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मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की बड़ी सफलता, 10 महीने में 32.9 लाख लोगों को मिला रोजगार

कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश में लॉकडाउन के कारण औद्योगिक सेक्टर काफी प्रभावित हुआ। खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के बंद होने से लाखों लोगों को अपना रोजगार खोना पड़ा। ऐसे मुश्किल समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने लोगों की आजीविका की चिंता करते हुए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की शुरुआत की। यह योजना नौकरी गंवा चुके और बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हुई है।

इस योजना ने पिछले 10 महीने में 32.9 लाख (करीब 3.29 मिलियन) रोजगार का सृजन कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कुल सृजित नौकरियों में 28.8 लाख (2.88 मिलियन) नए कर्मचारी शामिल हैं, जबकि 4.1 लाख (0.41 मिलियन) दोबारा नियोजित लाभार्थी हैं। इस बात की जानकारी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से मिली है। गौरतलब है कि आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के माध्यम से सरकार का 58.5 लाख रोजगार सृजन करने का लक्ष्य है।

हालांकि, शुरुआत में इस योजना को 1 अक्टूबर, 2020 से 30 जून, 2021 के लिए बनाया गया था, लेकिन महामारी की दूसरी लहर के दौरान 31 मार्च, 2022 तक इसका विस्तार कर दिया गया था। नौकरी पाने और देने वालों को बड़ी राहत, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत मोदी सरकार 1000 कर्मचारियों को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठान में नई नौकरी पाने वाले और नई नौकरी देने वाले, दोनों को भविष्य निधि (पीएफ) पर 12-12 प्रतिशत की सब्सिडी देती है।

योजना के तहत मोदी सरकार 1 अक्टूबर, 2020 और 31 मार्च, 2022 के बीच दो साल के लिए क्षतिपूर्ति दे रही है। गरीब कल्याण के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार, इस योजना के तहत उन कर्मचारियों को चुना गया, जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है। यह मोदी सरकार के गरीब कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस योजना की शर्त यह है कि कर्मचारी 1 अक्टूबर, 2020 से काम कर रहा हो और ईपीएफओ के साथ रजिस्टर्ड हो। इसके अलावा कर्मचारियों के पास यूएएन नंबर होना भी अनिवार्य है।

इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिकतम 50 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कम से कम दो नए कर्मचारियों की भर्ती करनी होंगी, जबकि जिन प्रतिष्ठानों में 50 से अधिक कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम पांच नई भर्तियां करनी होंगी। यह योजना पुनः नए रोजगार के अवसर प्रदान करने और नौकरी देने वाले संस्थानों को भी प्रोत्साहित करने में सफल रही है।