इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जन्म तिथि निर्धारित करने के लिए हाई स्कूल प्रमाणपत्र को सर्वाधिक मान्य दस्तावेज करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि हाईस्कूल का प्रमाणपत्र उपलब्ध है तो आधार कार्ड, पैन कार्ड या मेडिको लीगल जांच रिपोर्ट पर विचार करने का प्रश्न नहीं उठता। कोर्ट ने कहा कि यदि हाई स्कूल प्रमाणपत्र में दर्ज जन्म तिथि पर आपत्ति की गई है। उसकी विश्वसनीयता पर सवाल है तो स्थानीय निकाय द्वारा जारी दस्तावेज मान्य होगा। इसके न होने पर ही मेडिकल जांच रिपोर्ट स्वीकार की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड में दर्ज जन्म तिथि पर आयु निर्धारण विचारणीय नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड व मेडिकल जांच रिपोर्ट में आयु भिन्न होने से हाई स्कूल प्रमाणपत्र और याची की मां के बयान पर अविश्वास नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने द्वितीय याची के शादी के समय नाबालिग होने के कारण संरक्षण देने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल ने मेरठ के अंकित व अन्य की याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि आधार कार्ड, पैन कार्ड में दर्ज जन्म तिथि से दोनों बालिग हैं। संविधान के जीवन की स्वतंत्रता के मूल अधिकार के तहत किसी को उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। घर वालों को हस्तक्षेप करने से रोका जाए। लड़की की मां ने एफआईआर दर्ज कराई थी और याची पर नाबालिग लड़की का अपहरण करने का आरोप लगाया है। मां की तरफ से अधिवक्ता का कहना था कि प्रथम याची के खिलाफ विभिन्न थानों में गैंग्स्टर एक्ट सहित चार आपराधिक केस दर्ज हैं। वह आपराधिक प्रकृति का व्यक्ति है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों व कानून से स्पष्ट है कि जब हाई स्कूल प्रमाणपत्र है तो जन्म तिथि निर्धारित करने के लिए अन्य किसी दस्तावेज को स्वीकार नहीं किया जाएगा। द्वितीय याची ने हाई स्कूल प्रमाणपत्र पर दर्ज जन्म तिथि पर कोई आपत्ति नहीं की है। हाई स्कूल प्रमाणपत्र के अनुसार द्वितीय याची की आयु शादी के समय 17 साल थी, इसलिए याचिका खारिज की जाए।
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