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चौपालों में रामकथा से बच्चों में डाले जाते थे संस्कार, बुंदेलखंड की सालों पुरानी परम्परा को लग गया ग्रहण

पंकज मिश्रा, हमीरपुरउत्तर प्रदेश के हमीरपुर समेत समूचे बुंदेलखंड के गांवों की चौपालों में रामकथा के माध्यम से बच्चों में संस्कार डाले जाने की परम्परा अब अतीत बन गई है। चौपालों में रामायण पढ़ने और सुनने की परम्परा भी अब बदलते समय के साथ साप्ताहिक चौपालों में देवी गीतों की धूम तक सिमट गई है।एक वक्त था जब घर-घर रामचरित मानस के माध्यम से राम कहानी नित्य पढ़ी और सुनी जाती थी। गांवों की चौपालों में भी रामकथा गाई जाती थी, लेकिन बदलते परिवेश में अब घर-घर रामायण भी नहीं सुनाई देती है। चौपालों में रामायण पढ़ने की परम्परा पिछले कुछ सालों से विलुप्त सी हो चली है, लेकिन कहीं-कहीं आज भी गांवों की चौपालों में रामकथा की गाथा चंद लोगों के बीच अत्यंत आस्था के साथ गाई जाती है।चौपाल में प्रतिदिन रामायण के पढ़े जाते थे पांच दोहेहमीरपुर जिले के उजनेड़ी गांव के बुजुर्ग शिवकुमार दीक्षित ने बताया कि गांव में छह दशक पहले रामायण घर-घर रोज पढ़ी जाती थी। शाम ढलते ही कामकाज निपटाने के बाद घर के सभी सदस्य एक स्थान पर बैठकर रामायण पढ़ते थे। हर चौपाई के पीछे का भाव भी लोग समझते थे। प्रतिदिन कम से कम पांच दोहे जरूर पढ़े जाते थे। जिसे सुनने के लिए गांव के तमाम लोग समय निकालकर चौपाल में आते थे। स्तुति के साथ ही रामायण खोली जाती थी, लेकिन अब इस पुरानी परम्परा को ग्रहण लग गया है। पंडित दिनेश दुबे का कहना है कि रामायण हमें जीना सिखाती है। बच्चों में अच्छे संस्कार आते हैं, मगर पुरानी परम्परा की रामकथा नहीं पढ़ी जाती है।

इसीलिए घरों में आपसी कलह बढ़ गई है।रामकथा के माध्यम से जीवन के कल्याण की होती थी कामनाविदोखर गांव के आचार्य मिथलेश द्विवेदी ने बताया कि रामकथा के रसिक हनुमान जी का आह्वान करके वंदना प्रस्तुत करते हुए क्रमबद्ध दोहा के साथ चौपाई, सोरठा और छंदों का सस्वर वाचन किया जाता था। एक-एक शब्द के भाव तत्व को जानने समझने और समझाने का प्रयास भी चौपालों में किया जाता था। राम और रामायण के प्रति बराबर आस्था बरकरार तो है।, लेकिन उनके आदर्शों पर चलने वालों की कमी महसूस हो रही है। अब पहले की तरह चौपालों में रामायण के स्वर नहीं सुनाई देते हैं। सुमेरपुर क्षेत्र के कई गांव ऐसे है जहां एक या दो चौपालों में रामायण के माध्यम से भगवान श्रीराम का नाम लेकर जीवन के कल्याण के साथ गांव और आम लोगों की खुशहाली की कामना की जाती है।एक गांव में चार सालों से अनवरत चल रहा रामायण का पाठविदोखर पुरई गांव की एक चौपाल में पिछले चार सालों से अनवरत रामायण का पाठ चल रहा है।

आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता मिथलेश द्विवेदी ने बताया कि शंकर सिंह के यहां शाम को 4 से 5 बजे तक रामचरित मानस के माध्यम से राम की महिमा का गुणगान किया जाता है। शुभ अवसरों में ही घरों और मंदिरों में रामकथा के सुनाई देते हैं स्वरहमीरपुर के साहित्यकार भवानीदीन पंडित सुरेश मिश्रा ने बताया कि बुंदेलखंड के हमीरपुर के अलावा ललितपुर, झांसी, जालौन, महोबा, बांदा और चित्रकूट आदि जिलों के ग्रामीण इलाकों में किसी जमाने रामायण पढ़ने की परम्परा चौपालों में दिखती थी। रामकथा सुनने को चौपालों में भी अच्छी खासी भीड़ जुटती थी, मगर अब ये पिछले कुछ दशक से विलुप्त हो चली है। कहीं-कहीं चौपालों में देवी गीतों की धूम मचती है। Hamirpur News: इंडियन बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक ने की खुदकुशी, महिला सहकर्मी और उसके पति पर मुकदमाबुजुर्गें का कहना है कि शहरों की भांति गांवों में भी अब स्मार्ट फोन लोग चलाते हैं। उनमें रामकथा के प्रति कोई रुचि नहीं दिखती। इसीलिये गांवों में सम्मिलित परिवार भी टूटकर बिखर गए हैं। शुभ अवसरों में अब घरों और मंदिरों में ही रामायण के स्वर सुनाई देते हैं।