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जांच को अस्पताल पहुंची पुलिस, नहीं मिले संचालक भाजपा नेता 

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कोविड मरीज के इलाज में अधिक चार्ज वसूलने के आरोप में दर्ज मुकदमे की जांच करने जार्जटाउन पुलिस टैगोरटाउन स्थित ओझा हॉस्पिटल पहुंची। हालांकि वहां मामले में नामजद अस्पताल के संचालक व भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ. एलएस ओझा नहीं मिले। बताया गया कि वह बीमार हैं। पुलिस का कहना है कि डॉक्टर का बयान दर्ज करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। मामले में एक दिन पहले एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सूत्रों के मुताबिक, जार्जटाउन पुलिस रविवार दोपहर अस्पताल में पहुंची। वहां स्टाफ ने पूछने पर बताया कि संचालक डॉ. ओझा बीमार हैं और अस्पताल नहीं आ रहे हैं। जिसके बाद पुलिस वापस चली आई। सूत्रों का कहना है कि मुकदमे में जो धाराएं लगाई गई हैं, वह सभी सात साल से कम सजा के प्रावधान वाली हैं। ऐसे में आरोपी डॉक्टर का बयान दर्ज करने के बाद 41(ए) की नोटिस तामीला कराने की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद विवेचना के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 
क्या था मामला
सीएमओ की ओर से पुलिस को दी गई तहरीर में बताया गया है कि चांदपुर सलोरी के रहने वाली कोविड संक्रमित मरीज किरन मिश्रा के इलाज के दौरान टैगोरटाउन स्थित ओझा हॉस्पिटल की ओर से कुल 3.77 लाख का बिल बनाने की शिकायत  मिली थी। जांच में शासन की ओर से निर्धारित की गई दर से अधिक वसूली, पैकेज में दी गई दवाओं और डॉक्टरों के विजिट का अतिरिक्त चार्ज जोडने के साथ ही एक ही दिन में एक ही जांच दो बार कराकर अतिरिक्त धन की वसूली की भी बात सामने आई। जिसके बाद अस्पताल संचालक डॉ. एलएस ओझा पर मुकदमा दर्ज किया गया। 1.10 लाख लिए, मोबाइल भी छीनाउधर  एक अन्य कोविड मरीज के तीमारदार ने भी ओझा हॉस्पिटल के खिलाफ सीएमओ से शिकायत की है। दारागंज के बख्शीखुर्द निवासी लवकुश सिंह धनुपुर पीएचसी में फार्मासिस्ट थे। बेटे सचिन का आरोप है कि 19 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव होने पर उसने पिता को ओझा अस्पताल में भर्ती कराया था। इस दौरान 1.5 लाख रुपये जमा कराए गए, साथ ही 15 हजार प्रतिदिन का खर्च बताया गया। हालांकि इलाज में लापरवाही बरती गई और हालत बिगड़ने पर 21 अप्रैल को एसआरएन रेफर कर दिया गया। आरोप यह भी है कि इलाज में लापरवाही पर पिता ने वीडियो बनाया था जिसकी जानकारी पर स्टाफ ने मोबइल छीन लिया। जमा पैसों का हिसाब मांगने पर 1.10 लाख रुपये काटकर शेष वापस कर दिए। स्वास्थ्य विभाग शिकायत की जांच कर रहा है।

कोविड मरीज के इलाज में अधिक चार्ज वसूलने के आरोप में दर्ज मुकदमे की जांच करने जार्जटाउन पुलिस टैगोरटाउन स्थित ओझा हॉस्पिटल पहुंची। हालांकि वहां मामले में नामजद अस्पताल के संचालक व भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ. एलएस ओझा नहीं मिले। बताया गया कि वह बीमार हैं। पुलिस का कहना है कि डॉक्टर का बयान दर्ज करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

मामले में एक दिन पहले एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सूत्रों के मुताबिक, जार्जटाउन पुलिस रविवार दोपहर अस्पताल में पहुंची। वहां स्टाफ ने पूछने पर बताया कि संचालक डॉ. ओझा बीमार हैं और अस्पताल नहीं आ रहे हैं। जिसके बाद पुलिस वापस चली आई। सूत्रों का कहना है कि मुकदमे में जो धाराएं लगाई गई हैं, वह सभी सात साल से कम सजा के प्रावधान वाली हैं। ऐसे में आरोपी डॉक्टर का बयान दर्ज करने के बाद 41(ए) की नोटिस तामीला कराने की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद विवेचना के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

क्या था मामला
सीएमओ की ओर से पुलिस को दी गई तहरीर में बताया गया है कि चांदपुर सलोरी के रहने वाली कोविड संक्रमित मरीज किरन मिश्रा के इलाज के दौरान टैगोरटाउन स्थित ओझा हॉस्पिटल की ओर से कुल 3.77 लाख का बिल बनाने की शिकायत  मिली थी। जांच में शासन की ओर से निर्धारित की गई दर से अधिक वसूली, पैकेज में दी गई दवाओं और डॉक्टरों के विजिट का अतिरिक्त चार्ज जोडने के साथ ही एक ही दिन में एक ही जांच दो बार कराकर अतिरिक्त धन की वसूली की भी बात सामने आई। जिसके बाद अस्पताल संचालक डॉ. एलएस ओझा पर मुकदमा दर्ज किया गया। 
1.10 लाख लिए, मोबाइल भी छीना
उधर  एक अन्य कोविड मरीज के तीमारदार ने भी ओझा हॉस्पिटल के खिलाफ सीएमओ से शिकायत की है। दारागंज के बख्शीखुर्द निवासी लवकुश सिंह धनुपुर पीएचसी में फार्मासिस्ट थे। बेटे सचिन का आरोप है कि 19 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव होने पर उसने पिता को ओझा अस्पताल में भर्ती कराया था। इस दौरान 1.5 लाख रुपये जमा कराए गए, साथ ही 15 हजार प्रतिदिन का खर्च बताया गया। हालांकि इलाज में लापरवाही बरती गई और हालत बिगड़ने पर 21 अप्रैल को एसआरएन रेफर कर दिया गया। आरोप यह भी है कि इलाज में लापरवाही पर पिता ने वीडियो बनाया था जिसकी जानकारी पर स्टाफ ने मोबइल छीन लिया। जमा पैसों का हिसाब मांगने पर 1.10 लाख रुपये काटकर शेष वापस कर दिए। स्वास्थ्य विभाग शिकायत की जांच कर रहा है।