03 aug 2021
जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी ब्रांच ने रविवार को आदेश जारी कर पत्थरबाजी करने वालों का सरकारी नौकरी और पासपोर्ट के लिए पुलिस वेरिफि केशन न करने की बात कही थी। इससे आतंकवादियों और उनके समर्थकों को जोर का झटका लगा है। ऐसे में कश्मीर के राजनीतिक दल आदेश का विरोध कर रहे हैं। सवाल ये है कि ये नेता आखिर आतंकियों के मददगारों का पक्ष क्यों लेते हैं? राज्य के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वाइस प्रेसिडेंट उमर अब्दुल्ला ने पुलिस के आदेश का विरोध किया है।
उन्होंने लिखा है कि पुलिस की रिपोर्ट किसी भी अदालत के फैसले की जगह नहीं ले सकती। उमर ने लिखा है कि करीब डेढ़ साल पहले पुलिस ने उनकी नजरबंदी को भी सही ठहराया था, लेकिन कोर्ट ने उस आदेश को गलत ठहरा दिया।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस मसले पर तो अभी तक कुछ नहीं कहा है, लेकिन पहले वह पुलिस रिपोर्ट के मसले पर अपनी नाराजगी जता चुकी हैं। दरअसल, महबूबा का पासपोर्ट रिन्यू होना था, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ रिपोर्ट दी थी। जिसकी वजह से महबूबा का पासपोर्ट दोबारा बन नहीं सका।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी ब्रांच ने नए आदेश में आतंकियों के मददगारों और पत्थरबाजों के सरकारी काम के लिए वेरिफिकेशन न करने का आदेश दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि किसी भी ऐसे शख्स का वेरिफिकेशन करने से पहले पुलिस संबंधित के बारे में अच्छी तरह जानकारी जुटाए। इसके लिए वीडियो वगैरा की जांच करने का भी फैसला किया गया है।
बीते कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर की सरकार ने आतंकवादियों के मददगारों पर जमकर वार किया है। इसके तहत कई सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त भी किया गया था। बर्खास्त होने वालों में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे भी हैं।
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