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36 साल बाद सिख दंगे में एसआईटी के हाथ लगा सबूत….

गोविंद नगर थाना क्षेत्र स्थित दबौली में रहने वाले तेज प्रताप सिंह (46) अपने परिवार के साथ रहते थे। 01 नवंबर 1984 को तेज प्रताप सिंह और उनके बेटे सत्यवीर सिंह (22) की हत्या कर दंगाइयों ने शव को घर के अंदर जला दिया था। पीड़ित परिवार ने इसकी एफआईआर गोविंद नगर थाने मे दर्ज कराई थी, लेकिन कोई गवाह और सबूत नहीं मिलने के कारण फाइल को बंद कर दिया गया था। इस घटना के बाद पूरा परिवार कानपुर छोड़कर पंजाब के जालंधर में शिफ्ट हो गया था।

ऐसे हुआ खुलासा
एसआईटी के दारोगा कमलेश कनौजिया और सुशील अवस्थी एक मामले की जांच में जालंधर गए थे। जहां इनकी मुलाकात मृतक सत्यवीर के बेटे चरणजीत सिंह हो गई। चरणजीत सिंह ने दारोगा को पूरा घटनाक्रम बताया। इसके साथ ही एफआईआर कॉपी भी मुहैया कराई। चरणजीत सिंह ने बताया कि दंगे के बाद से कानपुर के दबौली में मकान 36 साल से बंद पड़ा है।

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पीड़ितों के बयान दर्ज
जालंधर से लौटने के बाद एसआईटी की टीम ने फरेंसिक टीम के साथ उस मकान पर पहुंची, जहां पर पिता-पुत्र की हत्या करने के बाद शव को जलाया गया था। फरेंसिक टीम ने घटना स्थल से मानव खून के नमूने मिलने की पुष्टि की है। इस मामले में एसआईटी ने पीड़ितों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए हैं। एसआईटी के एसएसपी बालेंदु भूषण के मुताबिक, सिख दंगे से जुडे़ मामलों की भी जांच की जा रही है। घटना संबधित जो भी तथ्य प्रकाश में आएंगे, उससे अवगत कराया जाएगा।