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गाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव, बीएसपी की खामोशी से क्यों खुश हैं बीजेपी और सपा-आरएलडी?

गाजियाबादगाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 3 जुलाई को होगा। इसे हासिल करने के लिए बीजेपी और सपा-आरएलडी के संयुक्त प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव में सर्वाधिक 5 सीटें जीतने के बावजूद बीएसपी की सुस्ती दोनों के ही चुनावी रणनीतिकारों के लिए खुशी का कारण बनी हुई है। उन्हें उम्मीद है कि यदि बीएसपी चुनाव नहीं लड़ती तो उसके सदस्यों का समर्थन मिल सकता है। बीजेपी को पांच सदस्यों के समर्थन की दरकार होने के बावजूद सत्ता की ताकत पर भरोसा है। बुधवार को जनपद के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के संबंध में बीजेपी संगठन के पदाधिकारियों और रणनीतिकारों से बातचीत की। वहीं सपा-आरएलडी इस जीत के लिए मात्र दो ही सदस्यों का समर्थन की जरूरत होने कारण वह प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं।जिला पंचायत अध्यक्ष बोर्ड के लिए 14 वार्डों में हुए चुनाव में सबसे ज्यादा 5 सीटें बीएसपी ने जीती है।

आरएलडी और सपा के पक्ष में तीन-तीन सीटें, वहीं बीजेपी को मात्र दो पर संतोष करना पड़ा। हालांकि एक निर्दलीय सदस्य परमिता के पति पूर्व में बीजेपी से जुड़े होने के कारण उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। बीजेपी सूत्र बताते हैं कि जिस प्रकार से पंचायत चुनाव के 14 वॉर्ड में बीजेपी के पक्ष में मात्र दो ही सीटें आई हैं, उसको लेकर पार्टी के रणनीतिकार काफी परेशान है। बीजेपी को डर है कि चूंकि 2022 में विधानसभा चुनाव भी है और यदि जिला पंचायत अध्यक्ष का पद न मिला तो ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी कमजोर साबित हो सकती है। बीजेपी की ओर से पार्टी के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष बसंत त्यागी की पत्नी ममता त्यागी तैयारी में जुटी है। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और आरएलडी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों की संयुक्त उम्मीदवार धौलाना विधायक असलम की पत्नी नसीम चौधरी है। सपा-आरएलडी के पास कुल 6 सीटें हैं। उसे सीधे मुकाबले में मात्र 2 सीटों की जरूरत होगी।

जो हासिल करना उसके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। विधायक असलम चौधरी बेशक अभी बीएसपी से निलंबित है, परंतु उनके पार्टी के अच्छी पैठ हैं। वह मानकर चल रहे हैं बीएसपी के सदस्यों को अपने पक्ष में कर लेंगे। बीएसपी की जिला पंचायत चुनाव की रणनीति के बारे में पार्टी की ओर से कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 26 जून से प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 29 जून को नाम वापसी के बाद 3 जून को मतदान 11 बजे से 3 बजे तक होगा और फिर मतगणना के बाद परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।बीजेपी विधायक टेंशन मेंजिला पंचायत चुनाव सबसे ज्यादा परेशान बीजेपी के संगठन पदाधिकारियों के अलावा बीजेपी के विधायकों को कर रहा है। जिले की पांचों विधायक बीजेपी के हैं। इसके अतिरिक्त सांसद, राज्यसभा सदस्य, एमएलसी और मेयर भी बीजेपी के हैं। विधायकों को इस बात का डर है कि यदि जिला पंचायत अध्यक्ष पद बीजेपी के खाते में न आया तो पार्टी आलाकमान 2022 के चुनाव में उनके टिकट पर विचार कर सकता है।