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जिलाधिकारी की जिम्मेदारी, रात 1 बजे तक प्रैक्टिस…मिसाल है सिल्वर मेडल जीतने वाले Suhas LY की कहानी

गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई को पैरालिंपिक में रच दिया इतिहासपैरालिंपिक में सुहास एलवाई को सिल्वर मेडल, फाइनल मुकाबले में हारेआईएएस की जिम्मेदारियों के बावजूद सुहास ने नहीं छोड़ी थी अपनी प्रैक्टिसनोएडा
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

कवि सोहनलाल द्विवेदी की लिखी कविता आज तोक्यो के पैरालिंपिक में लहरते तिरंगे के साथ सिद्ध हुई है। इतिहास लिखने की चेष्टाओं को परिणति मिली है और विदेश की धरती पर भारत का राष्ट्रध्वज बुलंद कर नोएडा के सरपरस्त सुहास एलवाई ने एक इतिहास बना दिया है। नौकरशाही के प्रोटोकॉल, सरकारी फाइलों के बोझ और जिले की जिम्मेदारी के बीच एक आईएएस अफसर का पैरालिंपिक जैसे वैश्विक टूर्नामेंट में सफल हो जाना इतिहास का एक अमिट लेख बन गया है।

दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने तमाम सरकारी जिम्मेदारियों के बावजूद जिस तरह इस पैरालिंपिक की तैयारी की और जैसे देश का परचम लहराया, उसकी कहानी भारत के स्पोर्ट्स कल्चर की नई गाथा है। सारे दिन गौतम बुद्ध नगर के कलेक्ट्रेट की जिम्मेदारियों, विकास योजनाओं और शासकीय कामों की मॉनिटरिंग के बाद सुहास रात को तोक्यो पैरालिंपिक की प्रैक्टिस किया करते थे।

नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ने तोक्यो में रचा इतिहास, देश को दिलाया सिल्वर मेडल

रात के 1 बजे तक होती थी प्रैक्टिस
तोक्यो पैरालिंपिक में जाने से पहले डीएम सुहास एलवाई राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी आदित्य वर्मा के साथ तैयारी करते थे। आदित्य वर्मा डीयू से बीए ऑनर्स कर रहे हैं और यूपी से खेलते हैं। आदित्य ने बताया कि उन्होंने मई 2020 में डीएम के साथ प्रैक्टिस मैच खेलना शुरू किया। वे लोग नोएडा स्टेडियम में रात के समय प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने बताया कि कभी-कभी रात के 1 भी बज जाते थे। वह इंडोनेशिया के बैडमिंटन कोच दुथरी गीगी बेलात्मा की निगरानी में सुहास एलवाई के साथ प्रैक्टिस मैच खेलते थे। कई बार इसी कोर्ट पर लखनऊ या किसी स्थान से शासकीय कामकाज के लिए फोन आ जाए तो सुहास वहीं से अफसरों को निर्देश भी दिया करते थे।

ग्रेटर नोएडा के स्टेडियम में करते थे प्रैक्टिस
तोक्यो पैरलिंपिक से 2 महीने पहले से ग्रेटर नोएडा के पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन कोर्ट पर जाने लगे। आदित्य ने बताया कि पुलेला गोपीचंद का कोर्ट काफी बड़ा है। यह इंटरनैशनल मैच के हिसाब से प्रैक्टिस में काफी सपोर्ट करता है। उन्होंने बताया कि डीएम साहब में काफी स्टेमिना है। वह इस गेम में काफी मजबूत हैं। लगातार 3 घंटे प्रैक्टिस होती थी। इसके लिए वह प्रैक्टिस पर जाने से पहले हाई प्रोटीन डाइट लेते थे। मैच ब्रेक के दौरान जूस और फल लेते थे। अंतिम दौर में काफी हार्ड प्रैक्टिस हुई। उसी का नतीजा है कि पैरालिंपिक के शुरू के दोनों मैच और सेमीफाइनल में लंबे अंतर से जीत दर्ज की। हालांकि फाइनल में सुहास की हार तो हुई, लेकिन भारत के लिए एक सिल्वर मेडल प्रशस्त हुआ।

शटलर लुकास माजूर को दी कड़ी टक्कर
सुहास एलवाई ने तोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रच दिया है। उन्हें रविवार को पुरुषों की एकल SL4 इवेंट में फ्रांस के टॉप सीड शटलर लुकास माजूर से कड़े मुकाबले में 21-15, 17-21, 15-21 से हार का सामना करना पड़ा। सुहास ने मैच पहला गेम 21-15 से अपने नाम किया। अगले दोनों गेम में उन्होंने विपक्षी को कड़ी टक्कर दी, लेकिन उन्हें मैच गंवाना पड़ा। लुकास ने 21-17 और 21-15 से दोनों गेम जीतते हुए गोल्ड मेडल जीत लिया। वह देश के पहले ऐसे अधिकारी हैं, जिन्हें पैरालिंपिक में हिस्सा लेने का मौका मिला था और उन्होंने सिल्वर मेडल अपनी झोली में डाला। सुहास इससे पहले युगांडा पैरा बैडमिंटन इंटरनैशनल टूर्नामेंट में कांस्य पदक और तुर्की इंटरनैशनल बैडमिंटन टूर्नामेंट में पुरुष सिंगल्स का खिताब जीत चुके हैं।