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पुल निर्माण में भ्रष्टाचारः 6 वर्षों में ही टूट गया 14 गांवों को जोड़ने वाला पुल….

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यह पुल निर्माण के समय ही विवादों में आ गया था, क्योंकि ग्रामीणों ने इस पुल के निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल किये जाने व मानकों के विपरीत कार्य किये जाने का आरोप लगाकर शिकायत की थी, जिसमें जांच भी हुई थी,परन्तु भ्रष्टाचार के चलते इस जांच में लीपापोती करते हुए इस पुल का निर्माण करा दिया गया था।

घटिया सामग्री के इस्तेमाल किये जाने के कारण यह पुल छह वर्ष भी नहीं चल पाया। यह पुल छह माह से बंद है और इस पर चेतावनी बोर्ड लगा हुआ है। दूसरी ओर अंग्रेजों द्वारा बिना सरिये व सिमेंट के बनाया गया पुल आज भी 14 ग्रामों के सम्पर्क को जोड़कर रखे हुए है। उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ग्रामीणों की समस्‍या को देखते हुए इस मामले की जांच कराने की बात कह रहे हैं।

पुल निर्माण में हुआ था विवाद
तहसील जानसठ के 14 ग्रामों को जोड़ने वाले सम्पर्क मार्ग खेड़ी फिरोजाबाद में गंगनहर पर पुल बनाये जाने के लिए वर्ष 2013 में प्रस्ताव पारित हुआ था। इस पुल निर्माण के लिए लगभग 2.5 करोड़ रूपये का टेण्डर छोड़ा गया था, जिसे अजय ठेकेदार ने प्राप्त किया था। सितम्बर 2013 में अजय ठेकेदार ने इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराया था। जब इस पुल का निर्माण कराया जा रहा था, तो पुल निर्माण में घटिया साम्रगी लगाने पर खेड़ी फिरोजाबाद निवासी रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर करतार सिंह पुत्र बुध सिंह ने इसकी शिकायत 16 नवम्बर 2013 में तत्कालीन मुख्य अभियन्ता गंगा मेरठ एके गुप्ता से की थी, परन्तु कोई कार्रवाई न होने पर इसकी शिकायत 18 नवम्बर 2013 को सचिव सिंचाई विभाग को भी की गई थी। दोनों स्थानों पर शिकायत किये जाने के बाद भी जब इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, तो करतार सिंह ने 10 जनवरी 2014 को प्रमुख सचिव सिंचाई/प्रमुख सचिव गृह को की थी।

प्रमुख सचिव सिंचाई ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए इसकी जांच पूर्व मुख्य अभियन्ता को सौंप दी थी। जांच सौंपे जाने के बाद पूर्व मुख्य अभियन्ता ने करतार सिंह को पत्र लिखकर शिकायत की पुष्टि की थी, जिस पर करतार सिंह ने शपथ पत्र देकर जांच कराये जाने की मांग की थी। इस जांच में भी अधिकारियों व ठेकेदार की मिलीभगत के बाद लीपापोती हो गई थी और घटिया सामग्री से ही पुल का निर्माण हो गया था, जिसका खामियाजा आज ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

अधिशासी अभियन्ता पर लगा था भ्रष्टाचार का आरोप
पुल निर्माण में तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता हृदय नारायण सिंह पर अधिनस्थों व ठेकेदार पर दबाव बनाकर पुल निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कराये जाने के आरोप लगे थे, परन्तु हृदय नारायण ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए इस मामले में हुई शिकायतों का आसानी से निस्तारण करा दिया था और पुल का निर्माण घटिया सामग्री से ही हो गया था। इस मामले में हुई जांच में अधिशासी अभियन्ता को क्लीन चिट मिलने को लेकर जांच अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हुए थे।

शिकायत करने पर गांव में हुई थी मुनादी
जब इस पुल निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कराया जा रहा था, तो ग्रामीणों द्वारा एक के बाद एक शिकायत की जा रही थी, तो ठेकेदार द्वारा गांव में मुनादी कराई गई थी कि यदि किसी ग्रामीण ने शिकायत की, तो उसके खिलाफ कार्रवाई करायी जायेगी, जिससे सीधे-साधे ग्रामीण डर गये थे और शिकायत करनी बंद कर दी थी।