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​बेरहम कोरोना ने छीनी एक ही परिवार के 8 लोगों की जिंदगी, एक साथ हुई 5 की तेरहवीं

लखनऊ में एक ऐसा परिवार है जहां महीने भर में कोरोना ने 8 लोगों की जान ले लीइस परिवार के 5 लोगों की तेरहवीं एक ही दिन हुईपरिवार के 8 सदस्य 25 अप्रैल से 15 मई के बीच कोरोना की चपेट में एक एक कर आते गएनिशिकांत त्रिवेदीकोरोना की दूसरी लहर इतनी घातक थी कि किसी बुजुर्ग से बुढापे का सहारा छीन लिया, किसी बेटे को अनाथ कर दिया, किसी का सुहाग मिटा दिया, किसी से हाथ में राखी बांधने वाली बहन तो किसी से रक्षा करने वाला उसका भाई छीन लिया। ऐसा ही एक परिवार राजधानी के लखनऊ से सटे इमलिया पूर्वा गांव में है जिसने कोरोना काल में अपना सबकुछ लुटा दिया। महज कुछ दिनों के भीतर कोरोना की चपेट में आने से घर के 4 बेटों, 2 बहनों, मां और बड़ी मां ने दम तोड़ दिया।गांव में रहने वाले ओमकार यादव के परिवार पर ऐसी विपदा आई कि कुछ रोज में सारी खुशियां उजड़ गईं। जहां कुछ महीनों पहले हंसते खेलते इस परिवार में सब एक साथ मिकलर खुशियां मनाते थे वहां चंद दिनों के भीतर 8 लोगों की मौत ने परिवार से जिंदगी भर की खुशियां छीन लीं। एक ही घर में 4-4 विधवाएं हो गईं, अब उन्हें कौन सहारा देगा ये सोच सोचकर ओमकार यादव बिलख कर रोने लगते हैं।एक दूसरे से छिपाते रहे मौतेंओमकार यादव का कहना है कि पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ गया था। एक साथ सबका इलाज हो रहा था, लेकिन जब मौतों का सिलसिला शुरू हुआ तो ऐसे हालात आ गए कि भाई को भाई की मौत, बेटे को मां की मौत की खबर भी नहीं दी गयी। ओमकार ने बताया कि उनके 4 भाइयों, मां और 2 बहनों की मौत कोरोना से हुई है जबकि बड़ी मां अपने सामने हुई बेटों की मौत बर्दाश्त नही कर सकीं, उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

अभिवावक स्पेशल बूथ, ठेला लगाने वालों को प्राथमिकता…यूपी में कोविड टीकाकरण पर ये बोले सीएम योगी25 दिन में हुईं 8 मौतें, मां बेटे ने एक ही दिन तोड़ा दमओमकार यादव के मुताबिक सभी मौतें 25 दिन के भीतर हुईं हैं। उनका कहना है कि उनकी मां और एक भाई की एक ही दिन अर्थी उठी थी। जिनकी मौत हुई हैं उनमें 56 वर्षीय मिथलेश कुमारी, 50 वर्षीय निरंकार सिंह यादव, 82 वर्षीय कमला देवी, 52 वर्षीय शैल कुमारी, 60 वर्षीय विनोद कुमार, 62 वर्षीय विजय कुमार, 85 वर्षीय रूपरानी और 35 वर्षीय सत्यप्रकाश हैं।आज से इन राज्यों में अनलॉक, क्या खुलेगा और क्या रहेगा बंद?प्रशासन जागता तो बच सकती थी कुछ लोगों की जान4 भाइयों की मौत से आहत ओमकार यादव ने बताया कि जिस वक्त कोरोना से उनका पूरा परिवार संक्रमित हुआ था उस वक्त प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं की गई, यही नहीं उनका कहना है कि 8 मौतों के बाद भी प्रशासन और सरकार की तरफ से कोई झांकने तक नहीं आया। गांव वालों का कहना है कि प्रशासन ने गांव में फैले संक्रमण के बावजूद सैनिटाइजेशन तक नही करवाया।ताक पर कोविड प्रोटोकॉल, लखनऊ के इकाना स्टेडियम में वैक्सीनेशन कराने को ऐसे दिखी भीड़.