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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में अंधविश्वास ने मानवता की हदें पार कर दी। दो साल की मासूम बच्ची की मौत के बाद उसे धार्मिक मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार भी नहीं नसीब हुआ। परिजन टोटका कर बच्ची के शव को जंगल में फेंक दिया।
घटना के अनुसार, मड़िहान थाना क्षेत्र के बेला जंगल में बाण सागर नहर किनारे मंगरमुड़ गांव है। गांव के पास मंगलवार की दोपहर दो वर्ष की बच्ची का शव मिला। पास ही पूजा-पाठ का सामान भी पड़ा था। इस पर लोगों ने बलि की आशंका जताई, लेकिन पुलिस के अनुसार, मौत बीमारी से हुई है। बीमारी किसी और को न हो, इसलिए परिजन शव जंगल में रख दिए थे। इसके लिए टोटका भी किया गया था।
दोपहर में जंगल में बच्ची का शव मिला तो ग्रामीण जुट गए। पास ही पूजा-पाठ का सामान, एक भेड़, बच्ची के नये-पुराने कपड़े भी पड़े थे। ग्रामीण इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा करने लगे। ग्राम प्रधान पारसनाथ ने पुलिस को सूचना दी। एएसपी नक्सल महेश सिंह अत्रि भी मौके पर पहुंचे।
बच्ची के पिता की कहानी सुन दंग रह गए लोग
पुलिस ग्रामीणों से पूछताछ के बाद शव की शिनाख्त कर पाई। बच्ची के पिता ने बताया कि बच्ची को गंभीर बीमारी हुई थी। सोमवार को उसकी मौत के बाद शव और उसके कपड़े व अन्य सामान जंगल में रख दिया था, ताकि उसके परिवार में किसी और को यह बीमारी न हो। ऐसा सुनकर लोग दंग रह गए। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मौत के कारणों का पता चल सकेगा।
इस संदर्भ में एएसपी नक्सल महेश सिंह अत्रि ने बताया कि बीमारी से मौत के बाद परिवार के लोग शव जंगल में छोड़ गए थे, ताकि परिवार में किसी और को यह बीमारी न हो। शव की शिनाख्त होने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
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