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खचाखच भरा था मैदान: तीर की तरह चले भाकियू नेताओं के बयान, यूपी-उत्तराखंड में भाजपा को वोट की चोट से हराने का आह्वान

खापों की धरती से संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत में रविवार को प्रदेश व केंद्र सरकार पर तीखे हमले किए गए। मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित महापंचायत में वक्ताओं ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भाजपा को हराने का आह्वान किया। तय किया कि राज्य के हर जिले में संयुक्त मोर्चा का गठन कर आंदोलन को धार दी जाएगी। ऐलान किया कि अब 25 के बजाय 27 सितंबर को भारत बंद रहेगा। भीड़ से उत्साहित किसान नेताओं ने कहा, यह महापंचायत मोदी सरकार के लिए वार्निंग सिग्नल है या तो रास्ते पर आ जाओ, नहीं तो किसान 2024 तक भी आंदोलन करने को तैयार हैं।

योगी सरकार को उखाड़ फेकेंगे
दंगे से सामाजिक ताना-बाना टूटने के आठ साल बाद हुई पंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सद्भाव का संदेश देने के साथ ही कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी की गारंटी, गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी की मांग उठाई। रेलवे, एयरपोर्ट, बैंक व बीमा समेत सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर कड़ा विरोध जताया। कहा कि किसानों की मांगें नहीं मानी तो बंगाल की तर्ज पर यूपी में योगी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब लड़ाई सिर्फ यूपी मिशन तक नहीं रुकेगी, बल्कि पूरे देश में आंदोलन तेज होगा। राज्य के प्रत्येक जिले में संयुक्त मोर्चा का गठन करने के लिए आगामी 10 और 11 सितंबर को लखनऊ में बैठक होगी, जिसमें विभिन्न किसान संगठन के पदाधिकारी शामिल होंगे।

खेती किसानी बिकने के कगार पर
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 22 जनवरी से आज तक किसानों के साथ बात नहीं की है। जो देश की प्रापर्टी, संस्थाओं को बेच रहे हैं, इनकी पहचान करनी होगी। रेल, हवाई अड्डे, सड्कें, बिजली, एलआईसी, एफसीआई के गोदाम, बंदरगाह, जल, नदियां सब बेचे जा रहे हैं। ओएनजीसी, इस्पात, चिकित्सा को बेचने की तैयारी है। इससे नौजवान बेरोजगार होंगे। खेती किसानी बिकने के कगार पर है। प्रधानमंत्री गन्ने का भाव दाम 450 देने को कहते थे लेकिन चार साल से एक पैसा नहीं बढ़ाया। पीएम मोदी और सीएम योगी बाहरी है, इन्हें यूपी से भगाना होगा। टिकैत ने कहा कि अब भाजपा को दंगे नहीं करने देंगे। वो तोड़ेंगे, हम लोगों को जोड़ेंगे। पहले की तरह एक मंच से हर-हर महादेव और अल्लाह-हू-अकबर के नारे गूंजेंगे। उन्होंने कहा, जब तक कृषि कानून वापस नहीं होते वह अपने घर नहीं जाएंगे, चाहे आंदोलन स्थल पर बलिदान क्यों न हो जाए।

सरकार ने नोटबंदी की, जनता वोट बंदी करेगी
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान, मजदूर और नौजवान अब वोट की चोट देने को तैयार है। अब यह मिशन यूपी नहीं, बल्कि पूरे देश का मिशन हो गया है, मोदी सरकार समझ ले और रास्ते पर आ जाए, नहीं तो किसान 2024 तक भी आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। पंजाब, हरियाणा में सत्ताधारी नेता गांवों में घुस नहीं सकते। उन्होंने 27 सितंबर को भारत बंद का एलान करते हुए हर जिले में संयुक्त किसान मोर्चा के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आज दुनियाभर के लोग भारत के किसानों के साथ हैं, लेकिन केंद्र सरकार एक बार उन किसानों की मौत पर शोक तक नहीं जता रही है, जो आंदोलन में शहीद हुए हैं। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी की थी, उसका जवाब भाजपा की वोटबंदी से देने को जनता तैयार है।

यूपी सरकार पर साधा निशाना
किसान नेता योगेंद्र यादव ने यूपी सरकार पर पांच बिंदुओं के आधार पर तीखा हमला बोला। संयुक्त मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हमारे बीच के नेता सत्ता में आएंगे तो किसानों की समस्याएं खुद समाप्त हो जाएंगी। दर्शन पाल और हन्ना मोला ने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की याद दिलाते हुए हर वर्ग से किसान आंदोलन में सहयोग मांगा। भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आगंतुकों का आभार जताया, जबकि अन्य पदाधिकारियों और खाप चौधरियों ने भी विचार रखे। अध्यक्षता बहावडी खाप के थांबेदार चौधरी श्याम सिंह ने की और संचालन युद्धवीर सिंह और धर्मेंद्र मलिक ने संयुक्त रूप से किया।

महापंचायत नहीं, किसानों का सैलाब
किसान महापंचायत में सिर्फ हरियाणा, यूपी और पंजाब, उत्तराखंड नहीं, बल्कि कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना, केरल आदि राज्यों के भी किसान इसमें शामिल हुए। आलम यह था कि जीआईसी का मैदान पूरी तरह भर गया था और बाहर भी उतनी ही भीड़ बनी हुई थी। शहर के महावीर चौक से लेकर सरकुलर रोड, आर्य समाज रोड, जानसठ रोड, प्रकाश चौक से झांसी रानी चौक आदि मार्गों पर किसान ही किसान नजर आ रहे थे।

भाजपा का विरोध, विपक्ष को भी तवज्जो नहीं
संयुक्त किसान मोर्चा ने मिशन यूपी की पहली महापंचायत से भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी दल भले ही मैदान के बाहर किसानों की सेवा में जुटे रहे, लेकिन उन्हें मंच से कोई तवज्जो मिलती नहीं दिखी। विधानसभा चुनाव से पहले किसान मोर्चा प्रदेश और फिर गांव-गांव में अपना संगठन खड़ा करेगा। किसान मोर्चा के नेता गुरनाम चढूनी ने यूपी में पंचायती उम्मीदवार उतारने का सुझाव ङी मंच से दिया।

आधी रात से ही शुरू हो गया था किसानों का आगमन
दूर-दराज से तो किसान एक दिन पहले ही पहुंचने लगे थे, शनिवार को मध्यरात्रि से किसानों की भीड़ बढ़नी शुरू हो गई थी। किसानों के जत्थे मुजफ्फरनगर के महापंचायत स्थल पर पहुंचने लगे थे। युवाओं में जोश था जो नारेबाजी करते चल रहे थे। सुबह होते होते सड़क पर किसानों के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। राजकीय इंटर कॉलेज का मैदान भी खचाखच भर गया था, उसके बाहर भी भारी भीड़ जाम हो गई थी।