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SP-SBSP Alliance News: ‘लखनऊ में आकर सभी रथ मिल जाएंगे’, मोदी-योगी के ‘पूर्वांचल प्लान’ को कितनी चोट देंगे अखिलेश-राजभर?

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने ओवैसी, बीजेपी से होते हुए फिलहाल अपनी गाड़ी समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के दरवाजे लगा दी है। राजभर की अखिलेश के साथ इस मुलाकात से सियासी पंडितों में मंथन शुरू हो गया है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का मौसम पास आने के साथ ही राजनीतिक समीकरण बनने-बिगड़ने शुरू हो गए हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने ओवैसी, बीजेपी से होते हुए फिलहाल अपनी गाड़ी समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के दरवाजे लगा दी है। राजभर की अखिलेश के साथ इस मुलाकात से सियासी पंडितों में मंथन शुरू हो गया है।

पूर्वांचल के करीब 25 से 27 सीटों पर प्रभाव रखने वाले राजभर ने बयान दिया है कि उत्तर प्रदेश की सारी सड़कें लखनऊ में मिलती हैं, ऐसे में भले अभी रथ अलग-अलग होंगे, लेकिन सभी के रथ लखनऊ में आकर मिल जाएंगे। एक तरीके से अखिलेश यादव और शिवपाल यादव पर इशारों में बयान दिया है। दोनों की दोस्ती के संकेत दिए हैं। 27 अक्टूबर को मऊ में राजभर की रैली है। उसी में सीट बंटवारे की बात भी साफ हो सकती है।
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अखिलेश और राजभर की इस मुलाकात पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने कहा, ‘ओमप्रकाश राजभर अभी किसी भरोसे वाली स्थिति में नहीं है। वह कई लोगों के साथ मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन अगर साथ में चुनाव लड़ते हैं तो अखिलेश को फायदा निश्चित तौर पर मिलेगा। पूर्वांचल और तराई की सीटों पर राजभर का प्रभाव है।’

वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने कहा, ‘कई बार विधानसभा चुनाव में हजार- 2 हजार वोट के मार्जिन से भी हार-जीत तय हो जाती है। राजभर के साथ आने से अखिलेश को फायदा होगा। पूर्वांचल के जिलों में अखिलेश और पश्चिमी यूपी में जयंत चौधरी के साथ आने से अखिलेश फायदे की स्थिति में रहेंगे।’

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शिवपाल साथ आएंगे या नहीं?
शिवपाल के साथ आने की संभावना पर रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं, ‘ऐसा लगता तो है कि शिवपाल बाद में साथ आ सकते हैं। अखिलेश के साथ सीटों की शेयरिंग पर बात होने पर साथ आने की संभावना है।’ वहीं शरत प्रधान शिवपाल और अखिलेश के साथ आने की बात को खारिज करते हैं।

शरत प्रधान ने कहा, ‘शिवपाल के बारे में धारणा बनती है कि वह मोदी के प्रभाव और दबाव में हैं। शिवपाल चुनाव में अखिलेश के साथ आने के लिए बेचैन नजर आते हैं। उन्हें यह तक कहना पड़ रहा है कि साथ नहीं आने से अखिलेश को नुकसान होगा। लेकिन जमीन पर ऐसी बात नजर नहीं आती।’

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BJP को कितना नुकसान?
बीजेपी को सीटों का नुकसान कितना होगा, इसको लेकर प्रधान कहते हैं कि कुछ कहना मुश्किल है। क्योंकि कई सारे फैक्टर मायने रखते हैं। जनता ने कोरोना काल भी देखा है। महंगाई और नौकरियों को लेकर भी असंतोष का भाव है। अब इन सारी बातों को कवरअप करने के लिए बीजेपी भी कई दांव चलेगी। और अभी चुनाव के लिए 2-3 महीनों के समय में भी काफी चीजें बदल सकती हैं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा कार्यकाल अगले साल मार्च में समाप्त होना है। इस साल दिसंबर में चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है और जनवरी-फरवरी महीने में पांच से सात चरणों में चुनाव हो सकता है। 403 सीटों की विधानसभा में से अभी 312 बीजेपी सीटों के साथ सत्ता में काबिज है। समाजवादी पार्टी के पास 47 सीटें हैं। पिछले चुनाव में सुभासपा ने बीजेपी के साथ गठबंधन में 8 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 पर जीत दर्ज की।