मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर विशेष लेख – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर विशेष लेख

ढाई बछर म बगरगे ढाई आखर प्रेम*
“आगे सुराज के दिन रे संगी, बांध ले पागा साज ले बंडी, कर्मा गीत गा के आजा,
झूम जा संगी मोर”
ए गीत ल गावत मेंह 15अगस्त माने सुराजी के दिन तिरंगा फहरा के पारा भर के लईका मन ल बूंदी सेव बांटत रहेंव।तभे मोर छोटे बेटा विरासत हर पूछीस- पापा जी ,भौंरा, गेंड़ी और सोंटा खाना क्या होता है?
ओखर सवाल सुनके में ह भक खा गेंव फेर ओला बताएंवं -बेटा ,लट्टू को भौंरा कहते हैं। बांस से निर्मित होती है “गेंड़ी”, हरेली त्यौहार के दिन गेंड़ी चढ़ने एवं नृत्य करने का रिवाज है। छत्तीसगढ़ के राऊत समाज के लोग दीपावली के समय देवी देवता की आराधना करते हुए तेंदू पेड़ की लाठी लहराते नाचते हैं।दोहा बोलते हुए, मोटी रस्सी से अन्य साथियों के हाथ पैर को सटा सट मारते हैं।इस प्रकिया को ही सोंटा खाना कहते हैं‌। लेकिन अचानक सोंटा भौंराऔर गेंड़ी के बारे जानने की जिज्ञासा का जन्म तुम्हारे मन में क्यों हुआ?
इस पर बेटे ने समाचार पत्रों में प्रकाशित माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी का भौंरा चलाते, गेंड़ी चढ़ते और सोंटा खाते हुए फोटो को दिखा कर बताया इसे देखते ही मुझे जानने की जिज्ञासा हुई।
ए घटना हर मोला भरोसा देवा दीस कि घर के सियान जागत रही त बाहिर के पहूना कभू घर के सियान नई बन सकय।आज गरब के साथ एखर बखान करत छत्तीसगढ़ के रहोइया कहत हांवंय —
“हमर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री आए छत्तीसगढ़िया,
दिखत म सुंदर अउ
आदत म बढ़िया”
ढाई साल म बाढ़गे ढाई आखर प्रेम
छत्तीसगढ़ के जौन रीति- रिवाज ,तीज -तिहार खाई- खजानी मन हर नंदावत रहिन तेन लअब छत्तीसगढ़ के लईका लईका जान जाहीं। काबर कि खाली ढ़ाई साल के अपन कार्यकाल म मुख्यमंत्री जी ह अपन,मन वचन अउ करम म कबीर दास जी के दोहा ल चरितार्थ कर दिस हावय——
” ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय”। संगवारी हो मया दुलार के धार ह
छत्तीसगढ़िया मन के हिरदे म अरपा पैरी अउ महानदी के धार कस बारहों महीना बोहाथे।ए धारा ह हमर भूंइया के पहिचान आए।जेहर सुखावत रहिस, काबर की इहां के नरवा गरवा घुरवा अउ बारी कोति देखोईया पहिली के “रखवार माने सरकार” ह चेत नई लगाईस।फेर भूपेश सरकार ह कुरसी म बइठते सांथ “गड़बो नवा छत्तीसगढ़” के नवा मंतर ल जन जन के कान म फूंक दीस।
गोबर बनीस गरीब के गरब
छत्तीसगढ़ के इतिहास म पहिलि घंव गोबर के गुन ल बढ़ाए के उपाय मुख्यमंत्री भुपेश जी के देखरेख म सुरू होइस।पहिली पहिली तो लोगन अइसन उदिम ल हंसी-मजाक म उड़ावत रहिन,फेर गांव सहर म आज गोबर के राज चलत हे।गोबर ले बने खातू ल बेंच बेंच के दाई दीदी मन के स्वावलंबी समूह के परिवार अपन फटफटी चढ़े के सपना पूरा करत हांवंय। महीन ल महान बनाए के अइसनेहे गुन ल देखावत मुख्यमंत्री जी ह छत्तीसगढ़ के चिंन्हारी ल बंचाए बर कई ठिन नवाचारी कदम बढाइस हावय ।जेमा विश्व आदिवासी दिवस,तीजा, हरेली, भक्त माता कर्मा जयंती के दिन सरकारी छुट्टी फैसला हर जबड़ बरदान बनगे हे।
विश्व आदिवासी दिवस म छुट्टी काबर
छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म 31प्रतिशत अबादी अनुसूचित जाति –जनजातिके हावय। जेमा42जनजाति के मिंझरा हे।जिंखर कला संस्कृति ह छत्तीसगढ़ ल गांव के चौपाल ले उंचा के संसार के कपार म बैठारिस हावय।देस के सुराजी खातिर 1857के क्रांति के पहिली1824म आदिवासी समाज के बीर बहादुर ललना मन ह बघवा कस गरजत फिरंगी मन के माथ म पसीना लान देवंय।अइसन आदिवासी समाज ल सुमिरे बर खास दिन 9 अगस्त के छुट्टी सही अरथ म आदिवासी माटी के मान आए।
हरेक के पीरा हरे के परब हरेली के पूछारी
छत्तीसगढ़ के पहली अउ जनमन के बड़े तिहार हरेली हर आय। एखर बर सरकारी छुट्टी दे के भूपेश सरकार हर ऐतिहासिक फैसला लीस हावय।अब छत्तीसगढ़ के संगे संगे दूसर राज म हरेली के डंका अइसे बाजही जैसे दूसर राज के तिहार के डंका छत्तीसगढ़ म बाजथे। अइसन करके नवा सरकार हर नवा जोत जलावत संदेसा दीस हावय—-
जिस गांव में पानी नहीं गिरता,
वहां की फसलें खराब हो जाती हैं,
जहां त्यौहारों का मान नहीं होता,
वहां की नस्लें तबाह हो जाती हैं।
भूंइया के भगवान किसान के मान
छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा केहे जाथे। किसान के जांगर अउ नांगर के चलते कोठी म धान पलपलाथे।फेर भूंइया के भगवान किसान के दसा ल अकाल -दूकाल करजा-बोड़ी हर बिगाड़त रहिस।एला समझ के किसान के पीरा हरे बर,धान के संगे संग साग- भाझी बोंय बर,मछरी पालन बर,बने दाम म अनाज खरीदी, सस्ता बिजली,बिजली चलित पम्प देहे के भूपेश सरकार के फैसला हर हरित क्रांति लान दीस हावय। गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान एवं ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के बल म किसान परिवार के पोठ रोठ होय के ,”गेंहू म बोंए राई “के चरचा देसभर म होवत हे।इही पाय के छत्तीसगढ़ राज ल बड़े-बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार मिलत हावय।
आधा दाम म बिजली मिलत हे,लोग लईका पढ़त लिखत हें
छत्तीसगढ़ राज ल विद्युत कुबेर तको केहे जाथे।इहां बिजली ह बाढ़े पूरा के पानी कस बारहों महीना भरे रहिथे,इही पाए के पहली घंव इहां के जम्मो घर म 400 यूनिट तक आधा दाम म बिजली देहे अभूतपूर्व फैसला मुख्यमंत्री जी करिन।ए योजना हर गरीब परिवार बर बरदान बनगीस हे।
लोक कलाकार मन के कका
छत्तीसगढ़ राज बने के बाद पहली घंव बछर भर बड़े-बड़े लोकोत्सव के आयोजन होय लागीस हे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ह “कलाकार मन के कका”बनके उंखर मुरझावत चेहरा म उजास लाए के काम करे हावय। गांव गांव के कलामंच,रमायन मंडली ल बढ़हर देहे बर जबड़ नगदी ईनाम देहे के फैसला करे हावय। कोरोनावायरस के चपेट में आय कतको कलाकार ल सहारा दीस हावय।

संवार दीस माता कौशल्या के मंदिर
गरब के बात आय कि देस भर छत्तीसेगढ़ म माता कौशल्या के मंदिर चंदखुरी म हावय।जेखर बने साल सम्हाल करोइया कोनो आघू नई आइन।माता कौशल्या के मंदिर अउ छत्तीसगढ़ के भांचा भगवान श्रीराम के वनगमनपथ ल संवारे के काम तको भूपेश सरकार हर करत हावय तभे तो जनमन के बोल गूजत हे—
बिगड़े हुए वक्त को संवारे वो घड़ीसाज है भूपेश ,
मंदिरों की घंटियों में गूंजे
वो पवित्र आवाज है भूपेश
बेटी सबके सेथी, बेटी आय पोथी
एक जमाना म छत्तीसगढ़ ला “बैकवर्ड स्टेट” के नाम मिले रहीस। जेला धोवत मुख्यमंत्री जी ह आज ” मोर डेवलपमेंट स्टेट”के नवा पहिचान देवा दीस हावय। इहां के बेटी मन ला बेटा बरोबर मान मिलत हे। पढ़े-लिखे बर पहली घंवं सरकारी अंग्रेजी स्कूल चालू होए हावे ।दाई महतारी मन के इलाज पानी बर एंबुलेंस अउ हाट बाजार में चलत फिरत अस्पताल तको मिलत हावय। इही पाए के चारों मुड़ा मिलजुल के लोगन कहत हांवय—
चले तो हवा रुके तो चांद जैसा है ,
ए शख्स धूप में देखो तो छांव जैसा है।
मोर दुलरवा बेटा भूपेश
छत्तीसगढ़ महतारी के बेटी अउ मुख्यमंत्री जी के दुलौरिन दाई स्व.बिंदेश्वरी हर बालपन ले जान डारे रहीस कि मोर बेटा एक दिन छत्तीसगढ़ के राजकाज संभालही।इही पाय के ओखर मन में भाव रहय
” दिन बड़ा बने कटथे,
कहूं देख ले थों बड़े फजर ओखर फेस, बनही एक दिन ओहर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, जेखर नाम हवय दुलरवा बेटा भूपेश ।बालपन ले मुख्यमंत्री जी के महतारी हर ओला संस्कार देवत पाठ पढ़ाए हावय—
जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कव्हर चढ़ाएं,
पर बिखरे पन्नों को पहले प्यार से चिपकाएं।
मुख्यमंत्री जी ल जनमदिन के गाड़ा गाड़ा बधाई अउ मंगलकामना हे।