यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधनपूरे यूपी में छाया शोक, सीएम और पीएम ने दी श्रद्धांजलिकल्याण सिंह राम मंदिर मुद्दे को लेकर थे ऐक्टिवविशाल वर्मा, जालौन
देश में राम मंदिर का निर्माण जब ज्वलंत मुद्दा था, तो उस समय उत्तर प्रदेश की सियासत में आग लगी हुई थी। इसी सियासी आग के बीच पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह देश के कोने-कोने में जाकर अपना पसीना बहाकर रामभक्तों के अंदर भक्ति का जोश भरने का काम कर रहे थे।
32 साल पहले उनका जालौन जिला के उरई टाउनहॉल आना हुआ और जनसभा कर लोगों को संबोधित किया और उनके निधन के बाद उस वक्त की बातें नेताओं के लिए सिर्फ यादें बनकर रह गई हैं।
कल्याण को बेहद प्यार करते थे बीजेपी वर्कर्स
राममंदिर आंदोलन के अलावा भी जिले के कई कद्दावर नेताओं की पूर्व मुख्यमंत्री से काफी नजदीकी थी। जब भी उनका झांसी के लिए आना-जाना रहता था तो उनके स्वागत के लिए पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुट जाती थी। लेकिन उनके निधन के समाचार से बीजेपी में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
…जब एक अपील पर रामभक्तों की जुट गई भारी भीड़
वर्ष 1989 जुलाई महीने में राम मंदिर का आंदोलन शिखर पर था। देश का हर हिंदू राम मंदिर निर्माण में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा था। तब उस दौरान जिले के चाणक्य कहे जाने वाले नेता बाबूराम दादा और पूर्व मुख्यमंत्री के आह्वान पर जिले के शहर उरई स्थित टाउनहाल में रामभक्तों की भीड़ जुट गई थी। उस वक़्त पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां के मैदान में बड़ी जनसभा को संबोधित किया था।
जालौन में चार बार हुआ था पूर्व मुख्यमंत्री का आगमन
यूं तो पूर्व मुख्यमंत्री जिले में 1998, 1999 और 2004 में चुनावी जनसभा को संबोधित करने आए। लेकिन उनके आदर्श अब जिले के शीर्ष नेताओं के लिए प्रेरणा बनकर रह गए। पूर्व मुख्यमंत्री भोपाल से राप्ती सागर एक्सप्रेस से जालौन जिले 1989 में आए। उस समय बारिश चरम पर थीं। लेकिन उनका पूरा ध्यान अपनी जनसभा में पहुंचने पर था।
तत्कालीन बीजेपी के जिला महामंत्री रहे बृजभूषण सिंह मुन्नू अपनी कार से उन्हें लेने के लिए एट स्टेशन पहुंचे। जनसभा को संबोधित करने के बाद वह अपने करीबी रहे पूर्व मंत्री बाबू राम एमकॉम के आवास पर रुके। अगले दिन उन्हें यहां से लखनऊ के लिए रवाना होना था।
कार हादसे के बाद वह ट्रक से निकल पड़े थे लखनऊ
जिले में हो रही बारिश के बीच कल्याण सिंह ने जनसभा को संबोधित किया। लेकिन अगले दिन भी बारिश न थमी। ऐसे में उन्हें कार से लखनऊ के लिए रवाना किया गया था। लेकिन शायद उनकी किस्मत को कुछ और मंजूर था।
पुखरायां में हुए ऐक्सिडेंट में वह तो बाल-बाल बच गए। लेकिन उनकी कार डैमेज हो गई थी। अब उनका लखनऊ पहुंचना बहुत जरूरी था। ऐसे में कार्यकर्ताओं ने उन्हें नए साधन का इंतजाम करने का आश्वासन दिया। लेकिन वह नहीं माने और ट्रक पर बैठकर ही लखनऊ के लिए रवाना हो गए।
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