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Editorial: चीन का भविष्य अंधकारमय है, क्योंकि उर्जा संकट जकड़ रहा है

02-10-2021

पिछले कुछ महीनों में चीन के लिए कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। एवरग्रांडे के नेतृत्व वाले रियल एस्टेट संकट से लेकर हुवावे जैसे तकनीकी दिग्गजों के पतन, निर्यात में गिरावट और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान से लेकर नवीनतम बिजली संकट तक – सब कुछ शी जिनपिंग के साम्राज्य के खिलाफ चल रहा है।
चीन में बिजली की कमी के कारण खाद्य (सोयाबीन प्रसंस्करण, पशु चारा प्रसंस्करण) और उर्वरक जैसी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन मुश्किल हो गया है, और इससे कीमतें आसमान छू रही हैं। स्टील, एल्युमीनियम, सिलिकॉन जैसी धातुओं की कीमतें, जो पिछले कुछ महीनों में डिमांड और सप्लाई के कारण पहले से ही बढ़ रही थीं, अब और भी तेज दर से बढ़ रही हैं क्योंकि बिजली की कमी के कारण इन वस्तुओं का उत्पादन रुका हुआ है।
बिजली की खपत और एमिशन इंटेंसिटी को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कई प्रांतों में कठोरता से अनुपालन किया जा रहा है और इस चक्कर में स्थानीय सरकारें अपनी अर्थव्यवस्था को बनाये रखने और आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने में विफलता का जोखिम उठा रही हैं। इस कारण से युन्नान में स्मेल्टर, झेजियांग में कपड़ा संयंत्र और टियांजिन में सोयाबीन क्रशर सभी ने बिजली कटौती को रोकने का फैसला किया है।
चीन के बिजली संकट को इस तरह समझिए। एक तरफ अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए बिजली की आपूर्ति को चालू रखना है, लेकिन कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण भी रखना है। रही सही कसर कोयले की बढ़ती कीमतों ने पूरी कर दी है। पिछले एक सप्ताह में चीनी कोयला की कीमतों में जो उछाल आया है वो चीन की नीतियों की वजह से ही ई है।
पहले चीन ने ऑस्ट्रेलियाई कोयले के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता में से एक है। चीन में दो-तिहाई से अधिक बिजली का उत्पादन कोयले से किया जाता है और अब उसे कोयले की डिमांड को पूरा करने के लिए रूस, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे अन्य स्रोतों से महंगा कोयला खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
ब्रेमर एसीएम शिपब्रोकिंग के ड्राई कार्गो रिसर्च एनालिस्ट अभिनव गुप्ता ने कहा, “देश में कोयले की कमी को देखते हुए, हम उम्मीद कर सकते हैं कि चीन अपनी खरीद गतिविधि में तेजी लाएगा और इसका अधिकांश हिस्सा दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों से निकटता के कारण आने की संभावना है।” गुप्ता ने आगे कहा, “इनमें से अधिकांश कोयला उत्पादक चरम क्षमता पर हैं, जो बाजार में कोयले की डिमांड को बढ़ा सकता है जिससे कोयले की किमतों और उछाल देखने को मिल सकता है।”

कुछ विश्लेषक तो यहां तक ??कह रहे हैं कि चीन को अपने अहंकार को छोड़ ऑस्ट्रेलियाई कोयले के आयात पर से प्रतिबंध हटाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। बैंचेरो कोस्टा एंड कंपनी के शोध प्रमुख क्रड्डद्यश्चद्ध रुद्गह्य5ष्54ठ्ठह्यद्मद्ब ने कहा, “बीजिंग निश्चित रूप से ऑस्ट्रेलियाई कोयले के आयात पर प्रतिबंध को कम करने का फैसला कर सकता है, हालांकि यह राजनीतिक रूप से अनुकूल नहीं होगा परंतु इससे कोयले का अधिक आयात किया जा सकेगा और घरेलू कोयले की कीमतों पर दबाव कुछ कम होगा”।