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भाजपा के ‘पश्चिम बंगाल मॉडल’ पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने ‘सजाई फील्डिंग’

जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दल भी सियासी मैदान में अपनी फील्डिंग मजबूत करने में लग गए हैं। समाजवादी पार्टी आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए अलग और नई रणनीति अपनाने के लिए अपने थिंक टैंक के साथ बीते कुछ दिनों में लगातार कई बैठकें कर चुकी है। जानकारी के मुताबिक समाजवादी पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश में वही दांव खेलने के मूड में है जो भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में खेला। यानी उन सब के लिए दरवाजे खुले हैं जो समाजवादी पार्टी की विचारधारा से मेल खाते हैं। कई दलों के नेता समाजवादी पार्टी के संपर्क में है।
भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी, समाजवादी पार्टी फायदा उठाने के मूड में
भारतीय जनता पार्टी के कई नेता और कई विधायक अंदरूनी तौर पर सरकार से और व्यवस्था से नाराज चल रहे हैं। इस बात की जानकारी ना सिर्फ जिम्मेदार पार्टी के पदाधिकारियों को बल्कि संघ के नेताओं को भी है। समाजवादी पार्टी से जुड़े और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी नेताओं का कहना है कि निश्चित तौर पर ऐसे नेता जो भारतीय जनता पार्टी में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं और उनकी विचारधारा समाजवादी पार्टी से मेल खाती है उन सभी का हम स्वागत करते हैं। हालांकि उक्त नेता ने इस बात से इनकार किया कि उनकी पार्टी खुद ऐसे नेताओं के संपर्क में है जो भाजपा में रहकर भाजपा से ही नाराज है।
समाजवादी पार्टी से जुड़े नेता का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के कई नेता और कई विधायक समाजवादी पार्टी के संपर्क में ज़रूर हैं। उनका कहना है कि न सिर्फ भाजपा बल्कि कुछ अन्य पार्टियों के नेता भी उनके संपर्क में हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि संपर्क में रहने वाले सभी नेताओं का उनकी पार्टी में आना तय है या सभी को पार्टी में लिया ही जाए, लेकिन राजनीति में ऊंट किस करवट बैठेगा का अंदाजा किसी को नहीं होता है। पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले अगर राजनीति पर नजर डालें तो पाएंगे कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से तृणमूल कांग्रेस में सेंध लगाई उससे एकबारगी तो टीएमसी भी सकते में आ गयी थी। पार्टी के बड़े बड़े कद्दावर और जनाधार वाले नेता भारतीय जनता पार्टी से लगातार जुड़ते जा रहे थे। भाजपा को एक बार यह तक कहना पड़ा कि अब किसी को भी अपनी पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि उसके बाद भी लगातार हर स्तर के नेताओं का भारतीय जनता पार्टी में समायोजन होता रहा। हाल के चुनाव में पश्चिम बंगाल का यह मॉडल उत्तर प्रदेश के चुनाव में समाजवादी पार्टी अपनाने की पूरी तैयारी में है।कहने को तो चुनाव से पहले नेताओं का अलग-अलग पार्टियों आना जाना कोई नई बात नहीं है। चुनाव विश्लेषक प्रोफेसर अनिरुद्ध नागर कहते हैं बीते कुछ समय में ऐसा ही चलन हो गया है कि आप जमीन पर काम करें यह जरूरी तो है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है कि जमीनी नेताओं को अपने साथ जोड़ लिया जाए। वह भले किसी भी दूसरी पार्टी का हो। इसके पीछे का राजनीति शास्त्र यही कहता है कि आपकी पार्टी की मेहनत और किसी भी दूसरे दल के बड़े जनाधार वाले नेता को तोड़कर अपने साथ मिलाने से ताकत निश्चित तौर पर बढ़ जाती है। जो चुनाव के दरमियान बड़े वोट बैंक के तौर पर उस पार्टी के साथ आ जाती है और नतीजे बदल जाते हैं। ऐसा पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी देखा गया, हालांकि भाजपा सरकार तो नहीं बना सकी लेकिन सीटें पिछले चुनाव के मुकाबले बहुत पा गयी। उससे पहले 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी यही देखा गया। भारतीय जनता पार्टी में बहुत छोटे बड़े नेता एन वक्त पर दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए और उनमें कई नेता जीतकर विधायक बने और पार्टी को मजबूत किया।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी कहते हैं समाजवादी पार्टी की अपनी एक विचारधारा है। हम अपनी विचारधारा के लोगों के साथ हमेशा से जुड़े हुए हैं। जो लोग कहीं भी किसी भी तरीके से हमारी विचारधारा से जुड़ते हैं उन सब का हमारी पार्टी स्वागत करती है। राजेंद्र चौधरी का कहना है इसे किसी भी राजनीतिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए क्योंकि समाजवादी पार्टी का गठन ही एक विचारधारा के साथ हुआ था। उनका कहना है की भारतीय जनता पार्टी ने पिछले चार साल में ऐसा कोई भी काम नहीं किया जिसको वह अपनी उपलब्धि के तौर पर बता सके। सत्ता पक्ष की हालत यह हो गई है कि उनके अपने नेता विधायक और मंत्रियों तक की सुनी नहीं जा रही है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी तौर पर क्या हो रहा है उससे उनकी पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। लेकिन यह बात निश्चित है कि इससे एक संदेश जरूर जाता है कि जनता के हितों में भाजपा सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। समाजवादी पार्टी का पूरा फोकस आने वाले विधानसभा के चुनाव पर है। कोविड प्रोटोकाल की गाइडलाइंस के मुताबिक पार्टी ने अपने बूथ स्तर से लेकर विधानसभा के एक-एक कार्यकर्ता को मजबूत करके चुनाव की तैयारियों में लगा दिया गया है।