यूपी: एक हजार साल पुराना है कल्पवृक्ष….. – Lok Shakti

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यूपी: एक हजार साल पुराना है कल्पवृक्ष…..

कल्पवृक्ष के अतीत में कई रोमांचक इतिहास छिपा हैआम लोगों की श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है कल्पवृक्षवृक्ष के फल और फूल को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता हैपंकज मिश्रा, हमीरपुर
यूपी के हमीरपुर शहर में यमुना नदी किनारे एक हजार साल पुराने कल्पवृक्ष को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संवारने के लिए वन विभाग ने खास प्लान बनाया है। इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने कल्पवृक्ष को दूर से प्रणाम करने और इसके नीचे दीये जलाने से आम लोगों को मना किया है। यह कल्पवृक्ष बुंदेलखंड क्षेत्र का इकलौता वृक्ष है, जिसके अतीत में कई रोमांचक इतिहास छिपा है।

हमीरपुर शहर यमुना और बेतवा नदियों से चारों ओर से घिरा है। करीब सात किमी लम्बाई में बसा यह शहर बड़ा ही रमणीक लगता है। यहां यमुना नदी किनारे तट पर कल्पवृक्ष आम लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इस वृक्ष की मोटाई करीब सोलह फीट से अधिक है। वहीं, ऊंचाई भी पैंतालीस फीट है। यमुना नदी के तट पर यह वृक्ष बड़ा ही सुन्दर दिखता है। जिसे देखने के लिए अनायास ही लोगों की भीड़ उमड़ती है। शुरू में इसकी पहचान परिजात वृक्ष के रूप में हुई, लेकिन बाद में वन विभाग ने रिसर्च करने के बाद इसे कल्पवृक्ष का नाम दिया। वन विभाग के उप प्रभागीय अधिकारी (एसडीओ) संजय शर्मा ने शुक्रवार को बताया कि यह कल्पवृक्ष है, जो बहुत ही प्राचीन है।

उन्होंने बताया कि इसकी आयु भी हजार साल से कम नहीं दिखती है। बताया कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में यहीं इकलौता वृक्ष है, जो सबसे अधिक ऑक्सिजन देता है। उन्होंने बताया कि शासन ने सौ साल पुराने वृक्ष को संरक्षित करने के लिए निर्देश दिए थे। जिसमें कल्पवृक्ष को सूची में शामिल कर रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। फिलहाल इस पौराणिक वृक्ष को संवारने और सुरक्षित रखने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह इस वृक्ष को दूर से ही प्रणाम करें। कल्पवृक्ष को चारों ओर से लोहे की रेलिंग लगाकर संरक्षित भी कराया गया है।

सर्दियों के मौसम में कल्पवृक्ष के झड़ जाती है पत्ती
यह ऐतिहासिक कल्पवृक्ष सर्दियों के मौसम में तो सूख जाता है। वृक्ष में एक भी पत्ती नहीं रहती है, लेकिन गर्मी शुरू होते ही यह हरा भरा होने लगता है। भीषण गर्मी के दिनों में इस वृक्ष में ढाई सौ ग्राम वजन तक फूल आते है। इसमें फल भी आते हैं, लेकिन इस वृक्ष में बीज नहीं होते हैं। वृक्ष के फल और फूल को औषधि के रूप में प्रयोग करने के लिए लोग घर ले जाते हैं। सर्दियों में सूखना और गर्मी में कल्पवृक्ष का हरा भरा होने का नजारा भी बड़ा रमणीक लगता है।