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गोंडवाना समाज समन्वय समिति एवं सर्व आदिवासी समाज जिला कोंडागांव के तत्वाधान में अन्याय के खिलाफ जनसैलाब उमड़ा।

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कोंडागांव जिला में गोंडवाना समाज समन्वय समिति एवं सर्व आदिवासी समाज जिला कोंडागांव के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय आमसभा एवं महारैली में आदिवासी आक्रोशित होकर कई हजारों की संख्या में जनसैलाब उमड़ा और पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों के अतिरिक्त निवासरत बस्तरिया मूलनिवासियों पर बस्तर में निवासरत असामाजिक लोगों के द्वारा दिन प्रतिदिन- मारपीट, हत्या, बलात्कार, शोषण, अन्याय, लूटपाट और अत्याचार के विरोध में जिले के गोंडवाना समाज के लोग कई हजारों की संख्या में शामिल हुआ। सर्वप्रथम कार्यक्रम को प्रारंभ करते हुए कोंडागांव जिला के गोंडवाना समाज समन्वय समिति के जिला एवं ब्लॉक पदाधिकारी, सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी, आदिवासी युवा छात्र संगठन के संभाग एवं जिला पदाधिकारी, अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के जिला प्रमुख, बौद्ध समाज के समाज प्रमुख मंचासीन होने के बाद सभी समाज प्रमुखों के द्वारा रानी दुर्गावती, बस्तर महानायक वीर गुंडाधुर, डॉ.भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र पर सेवा अर्जी किया गया। चौपाटी मैदान नारों से गुंज उठा- गांव व्यवस्था में बाहरी आक्रमण, बंद करो, बंद करो। मावा नाटे, मावा राज। बस्तर के सांसद, विधायक होश में आओ, होश में आओ, बस्तर के चयनित प्रतिनिधि, संविधान पढ़ो, संविधान पढ़ो। पांँचवी अनुसूची क्षेत्र के अधिकारी, संविधान पढ़ो, संविधान पढ़ो। आदिवासियों के साथ अन्याय करना, बंद करो, बंद करो, मूलनिवासी एकता, जिन्दाबाद, जिन्दाबाद। इस तरह के कई नारों से कोंडागांव गुंजा। उसके पश्चात समाज प्रमुखों के द्वारा आमसभा को बारी- बारी से संबोधित किया गया, जिसमें गोंडवाना समाज समन्वय समिति संभागीय कार्यकारिणी सदस्य तिरूमाल महेश नाग ने अपने वक्तव्य में कहा कि गोंडवाना समाज अपने परंपरागत रूढ़ी व प्रथा, मूल संस्कृति और जन्म, विवाह, मृत्यु संस्कार के नेंग नियम की बात करता है, इस संस्कृति से पूरे विश्व में हमारी अलग पहचान है। गांव व्यवस्था एवं पेन व्यवस्था में हम लोगों के साथ परंपरागत निवासरत बारह बानी बिरादरी समुदाय (अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति वर्ग) की अहम भूमिका रहती है, इसी मजबूत व्यवस्था को तोड़ने के लिए बाहरी लोग षड्यंत्र के तहत आपस में लड़ा देते हैं और अपने षड्यंत्र में सफल हो जाते हैं।
तिरूमाय रजनी मरकाम सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता ने समाज में महिलाओं की उत्पीड़न को आदिवासी समाज में रखने की बात कही।
तिरुमाल देवलाल सोनवंशी, जिला महासचिव, अन्य पिछड़ा वर्ग के द्वारा अपने वक्तव्य में आदिवासी, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को एक साथ मिलकर संघर्ष करने की बात कही।
तिरूमाल याकूब तिर्की संभागीय अध्यक्ष, आदिवासी युवा छात्र संगठन के द्वारा अपने उद्धाबोधन में समाज के युवाओं को अपने पारंपारिक हथियार एवं पोषाक में आकर संवैधानिक अनुसार अपने हक-अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने एवं बिरसा मुंडा और बस्तर के महानायक वीर गुंडाधुर के बताए रास्ते पर चलने की बात कही।
तिरूमाल शारदा कश्यप अपने हल्बी भाषा के उद्धाबोधन में अपने पंरपरागत रुढ़ी व प्रथा को समझना है, संविधान के अनुच्छेदों को पढ़कर हमारे पहचान एवं अधिकारों को जानकर, एकजुट होकर संघर्ष करने की बात कही। संविधान में अजजा के लिए अनुच्छेद 342, अनुसूचित जनजाति के लिए अनुच्छेद 341 एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अनुच्छेद 340 के तहत हमारी विशेष पहचान है। इसको समझने की आवश्यकता है।
तिरूमाल तिलक पांडे, डॉ अंबेडकर सेवा संस्था व अधिवक्ता, अपने वक्तव्य में पांँचवी अनुसूची क्षेत्र एवं पारंपरिक ग्राम सभा को मजबूत करने की बात कही, आदिवासी के साथ ही रहकर हमको हमारा असली हक अधिकार मिलेगा, हम मूल बस्तरिया को एक होकर लड़ने की आवश्यकता है।
तिरूमाल माखन लाल सोरी, सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा अपने उद्धाबोधन में प्रवासियों की अत्याचार, शोषण पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में स्थायी डोमिसिल नीति 01 जनवरी 1950 की खतियान को आधार मानकर लागू किया जाये तथा अनुच्छेद 244(1), (2) क्षेत्रों में इनर लाइन परमिट व्यवस्था लागू किया जाये। जब तक यह दोनों व्यवस्था लागू नहीं होगी तब तक प्रवासी लुटेरे यहां के मूल निवासी एवं आदिवासियों के हक, अधिकार, शासकीय सेवा तथा प्राकृतिक संसाधनों पर षडयंत्र पूर्वक कब्जा करके मारपीट शोषण करते रहेंगे। इसके लिए मूल बस्तरवासी एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
तिरूमाल बंगा राम शोरी, जिला अध्यक्ष, सर्व आदिवासी भी अपने उद्धाबोधन में असामाजिक लोगों पर कानूनी कार्यवाही करने की बात कही। गोंडवाना समाज एवं सर्व आदिवासी समाज को एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ने की बात कही।
तिरूमाल प्रकाश ठाकुर, सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के द्वारा अपने उद्धाबोधन में समाज को तोड़ने वाले को चिन्हांकित करने की आवश्यकता है, इन लोग यहाँ के आदिवासियों को कभी भी एक होने नहीं देंगे, अपने फायदा के लिए समाज को कई टुकड़ों बांटते रहेंगे। इसलिए ऐसे लोगों को पहचान कर समाज द्वारा कठोर कार्यवाही करते हुए हम सभी को एक होकर लड़ने की आवश्यकता है।
इसी तरह कई वक्ताओं ने अपने- अपने उद्धबोधन में जनसैलाब को संबोधित करते हुए आदिवासियों के साथ हो रही घटनाओं का घोर निंदा किया गया।
महारैली के पूर्व गोंडवाना समाज समन्वय समिति के जिला सचिव तिरूमाल नेताम के द्वारा गोंडवाना समाज जिला ईकाई कोंडागांव की ओर से निम्न मांगों को कार्यवाही करने के लिए महामहिम राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को दी जाने वाली ज्ञापन का वाचन जनसैलाब के समक्ष किया गया जो निम्नानुसार है:-