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संकट के सिपाही : संक्रमित हुए, पिता को खोया फिर भी ड्यूटी पर डटे हैं ये कोरोना योद्धा

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कोरोना के कहर के बीच कोरोना योद्धाओं के त्याग, समर्पमण और सेवा के किस्से प्रेरित करने वाले हैं। देश के कोने-कोने में विषय हालात में ये संकट के सिपाही दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं। आज की कड़ी में कुछ और योद्धाओं की दास्तान…संक्रमितों को बिना भय अस्पताल पहुंचाने में सबसे आगे, सुरेश गुप्ता, उधमपुरचिनैनी ब्लॉक में फार्मासिस्ट का जिम्मा संभाल रहे सुरेश गुप्ता समाजसेवा को ही अपना कर्म मानते हैं। उन्होंने स्वयं संक्रमित होते हुए फोन के जरिये अपनी ड्यूटी का जिम्मेदारी से निर्वहन किया है, जो अन्य के लिए मिसाल बन गई है। वह महामारी से दिसंबर, 2020 में अपने पिता को भी खो चुके हैं, लेकिन कोरोना के खात्मे की जंग में आज भी डटे हैं।फार्मासिस्ट सुरेश गुप्ता को मौजूदा समय में चिनैनी में कोविड कंटेक्ट ट्रेसिंग में सहायता का जिम्मा दिया गया है। इससे पहले वह सीएचसी में तैनात रहे। कोरोना योद्धा के रूप में कभी चिनैनी अस्पताल तो कभी माइक्रो कंटेनमेंट जोन और कभी जिला अस्पताल में ड्यूटी दी। संक्रमितों को बिना भय के अस्पताल पहुंचाने में भी वह सबसे आगे रहे। करीब पांच माह पहले वह कोरोना संक्रमित हुए और उसी दौर में महामारी के चलते अपने पिता को खो दिया। लेकिन हिम्मत नहीं हारी और पहले की तरह ही जोखिम भरी ड्यूटी देने में लग गए।सुरेश ने बताया कि माइक्रो कंटेनमेंट जोन में ड्यूटी देने के बाद चिनैनी में कोविड कंटेक्ट ट्रेसिंग में सहायता की जिम्मेदारी मिली है। उन्होंने कहा कि कोरोना को जड़ से खत्म करने के लिए ड्यूटी के प्रति जज्बा होना जरूरी है। लोगों को भी अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी। संक्रमण से मुक्त होकर फर्ज निभा रहीं राखी, सहारनपुरसहारनपुर। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी संकट के सिपाही बने हैं। उन्हें अपनी जान से ज्यादा मरीजों का ख्याल है। फर्ज निभाने की इस डगर पर वे खुद संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन ठीक होने के बाद फिर से ड्यूटी को बखूभी अंजाम दे रहे हैं। ऐसे ही संकट के सिपाहियों में शामिल हैं एसबीडी जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स राखी। उनकी गत नौ अप्रैल को कोविड 19 की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उस समय वह फिजिशियन ओपीडी कक्ष संख्या 15 में ड्यूटी पर थीं। ओपीडी में रोजाना ही मरीजों की भीड़ लग रही थी। इसी दौरान राखी संक्रमित हो गईं। जांच रिपोर्ट का पता चलने पर उन्होंने खुद को होम आइसोलेट कर लिया। राखी बताती हैं कि परिवार में उनके पति संजय कुमार के अतिरिक्त बेटा और बेटी हैं। खुद को परिवार से अलग कमरे में रखा। कमरे से बाहर नहीं निकलीं और परिवार के सदस्यों को भी कमरे में नहीं आने दिया।नियमित दवा लेती रहीं और सेहत ठीक रखने के लिए खानपान पर विशेष ध्यान रखा। इसके साथ ही योग अभ्यास आदि भी किया। 15 दिन होम आइसोलेशन में रहने के बाद वह अब पूरी तरह स्वस्थ हो गईं। अब उनकी ड्यूटी जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में है। यहां भी काफी मरीज भर्ती हैं, जिनकी देखभाल करती हैं। राखी बताती हैं कि होम आइसोलेशन में रहते हुए संक्रमण को हरा दिया। इसके बाद अब अपनी ड्यूटी को अच्छी कर निभा रही हैं। जिससे ट्रॉमा सेंटर पहुंचने पर घायलों को समय पर उपचार मिल सके।14 माह से बिना छुट्टी काम पर डटे है डॉ. ओमवीर सिंह, सहारनपुरअंबेहटा (सहारनपुर)। सीएचसी प्रभारी डॉ. ओमवीर सिंह कोरोना काल में लोगों के लिए फरिश्ते की भूमिका निभा रहे हैं। शामली जनपद के रमाला गांव निवासी डॉ. सिंह करीब साढ़े तीन साल से स्थानीय सीएचसी में बतौर प्रभारी तैनात हैं। बताते है कि उन्होंने करीब 14 माह से कोई छुट्टी नहीं ली है। कोरोना काल में पिछले वर्ष 14 दिन उनकी तैनाती फतेहपुर स्थित कोविड अस्पताल में भी रही थी।बताया कि घर वालों की याद आने पर वह उनका हालचाल फोन से ही ले लेते हैं। स्थानीय सीएचसी पर भी उनकी सेवाएं बेहतर हैं। वे दिन रात लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए तत्पर रहते हैं। कोरोना की गाइडलाइन, वैक्सीनेशन व जांच के प्रति लगातार लोगों को व्यक्तिगत रूप से भी जागरूक करते हैं।

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