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Banda news: डिलिवरी के बाद बिगड़ी महिला की हालत, ऑपरेशन करने वाली डॉक्‍टर ने ब्‍लड डोनेट कर बचाई जान

हाइलाइट्समीना देवी को समय से पहले प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिजनों ने 6 अक्टूबर की रात मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था मीना का ऑपरेशन उसी रात को 2 बजे डॉक्टर नीलम सिंह ने किया, उनका बच्‍चा प्रीमच्‍योर था बच्‍चे को लेकर मीना के रिश्‍तेदार प्रयागराज आ गए वहीं खून बहने से मीना के शरीर में खून की कमी हो गई अनिल सिंह, बांदा
‘डॉक्टर भगवान के समान होते हैं’ यह कहावत फिर चरितार्थ हुई जब एक महिला डॉक्टर ने खून की कमी होने के कारण जिंदगी और मौत से जूझ रही एक प्रसूता को अपना खून चढ़ाया। उस प्रसूता की जान इस रक्‍तदान से बच गई। डॉक्टर के इस कार्य की मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सहित अन्य चिकित्सकों ने सराहना की है।

बांदा के मरका गांव में रहने वाली मीना देवी पत्नी प्रदीप को समय से पहले प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिजनों ने 6 अक्टूबर की रात लगभग 10 बजे राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। मीना का ऑपरेशन उसी रात को 2 बजे डॉक्टर नीलम सिंह ने किया। डॉ. नीलम बताती हैं कि मीना देवी के 9 माह से पहले प्रसव पीड़ा होने लगी थी। इसके पहले भी उसका पहला बेटा भी ऑपरेशन से हुआ था, इससे पहले ऑपरेशन के टांकों पर दर्द होने लगा था।

ऐसे में ऑपरेशन ही एक विकल्प था, ऑपरेशन के बाद बच्चा कम दिनों का होने के कारण कमजोर था। जिसे 2 दिन तक एनआईसीयू में रखा गया लेकिन परिजन उसे चिल्ड्रन हॉस्पिटल प्रयागराज ले जाने की मांग कर रहे थे। जिससे बच्चे को प्रयागराज रेफर कर दिया गया। इस दौरान पति ससुर वह अन्य परिजन प्रयागराज चले गए।

डॉक्‍टर नीलम ने बताया, ‘यहां महिला मरीज की देखभाल के लिए वृद्ध पिता राजेंद्र तिवारी निवासी ग्राम दोहा देहात कोतवाली मौजूद थे। इस बीच महिला को खून की कमी हो गई उसे तत्काल खून की जरूरत थी। ऐसी स्थिति में मरीज की जान बचाना मेरा कर्तव्य था। मैंने तत्काल अपना खून देकर मरीज को चढ़ाया।’

राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मुकेश यादव ने कहा कि निश्चित रूप से डॉक्टर नीलम ने ऐसा सराहनीय कार्य कर मानवता की मिसाल पेश की है, जिससे अन्य चिकित्सकों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

खून की कमी से महिला की हालत खराब होने लगी थी