एक ऐसा वृंदावन… जहां भगवान श्रीकृष्ण के हैं 108 मंदिर – Lok Shakti
November 2, 2024

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एक ऐसा वृंदावन… जहां भगवान श्रीकृष्ण के हैं 108 मंदिर

राकेश कुमार अग्रवाल , महोबा

कार्तिक मास धरम का महीना, मेला लगत उते भारी
जहां भीड़ भई भारी, वृंदावन भई चरखारी

चरखारी कस्बा बुंदेलखंड की कृष्णनगरी के नाम से भी जाना जाता है। बुंदेलखंड के वृंदावन धाम चरखारी में एक दो नहीं पूरे 108 कृष्ण मंदिर हैं। कृष्ण जन्मोत्सव आते ही चरखारी के कृष्ण मंदिरों की साज-सज्जा और सजावट शुरू हो गई है, क्योंकि मथुरा और वृंदावन को जितना कृष्ण जन्मोत्सव का इंतजार रहता है, उतनी ही भक्ति भावना बुंदेलखंड के वृंदावन चरखारी में भी रहती है।

चरखारी झीलों की नगरी है। कस्बे में सप्त सरोवर हैं, जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। विजयसागर, मलखान सागर, वंशी सागर, जय सागर, रतन सागर और कोठी ताल नामक झीलों में चारों तरफ फैले नीलकमल व पक्षियों का कलरव इनकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।

राजा परमाल के पुत्र रंजीत ने चरखारी को अपनी राजधानी बना चक्रधारी मंदिर की स्थापना की थी। चक्रधारी मंदिर के नाम पर ही राजा मलखान सिंह के समय इसका नाम चरखारी पड़ा था। स्थानीय लोग इसे महाराजपुर भी कहते रहे हैं। चरखारी में 108 कृष्ण मंदिर हैं। जिसमें सुदामापुरी का गोपाल बिहारी मंदिर , रायनपुर का गुमानबिहारी मंदिर, मंगलगढ़ के मंदिर, बख्त बिहारी मंदिर, बांके बिहारी मंदिर शामिल हैं।

1883 से लग रहा है चरखारी में गोवर्धननाथ जू का मेला
राजा मलखान सिंह ने अपने समय में ही गोवर्धन नाथ जू मेले की शुरुआत 1883 में की थी। यह मेला उस क्षण की स्मृति है, जब श्रीकृष्ण ने इन्द्र से कुपित होकर गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण कर लिया था। दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट पूजा से प्रारम्भ होकर यह मेला एक महीने चलता है। यह बुंदेलखंड का सबसे बड़ा मेला है।

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पंचमी के दिन चरखारी के 108 कृष्ण मंदिरों से देवताओं की प्रतिमाएं गोवर्धन मेला स्थल लाई जाती हैं। इसी दिन सम्पूर्ण देव समाज ने प्रकट होकर श्रीकृष्ण से गोवर्धन पर्वत उतारने की विनती की थी। सप्तमी को इन्द्र की करबद्ध प्रतिमा गोवर्धन जू के मंदिर में लाई जाती है। इस एक माह में चरखारी फिर वृंदावन बन जाती है।