Lakhimpur news: कैसे पंजाब से सबकुछ बेचकर आए किसानों का बसेरा बना लखीमपुर? इतिहास में छिपी है पूरी कहानी – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Lakhimpur news: कैसे पंजाब से सबकुछ बेचकर आए किसानों का बसेरा बना लखीमपुर? इतिहास में छिपी है पूरी कहानी

हाइलाइट्सलखीमपुर-खीरी और पूरी तराई पट्टी सिखों का लंबे समय से गढ़ रहा हैदशकों पहले अविभाजित पंजाब से भारी संख्या में सिख यहां आकर बसेगुरु नानक सन् 1554 में यहां आ, कुष्ठ पीड़ित लोगों का इलाज किया थाकेशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे किसानों में ज्यादातर सिख थेलखीमपुर-खीरी
लखीमपुर में रविवार को हुई हिंसा में किसानों की मौत का मामला इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है। प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने के बाद हुई हिंसा में 4 किसानों, 2 बीजेपी कार्यकर्ताओं 1-1 ड्राइवर और पत्रकार की मौत हुई है। इस घटना के बाद लखीमपुर-खीरी (Lakhimpur Kheri news) जिला अचानक पूरे देश में सुर्खियों में बना हुआ है। तराई और लखीमपुर को न जानने वालों के मन में भी सवाल होंगे कि कैसे यूपी के इस जिले में पिछले कुछ दिनों से इतनी ज्यादा संख्या में सिख दिखाई दिए? यहां तक कि मारे गए चारों किसान भी सिख ही हैं।

पंजाब से आकर बसे किसान, सन् 1554 में आए थे गुरुनानक
दरअसल लखीमपुर और आसपास की तराई पट्टी दशकों पहले पंजाब से आए सिख किसानों का बसेरा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लखीमपुर-खीरी और तराई पट्टी के अन्य जिले कई पीढ़ियों से सिख किसानों का आशियाना हैं। खासकर वे काश्तकार जो अवध के नवाबों के जमाने में तत्कालीन अविभाजित पंजाब से यहां आए थे। लखीमपुर-खीरी जिले से सिखों का आध्यात्मिक जुड़ाव भी है। लखीमपुर-खीरी स्थित कौड़ियावाला घाट गुरुद्वारा के ग्रंथी बलजीत सिंह बताते हैं कि गुरु नानक सन् 1554 में यहां आए थे और कुष्ठ रोग से पीड़ित कुछ लोगों का इलाज किया था।

Exclusive: केंद्रीय मंत्री का बेटा नहीं है जीप से उतरकर भागता दिख रहा शख्स, जानिए लखीमपुर के वायरल वीडियो का सच!
तराई पट्टी में सस्ती थी जमीन, सब बेचकर यहां बस गए सिख
बहराइच के एक सरकारी स्कूल में खेल शिक्षक रहे सरदार सरजीत सिंह ने बताया कि अविभाजित पंजाब के किसानों को अपने मूल वतन के मुकाबले लखीमपुर-खीरी और तराई पट्टी के जिलों में जमीन बहुत सस्ती मिली, लिहाजा उन्होंने पंजाब की अपनी जमीन बेच कर यहां बड़ी-बड़ी जमीनें ले लीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने बताया कि 1940 के दशक में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग अविभाजित पंजाब से लखीमपुर-खीरी आए। उससे पहले अवध के नवाबों ने भी इस समुदाय को इस इलाके में बसने के लिए प्रोत्साहित किया था।

लखीमपुर-खीरी में सिखों की आबादी 4 लाख के करीब
इलाके के बुजुर्ग सरदार प्यारा सिंह ने बताया कि लखीमपुर खीरी जिले में सिखों की आबादी तकरीबन चार लाख है। इनकी ज्यादातर तादाद पलिया, निघासन और गोला तहसीलों में है। वहीं, बहराइच जिले के मिहीपुरवा और बिछिया इलाके में सिखों की खासी आबादी है।

Lakhimpur Kheri incident: मोदी कैबिनेट से हो सकती है अजय मिश्रा टेनी की विदाई, गृह मंत्रालय ने टाला कार्यक्रम
घटना के दिन विरोध प्रदर्शन करने वालों में थे ज्यादातर सिख
लखीमपुर-खीरी जिला इन दिनों तिकोनिया क्षेत्र में पिछले रविवार को हुई हिंसा में चार सिख किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले में मचे सियासी घमासान को लेकर खासा सुर्खियों में है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे किसानों में ज्यादातर सिख समुदाय के थे।

राहुल और प्रियंका गांधी के साथ मृतकों के परिवार से मिलने आए पंजाब के CM
लखीमपुर के सिखों के पंजाब से जुड़ाव का ही एक नतीजा है कि बुधवार को लखीमपुर-खीरी पहुंचे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी भी हैं। कांग्रेस नेताओं ने लखीमपुर के रहने वाले दोनों किसानों लवप्रीत सिंह और नक्षत्र सिंह के परिवार से मुलाकात की। इसके बाद वे बहराइच भी जा सकते हैं। घटना में मारे गए दो अन्य किसान गुरविंदर सिंह और दलजीत बहराइच के नानपारा के रहने वाले हैं।

(भाषा से इनपुट्स के साथ)

घटना के दिन प्रदर्शन कर रहे किसानों में ज्यादातर सिख थे