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लखनऊ: लापता बेटे की तलाश के लिए पिता से दरोगा ने मांगी रिश्वत, JCP ने दिए जांच के निर्देश

हेमेन्द्र त्रिपाठी, लखनऊ
पुलिसकर्मियों की ओर से की जा रही वसूली के चलते दागदार हो रही खाकी से जुड़े अनेकों मामले अक्सर सामने आते ही रहते हैं, जिसके चलते आम लोग पूरे पुलिस महकमे को आरोपों के खतघरे में खड़ा कर देते हैं। इसी से जुड़ा हुआ एक नया मामला राजधानी लखनऊ से सामने आया, जहां बच्चे के लापता होने की शिकायत करने स्थानीय थाने पहुंचे पीड़ित पिता को लगातार कई दिनों तक भटकाया गया। इतने से मन न भरा तो मामले की जांच कर रहे दरोगा ने पीड़ित पिता से जांच के नाम पर हजारों की वसूली करना शुरू कर दिया। हालांकि, पीड़ित पिता की तहरीर पर लखनऊ के जेसीपी ने मामले की जांच आलाधिकारियों को सौंप दी है, साथ ही पुलिसकर्मी पर लगे आरोपों पर भी जांच कराने का आदेश उच्चाधिकारियों को सौंप दिया है।

‘कोचिंग में काम है’ कहकर घर से निकला था बेटा
पूरा मामला लखनऊ के मड़ियांव थाना क्षेत्र का है। जहां रहने वाले पीड़ित अंजनी कुमार मिश्रा ने बताया कि उनका 24 वर्षीय बेटा अनुपम मिश्रा उर्फ प्रेम बीते 21 अप्रैल को दोपहर तकरीबन 2 बजे कोचिंग जाने का हवाला देकर घर से निकला था। देर रात घर न पहुँचने पर उसके मोबाइल पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन ऑफ होने के चलते सम्पर्क नहीं हो पाया।

फोन पर एक आत्महत्या करने से जुड़ा हुआ मैसेज भी आया था
पीड़ित पिता अंजनी कुमार ने बताया कि 21 तारीख की शाम को दूसरे बेटे के फोन पर एक आत्महत्या करने से जुड़ा हुआ मैसेज भी आया था, जिसके बाद से नम्बर स्विच ऑफ हो गया। दो दिनों तक खोजबीन करने के बाद भी जब बेटे का पता नहीं चला तो लापता अनुपम के पिता क्षेत्रीय मड़ियांव थाने पहुंचे और अपने बच्चे के दो-चार साथियों पर संदेह जताते हुए गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पीड़ित का कहना है कि उनका बेटा ‘साकेत सर कोचिंग’ में काम करता है, 21 अप्रैल की दोपहर कोचिंग से फोन आने की बात कहकर बेटा घर से निकला था, जिसके बाद आज तक नहीं लौटा।

विवेचना कर रहे दरोगा ने मुखबिर को देने के लिए पीड़ित से लिए 5 हजार रुपए
पीड़ित पिता का कहना है कि गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली केशवनगर चौकी में तैनात दारोगा हरिशचंद्र को मामले की विवेचना सौंपी गई थी। पीड़ित पिता का आरोप है कि दरोगा हरिशचंद्र ने जांच के नाम पर उनसे रुपयों की मांग करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि पहले दरोगा ने मामले से जुड़े कागजों पर उच्चाधिकारियों के साइन कराने के लिए आवागमन करने का 500 रुपए मांगा, फिर अगले ही दिन मुखबिर से काम कराने के लिए 5000 रुपए अलग से मांगे। पैसों की किल्लत से जूझ रहे लाचार पिता ने बेटे के लिए किसी तरह 3000 रुपए का इंतजाम करके दारोगा हरिशचंद्र को थमा दिया।

दोबारा की पैसे की मांग तो उच्चाधिकारियों से लगाई न्याय की गुहार
पीड़ित अंजनी कुमार का कहना है कि दरोगा की ओर से पैसे की मांग तो की जा रही थी लेकिन बेटे से जुड़ा हुआ कोई अपडेट उन्हें नहीं दिया जा रहा था। इसी बीच संदिग्ध के घेरे में आने वाले बेटे अनुपम के साथियों के दो मोबाइल नम्बर पिता के हाथ लगते हैं। पीड़ित अंजनी कुमार ने बताया कि जब वे उन नम्बरों की जांच कराने के लिए फिर से दरोगा हरिशचंद्र के पास पहुंचते हैं तो दरोगा उनसे संदिग्ध नम्बरों की सीडीआर निकलवाने के लिए 5000 रुपए की अलग से मांग करते हैं। विभागीय जांच प्रक्रिया में हो रही वसूली और लापरवाही होती देख पीड़ित पिता ने लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त से मामले की शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई।

आरोपी दरोगा पर बैठी जांच, लापता बच्चे की तलाश में जुटी पुलिस
एडीसीपी प्राची सिंह ने बताया कि संयुक्त पुलिस आयुक्त के निर्देश पर चौकी में तैनात दरोगा हरिशचंद्र पर लगे आरोपों की जांच एसीपी अलीगंज अखिलेश सिंह को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाए जाने पर दारोगा के ऊपर उचित कार्रवाई की जाएगी, इसके साथ पीड़ित के मामले की विवेचना अन्य पुलिसकर्मी को सौंपी गई है और आरोपी दरोगा को चौकी से हटाकर थाने पर तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि पीड़ित पिता की तहरीर के आधार पर उनके बेटे के संदिग्ध साथियों से पुलिस टीम द्वारा सख्ती से पूछताछ की जा रही है। पुलिस टीम बताए गए फोन नम्बर्स की डिटेल खंगाल रही है।