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गोधन न्याय योजना के शानदार एक वर्ष पूर्ण: पिछले वर्ष 20 जुलाई को हरेली से शुरू हुई थी योजना

मुख्यमंत्री ने गोबर संग्राहकों, स्व-सहायता समूहों, गौठान समितियों और स्वावलंबी गौठानों को कुल 31.20 करोड़ रूपए की राशि का किया अंतरण गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को एक वर्ष में 97.55 करोड़ रूपए का भुगतान योजना से 1.71 लाख हितग्राही हो रहे हैं लाभान्वित

गौठानों में संचालित आर्थिक गतिविधियों से महिला स्व-सहायता समूहों को 31.41 करोड़ रूपए की आययोजना की देशभर में चर्चा

  रायपुर, 20 जुलाई 2021/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज प्रदेश में गोधन न्याय योजना प्रारंभ होने के 1 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ जैविक राज्य के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना ने गौपालक, किसानों के साथ-साथ गोबर बेचने वाले भूमिहीन लोगों को आय का एक नया जरिया उपलब्ध कराया है बल्कि इस योजना के माध्यम से महिला स्व सहायता समूहों की लगभग 80 हजार महिलाएं भी आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रही हैं। प्रदेश में गोधन न्याय योजना की शुरूआत पिछले वर्ष हरेली के त्यौहार के अवसर पर 20 जुलाई से प्रारंभ हुई थी। योजना के एक वर्ष पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री ने पशुपालकों और प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

गोधन न्याय योजना प्रारंभ होने से लेकर एक वर्ष की अवधि में गोबर संग्राहकों से 48.77 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई तथा गोबर संग्राहकों को कुल 97 करोड़ 55 लाख रूपए की राशि का भुगतान किया गया। इसी तरह अब तक स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को लाभांश की राशि के रूप में कुल 35 करोड़ 41 लाख रूपए का भुगतान किया गया। गोधन न्याय योजना से प्रदेश के एक लाख 71 हजार से अधिक पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं। लाभान्वित होने वालों में 76 हजार से अधिक भूमिहीन लोग हैं। गोधन न्याय योजना और सुराजी गांव योजना के तहत गौठानों में सामुदायिक बाड़ी, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मुर्गीपालन, पशुपालन, मछली पालन, गोबर के दीये और गमले निर्माण, गौकाष्ठ निर्माण जैसी आर्थिक गतिविधियों से 8 हजार 874 महिला स्व-सहायता समूहों को लगभग 31 करोड़ 41 लाख रूपए की आय हुई है। प्रदेश में स्वीकृत 10 हजार 82 गौठानों में से 5883 गौठान सक्रिय हैं। इनमें से 1160 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं।


मुख्यमंत्री ने आज कार्यक्रम में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर संग्रहण, स्व-सहायता समूहों, गौठान समितियों को लाभांश की राशि तथा प्रोत्साहन राशि के रूप में गौठान प्रबंधन समिति और स्वावलंबी गौठानों को कुल 31 करोड़ 20 लाख रूपए की राशि का अंतरण किया। इस राशि में से गोबर संग्राहकों के खाते में 43 लाख रूपए, महिला स्व-सहायता समूहों को लाभांश 2 करोड़ 66 लाख रूपए, गौठान समितियों को 3 करोड़ 69 लाख रूपए की राशि, प्रोत्साहन राशि के रूप में गौठान प्रबंधन समितियों को 23 करोड़ 28 लाख रूपए, स्वावलंबी गौठानों को एक करोड़ 14 लाख रूपए की राशि का ऑनलाइन अंतरण किया गया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना बहुआयामी लाभ देने वाली योजना है। योजना के माध्यम से तैयार हो रही है वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से ना केवल भूमि की उर्वरता बढ़ेगी बल्कि हमें जैविक अनाज और जैविक कृषि उत्पाद भी मिलेंगे। आज रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की कीमतों और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। रासायनिक उर्वरकों की मांग के अनुरूप पर्याप्त आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है, ऐसे में वर्मी कंपोस्ट और गोमूत्र से निर्मित दवाइयों के उपयोग से कृषि की लागत कम होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के जरिए खरीदे गए गोबर से लगभग 9 लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट का उत्पादन महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया गया है और सहकारिता के माध्यम से इस मात्रा का 70 प्रतिशत वर्मी कंपोस्ट तथा सुपर कंपोस्ट का वितरण भी किया जा चुका है।


मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रदेश में किसानों का खेती की ओर रूझान बढ़ा है। गोधन न्याय योजना से डेयरी को भी लाभ हो रहा है। पिछले एक वर्ष में गौठानों का निर्माण किया गया। गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन की व्यवस्था पशुओं के लिए कोटना, गौठानों में घेरा की व्यवस्था की गई। गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से वहां महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से विभिन्न आर्थिक गतिविधियां प्रारंभ की गई। गोबर खरीदी की राशि, लाभांश राशि के ऑनलाइन वितरण की व्यवस्था तैयार की गई। सहकारिता के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट की वितरण की व्यवस्था भी की गई। एक वर्ष की अवधि में जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों के सहयोग से इन व्यवस्थाओं को विकसित करने का सराहनीय प्रयास किया गया है, लेकिन अभी और भी कार्य किए जाने हैं, जिनमें मवेशियों के लिए हरे चारे की व्यवस्था करने का कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि नवंबर-दिसंबर के बाद लगभग 8 माह हरे चारे की कमी रहती है, इस समस्या को हल करने के लिए सभी गौठानों में नेपियर घास के उत्पादन सहित जंगलों में भी घास उत्पादन करने के निर्देश दिए गए हैं। इस तरह उत्पादित घास साइलेज बनाकर पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था की जानी है।


कृषि मंत्री श्री रवीन्द्र चौबे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गोधन न्याय योजना गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। यह योजना प्रदेश के विकास में भी महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना की चर्चा पूरे देश में है। तीन-तीन पार्लियामेन्ट्री कमेटियों ने इस योजना की सराहना करते हुए इस योजना को पूरे देश में लागू करने की अनुशंसा की है। प्रदेश के 3 हजार से अधिक गौठान मॉडल स्वरूप ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रदेश की गोधन न्याय योजना को देखने और समझने के लिए राजस्थान से 12 आईएएस अधिकारियों का अध्ययन दल छत्तीसगढ़ प्रवास पर आया था। उन्होंने योजना और गौठानों की व्यवस्था की सराहना की और इसे अनुकरणीय बताया।
मंत्री श्री चौबे ने भी योजना के एक वर्ष पूर्ण होने पर पशुपालकों और प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम के दौरान कृषि विभाग के विशेष सचिव और गोधन न्याय योजना के नोडल अधिकारी डॉ. एस. भारतीदासन ने योजना पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि गौठान प्रबंधन समितियों को 40 हजार रूपए प्रति गौठान के मान से 23.48 करोड़ रूपए प्रदेश के स्वावलंबी गौठानों को 10 हजार प्रति गौठान के मान से 1.14 करोड़ रूपए की राशि प्रोत्साहन रािश के रूप में दी गई है।


कार्यक्रम में गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन और मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन कृषि विभाग के संचालक श्री यशवंत कुमार ने किया।