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राममंदिर ट्रस्ट पर AAP और SP का फैलाया झूठ आया सामने

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15 JUNE 2021

राई का पहाड़ बनाना तो कोई वामपंथियों से सीखे। जब कुछ नहीं मिला तो अब राम मंदिर में घोटाले का दावा कर रहे हैं। हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं, ये शत प्रतिशत सत्य है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि श्री राम मंदिर जन्मभूमि ट्रस्ट जमीन की खरीद फरोख्त में हेर फेर कर रहा है। कल लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय पर गंभीर आरोप लगाए।

AAP सांसद संजय सिंह के अनुसार अयोध्या में जमीन की गाटा संख्या 243, 244, 246 है, जिसकी कीमत 5 करोड़ 80 लाख रुपए है, उसे 2 करोड़ रुपये में पहले खरीदा गया, इसके बाद सुल्तान अंसारी ने इस जमीन की खरीदारी में करोड़ो का हेर-फेर किया। संजय सिंह ने यहाँ तक दावा किया कि अयोध्या के मेयर तक इस घोटाले में शामिल थे। संजय सिंह के अनुसार, 18 मार्च 2021 को ये जमीन शाम को 7 बजकर 10 मिनट पर खरीदी गई, इसके 5 मिनट बाद 2 करोड़ रुपए में खरीदी गई जमीन को राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीदा।

इस मामले की जाँच CBI और ED से कराने की माँग करते हुए संजय सिंह ने एंग्रीमेंट व बैनामा के स्टाम्प और समय, सब में हेर-फेर का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि राम मंदिर ट्रस्ट की जमीन का एग्रीमेंट 5:11 में खरीदा गया और जमीन का स्टाम्प 5:22 में। साथ ही ट्रस्ट में प्रस्ताव पारित कराए बिना 5 मिनट में जमीन बेचने का फैसला लेने का आरोप भी लगाया है। कुल मिलाकर उनका सवाल ये था कि 18 मार्च को जिस जमीन को 2 करोड़ रुपए में खरीदा गया, उसी जमीन का 10 मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ रुपए में एग्रीमेंट क्यों हुआ?

परंतु बात केवल वहीं पर नहीं रुकी। संजय सिंह वास्तव में इस मामले को लेकर कितने गंभीर थे, ये इसी बात से स्पष्ट था कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे खुशी दुबे को भी साथ लाए थे, ताकि वे जातिवादी कार्ड खेल सके। खुशी दुबे मृत गैंगस्टर विकास दुबे की पत्नी हैं, जिस पर पिछले वर्ष कानपुर के बिकरु गाँव में कई पुलिस कर्मियों की जघन्य हत्या की थी, इसके बाद पुलिस एनकाउन्टर में वो मारा गया था।

असल में वामपंथियों से ये बर्दाश्त नहीं हो रहा है कि इतनी बाधाओं के बावजूद श्री रामजन्मभूमि परिसर पुनर्निर्माण के लिए आखिर तैयार कैसे है?

लेकिन अब चंपत राय ने खुद इसका जवाब देकर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। उनके अनुसार, “ट्रस्ट ने निर्माणाधीन राम मंदिर के आसपास के छोटे-मोटे मंदिरों और गृहस्थों की जमीन खरीदी। परकोटा व रीटेनिंग दीवार की वस्तु में सुधार, पूर्व-पश्चिम दिशा में आवागमन की सुविधा, खुला मैदान रखने के लिए और सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा आवश्यक था। साथ ही जिनसे भूमि ली गई है, उनके पुनर्वास की भी समुचित व्यवस्था की जा रही है”।

चंपत राय ने आगे ये भी बताया कि कार्य सहमति के आधार पर किया जाता है और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी होते हैं। उनके अनुसार, “अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही यहाँ जमीन के भाव अचानक से बढ़ गए, क्योंकि कई इलाकों से लोग आकर यहाँ भूमि खरीदने लगे। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए भूमि खरीद रही है। जिस भूखंड को लेकर संजय सिंह से आरोप लगाया, उसे रेलवे लाइन के पास खरीदा गया है। ये एक प्रमुख स्थान है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट ने अब तक जितनी भी भूमि खरीदी है, उसे खुले बाजार की कीमत से कम पर ही लिया गया है। उस भूमि को बेचने वालों ने वर्षों पूर्व अनुबंध करा लिया था। मार्च 18, 2021 को इसका बैनामा हुआ। फिर ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया गया। ये आरोप भ्रामक, गुमराह करने वाला और राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित हैं”। इस पर अभिषेक द्विवेदी नामक ट्विटर यूजर ने ट्विटर थ्रेड के माध्यम से विस्तार से वैधानिक पक्ष के अनुसार बताया भी है।

ऐसे में ये कहना नहीं गलत होगा कि अपनी कुंठा में आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में वामपंथियों ने एक बार फिर श्री रामजन्मभूमि परिसर पर निशाना साधा है, लेकिन अपने अति उत्साह में वामपंथी ये भूल गए कि प्रशासन पहले से ही तैयार बैठा था। प्रशासन ने इनके खोखले दावों को पटक पटक के धोया है।

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