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Jewar Airport: ना मुआवजा मिला, ना आवास… छप्पर डालकर रहने को मजबूर जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले किसान

ग्रेटर नोएडा
एक दिन बाद गुरुवार 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौतमबुद्धनगर के जेवर में बन रहे देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट का शिलान्यास करने पहुंच रहे हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। अधिकारियों से लेकर नेताओं और मंत्रियों के दौरे तेज हो चुके हैं। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें मुआवजा तक नहीं मिला और वे घर टूटने के बाद सर्दी के मौसम में तंबू गाड़कर रहने को मजबूर हैं।

देश के सबसे बड़े जेवर इंटरनैशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए कई गांवों को शिफ्ट किया गया है। बताया जा रहा है कि एयरपोर्ट के क्षेत्र में आने वाले करीब 6 गांवों को सेक्टर की तर्ज पर डिवलेप कर करीब 3 हजार परिवारों को शिफ्ट किया गया। यमुना अथॉरिटी की तरफ से सेक्टर में बिजली, पानी, सड़कें आदि की व्यवस्था करनी हैं।

सेक्टर बताकर जिस जगह पर इन विस्थापित परिवारों को शिफ्ट किया गया, वहां मकानों की दीवारों में दरारें आ गई हैं। आरोप है कि अभी तक बिजली, पानी और शौचालय आदि की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। अभी तक सेक्टर में बिजली, पानी समेत अन्य सुविधाएं नहीं है। उन्होंने बताया कि हल्की बारिश से सेक्टर में बनाई गई सड़कें टूट गई हैं, जिसकी वजह से जगह-जगह जलभराव हो गया है।

अधूरी तैयारियों के बीच ही प्रशासन और यमुना अथॉरिटी ने किसानों के आशियाने को उजाड़ दिया है। रोही, नंगला शरीफ सहित अन्य गांवों के लोगों की जमीन एयरपोर्ट के लिए ली गई। अब तक कई परिवार ऐसे हैं, जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है। सैकड़ों किसान परिवार गृहस्थी और जानवरों के साथ बीते कुछ सालों से तंबू बांधकर रहने को मजबूर हैं।

जिस जगह पर पीएम मोदी का कार्यक्रम होना है, वहां से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर इन गांवों के विस्थापित रह रहे हैं। आरोप है कि मुआवजा मिला भी है तो पूरा नहीं मिला है। इसको लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका भी डाली गई है।

फाइल फोटो