द्वितीय लॉकडाउन के अनलॉक होते ही शासन द्वारा कलेक्टरों के माध्यम से दी जा रही रियायतों का दुरुपयोग होना शुरू हो गया है। बड़ी मुश्किल से कोरोना संक्रमण की रफ्तार में चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टॉफ और स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से राज्य शासन के समन्वित प्रयास से कमी लाई गई है लेकिन शाम 6 बजे तक बाजार खुला रहने से अनलॉक का नाजायज लाभ लेते लोग दिखाई दे रहे हैं। सोशल डिस्टेसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सोशल डिस्टेसिंग और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन होने पर पुन: संक्रमण का खतरा बना हुआ है। ज्ञातव्य है कि स्वयं राज्य शासन के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सार्वजनिक रूप से बयान देकर कहा था कि लाकडाउन समस्या का समाधान नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में शिक्षितों द्वारा जिस तरीके से ठेलों दुकानों, निजी सार्वजनिक संस्थानों में भीड़ लगाई जा रही है। इसके चलते पुन: संक्रमण का खतरा बना हुआ है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बार बार प्रचार माध्यमों के जरिए स्पष्ट समझाइश दी जा रही है कि कोरोना की रफ्तार कम हुई है। तीसरी लहर का खतरा अभी भी बरकरार है। शहर के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों के अनुसार कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन के मामले में महामारी अधिनियम में दिए गए प्रावधानों को मुख्यमंत्री और कड़ा बनाए ताकि कुछ लोगों की लापरवाही बड़ी आबादी के लिए कोरोना वायरस कोविड 19 की महामारी का सबब न बन सके।
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