खर्च
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए मंदिर के आसपास की करीब 40 हज़ार वर्गमीटर क्षेत्र का अधिग्रहण किया गया। मंदिर परिसर के आसपास सघन आबादी को विस्थापित करना सबसे बड़ी समस्या थी। इसके लिए करीब 260 भवन स्वामियों के साथ-साथ इनमें रहने वाले किरायेदारों को मुआवजा राशि दी गई। कॉरिडोर निर्माण के लिए अधिग्रहण में करीब दो वर्ष का समय लगा। अधिग्रहण के बाद पुराने मंदिरों के संरक्षण का बड़ा मुद्दा था। अधिग्रहण के बाद कई पुराने मंदिर और विग्रहों का पता चला। करीब 125 छोटे-बड़े मंदिर और विग्रहों को इस कॉरिडोर में एक श्रृंखला के तौर पर स्थापित किया गया है। इस कॉरिडोर के निर्माण में अधिग्रहण और निर्माण पर करीब 600 करोड़ की राशि खर्च हुई है। पूरे परिसर का क्षेत्रफल करीब 55 हज़ार वर्गमीटर में फैला हुआ है।

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11 अर्चकों के साथ पीएम मोदी करेंगे पूजन अर्चन
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री और काशी हिंदू विश्वविद्यालय प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि पीएम मोदी 13 दिसंबर को 11 अर्चकों के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक और पूजन अर्चन करेंगे। इतना ही नहीं इस भव्य आयोजन के लिए सभी बारह द्वादश ज्योतिर्लिंग के अर्चक को न्योता दिया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन पर चारों पीठ के पीठाधीश्वर और धर्माचार्य भी उपस्थित रहेंगे। इसका जिम्मा अखिल भारतीय संत समिति के ऊपर है। 245 वर्षों के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया है। इससे पूर्व अहिल्याबाई ने मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य कराया था, लेकिन उस वक्त भी महज मंदिर के गर्भ गृह और उसके आसपास ही निर्माण हुआ था, लेकिन इस बार पीएम मोदी ने 2014 में जो संकल्प लिया था, उसकी सिद्धि अब पूरी हो रही है।

विकास के साथ धर्म और अध्यात्म
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड का डिफेंस कॉरिडोर के साथ ज़ेवर एयरपोर्ट की सौगात देकर पीएम मोदी और योगी का संदेश बेहद साफ है कि विकास के मुद्दे पर उनकी दोनों सरकारें बेहद संजीदा हैं। वहीं विंध्याचल कॉरिडोर, राम मंदिर के बाद अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर एक दूसरा राजनीतिक सन्देश भी पूरी तरह से साफ है कि उनकी सरकार अपनी धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित करने में भी पीछे नहीं है। कॉरिडोर लोकार्पण के साथ ही पीएम मोदी मंदिर चौक पर ही बने मंच से भक्तों से सीधा संवाद करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले शिलान्यास और अब यूपी विधानसभा चुनाव के पहले लोकार्पण कर पीएम मोदी एकदम सीधा और सपाट सन्देश देंगे कि उनकी सरकार विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे पर भी सतत सक्रिय है।

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3 दिनों तक होगा पीएम का काशी प्रवास
कॉरिडोर के उद्घाटन के साथ ही काशी में कार्यक्रमों की पूरी एक श्रृंखला शुरू होगी। कॉरिडोर उद्घाटन के समय कुम्भ का नज़ारा काशी में देखने को मिलेगा। उद्घाटन के लिए सभी पीठाधीश्वर, द्वादश ज्योतिर्लिंग के अर्चक मौजूद रहेंगे। इसके ठीक बाद 15 दिसम्बर को सभी बीजेपी और उनके समर्थित राज्यों के मुख्यमंत्री काशी में रहेंगे। इन सभी मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम की मुलाकात भी होगी। इसके बाद 14 जनवरी तक उद्यमी, शिक्षाविद्, वास्तुविद्, सोशल मीडिया इंफ्लून्सर , पर्यावरणविद्, देश के सभी प्रमुख मीडिया समूह के संपादकों, ब्लॉगर, टूर ऑपरेटर, विभिन्न देशों के पर्यटन और संस्कृति मंत्री, ओडीओपी के लाभार्थी, इंजीनियर, डॉक्टर लोग अलग-अलग दिनों में काशी में इकट्ठा होकर सरकार के कामकाज और नीतियो पर मंथन करेंगे।