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UP Election 2022: मैनपुरी में आज महिलाएं और युवा बताएंगे चुनावी मुद्दे, सवालों के घेरे में होंगे नेता

मैनपुरी में महाराजा तेज सिंह चौहान का किला है। यहां राजा का महल और गढ़ी पर्यटन का मुख्य केंद्र है। मैनपुरी को पूरी दुनिया में सारस क्रेन के लिए भी जाना जाता है। इस छोटे से जिले का राजनीतिक महत्व भी काफी अधिक है। इसलिए क्योंकि यहां से हमेशा से समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार के सदस्य ही जीत हासिल करते आए हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में यहां की चार में से तीन सीटों पर सपा के ही प्रत्याशियों को जीत मिली थी। एक पर भाजपा के उम्मीदवार ने चुनाव जीता था।

13 लाख वोटर्स वाले इस जिले में अब पांच साल बाद यानी अगले साल फिर से विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यहां की राजनीति फिर से गर्म होने लगी है। कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मसलन क्या भाजपा सरकार यहां के लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरी है? भाजपा ने यहां के लोगों को क्या खास दिया, जो समाजवादी पार्टी ने लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद नहीं दिया। यहां आम लोगों के लिए चुनाव में मुद्दे क्या होंगे? युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सरकार की किन फैसलों से खुश हैं और किनसे नाराज? इन सवालों का जवाब जानने के लिए आज ‘ का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ मैनपुरी पहुंचेगा।

चाय पर चर्चा से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में महिलाओं, युवाओं और प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत होगी। आप भी ‘ के इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दों को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप वोट करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते

अब तक इन जिलों में हुआ कार्यक्रम
अब तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ‘ यह कार्यक्रम हो चुका है। गाजियाबाद से शुरू हुआ ‘सत्ता का संग्राम’ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज होते हुए इटावा पहुंच चुका है। अब अगला पड़ाव मैनपुरी  है।

‘सत्ता का संग्राम’ में क्या होगा खास?
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। महिलाओं-युवाओं से संवाद होगा और राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे।आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।

विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था
‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़े कार्यक्रमों में जमीनी स्तर पर हिस्सा लेने वाले दर्शकों और श्रोताओं के लिए विशेष प्रोत्साहन की भी व्यवस्था की गई है।