Hamirpur News: साढ़े चार करोड़ की पेयजल योजना… फिर भी नहीं बुझी लोगों की प्यास – Lok Shakti
November 2, 2024

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Hamirpur News: साढ़े चार करोड़ की पेयजल योजना… फिर भी नहीं बुझी लोगों की प्यास

पंकज मिश्रा, हमीरपुर
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में छह हजार की आबादी वाले गांव में साढ़े चार करोड़ की पेयजल योजना तीन साल बाद भी नहीं पूरी हो सकी। हजारों ग्रामीण गांव के एक मात्र कुएं से ही प्यास बुझाने को मजबूर हैं। शासन से ढाई करोड़ का फंड न मिलने से गांव के अंदर पाइपलाइन डालने के काम में भी ब्रेक लगा है।

हमीरपुर जिले के मौदहा क्षेत्र के बीहड़ में बसे गुसियारी गांव में इन दिनों पानी के लिए ग्रामीण परेशान हैं। वहीं, केन नदी के आसपास बसे एक दर्जन से ज्यादा गांवों में भी पानी का संकट चरम पर है। हालांकि, गांवों में जल निगम ने हैण्डपंप काफी तादाद में लगवाए थे, लेकिन अधिकांश हैण्डपंप खारा पानी दे रहे हैं। तीन साल पहले गुसियारी सहित कुछ अन्य गांवों में पानी की किल्लत को लेकर 4.50 करोड़ की लागत से एक पेयजल योजना को शासन ने हरी झंडी दी थी। पेयजल योजना के तहत नलकूप लगाए गए, लेकिन पाइपलाइन का कार्य न होने से गांव की छह हजार की आबादी को पीने का पानी नहीं मिल सका। गांव के हजारों लोग मात्र एक कुएं से ही अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं।

ग्राम प्रधान ने इस मामले में जल निगम को पत्र लिखा था। जिसके बाद पैंतीस साल पुरानी टूटी फूटी पाइपलाइन से गांव के दो नलकूपों को जोड़कर गांव के कुछ हिस्से में जलापूर्ति की गई, लेकिन यह व्यवस्था भी फेल हो गई। इस मामले में जल निगम के अभियंता आबिद अली ने कहा कि पेयजल योजना की कुल लागत में ढाई करोड़ रुपये का फंड अभी तक शासन से न मिलने की वजह से पाइपलाइन का कार्य बाधित है। जैसे ही फंड मिलेगा तो अधूरी पेयजल योजना के कार्य शुरू कराए जाएंगे। अभियंता ने बताया कि शासन से फंड मिलने की उम्मीद पर गांव के कुछ इलाकों में अंडरग्राउंड पाइपलाइन डलवाने का कार्य शुरू कराया गया है।

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साढ़े तीन दशक पहले करोड़ों की लागत से बनी थी पेयजल योजना
ग्राम प्रधान असरार अहमद ने बताया कि साढ़े तीन दशक पहले केन नदी से खंडेह गांव तक पेयजल योजना बनाई गई थी। गुसियारी, रतवा, नायकपुरवा, खंडेह, कपसा और इचौली समेत एक दर्जन से अधिक गांवों को पेयजल योजना में शामिल किया गया था। इस बड़ी पेयजल योजना में पड़ोसी बांदा जिले के डेढ़ दर्जन गांव भी सम्मिलित किए गए थे, लेकिन कुछ ही साल में यह पूरी योजना ही फेल हो गई। इस पेयजल योजना में कई करोड़ की धनराशि खर्च हुई थी, जो पानी में ही चली गई।