बिना नाम लिए ओवैसी का SP पर वार – Lok Shakti

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बिना नाम लिए ओवैसी का SP पर वार

हाइलाइट्स:19 पर्सेंट आबादी वाले मुसलमानों का एक भी जिलाध्यक्ष नहीं-ओवैसीओवैसी ने पूछा-क्या बाक़ी सदस्य भाजपा के गोद में बैठ गए हैं?SP के गढ़ वाले जिलों नाम लेकर बोले-परिवार विशेष का रहा दबदबालखनऊउत्तर प्रदेश में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की क्लीन स्वीप करते हुए शानदार जीत दर्ज की है। वहीं सबसे बड़ा झटका समाजवादी पार्टी को लगा है, जिसके हाथ केवल 6 सीटें आईं हैं। अब समाजवादी पार्टी के जले पर नमक छिड़कने का काम एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने किया। रविवार को ओवैसी ने सिलसिलेवार तरीके से एक के बाद एक ट्वीट करते हुए समाजवादी पार्टी नाम लिए बिना उस पर करारा हमला किया।’19 पर्सेंट आबादी वाले मुसलमानों का एक भी जिलाध्यक्ष नहीं’असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के 19 प्रतिशत आबादी वाले मुसलामानों का एक भी जिला अध्यक्ष नहीं है।

मंसूबा बंद तरीक़े से हमें सियासी, रोजगार और समाजिक तौर पर दूसरे दर्जे का शहरी बना दिया गया है।ओवैसी ने पूछा-क्या बाक़ी सदस्य भाजपा के गोद में बैठ गए हैं?ओवैसी यहीं नहीं रुके उन्होंने दूसरा ट्वीट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की एक सियासी पार्टी खुद को भाजपा का सबसे प्रमुख विपक्षी दल बताती है। ज़िला पंचायत के चुनाव में उनके 800 सदस्यों ने जीत दर्ज की थी, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में मात्र 5 अध्यक्ष की सीटों पर उनकी जीत हुई है ऐसा क्यों? क्या बाक़ी सदस्य भाजपा के गोद में बैठ गए हैं?SP के गढ़ वाले जिलों नाम लेकर बोले-परिवार विशेष का रहा दबदबाओवैसी ने समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले जिलों के नाम गिनाते हुए कहा कि मैनपुरी, कन्नौज, बदायूँ, फ़र्रूख़ाबाद, कासगंज, औरैया, जैसे ज़िलों में इस पार्टी के सबसे ज़्यादा प्रत्याशी जीत कर आए थे, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव फिर भी हार गए, इन सारे ज़िलों में तो कई सालों से ‘परिवार विशेष’ का दबदबा भी रहा है।’

बीजेपी से डरना नहीं है, बल्कि जम्हूरी तरीके से लड़ना है’इसके बाद ओवैसी ने एक तरह से खुद को ही समुदाय विशेष का रहनुमा बताते हुए कहा कि अब तो हमें एक नई सियासी तदबीर अपनाना ही होगा। जब तक हमारी आज़ाद सियासी आवाज़ नहीं होगी तब तक हमारे मसाइल हल नहीं होने वाले हैं। भाजपा से डरना नहीं है, बल्कि जम्हूरी तरीके से लड़ना हैसमाजवादी पार्टी ने बुरी तरह हुई हारजिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में बीजेपी से अधिक सीटें जीतने वाली सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। कई जिलों में पार्टी के पंचायत सदस्य भी बीजेपी के साथ हो लिए। यही वजह रही कि पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी के जहां 67 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष जीते, वहीं समाजवादी पार्टी को 6 जिलों में ही जीत से संतोष करना पड़ा।UP जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के नतीजों से बीजेपी में जश्न, एसपी हैरान… पूरा विश्लेषणबीजेपी ने दर्ज की है रेकॉर्ड जीतउत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्षों की 75 में से 67 सीटों पर बीजेपी समर्थित उम्मीदवार विजयी हुए हैं। प्रदेश के 22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गये हैं जिनमें इटावा जिले को छोड़कर 21 निर्वाचित अध्यक्ष सत्तारूढ़ बीजेपी के हैं। इटावा में समाजवादी पार्टी को जीत मिली है।UP Chunav 2022: 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी AIMIM, देखिए मायावती ने बयान पर क्या बोले ओवैसी.