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cremation of covid victims: जहां 4 यार मिल जाएं…’कोविड मिशन’ पर निकले यूपी के ये दोस्त, लावारिस शवों का कर रहे अंतिम संस्कार

हाइलाइट्स:ये चारों दोस्त कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों का श्मशान घाट ले जाकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं.कई परिजन कोरोना संक्रमण के डर से मृतक की लाश लेने के लिए सामने नहीं आ रहे हैंअब तक ये चारों दोस्त 25 शवों का दाह संस्कार कर चुके हैं.ये चारों दोस्त यूपी के सहारनपुर के रहने वाले हैं.मेरठ: देशभर में कोरोना का कहर जारी है और रोजाना हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है. ऐसी मुश्किल घड़ी में चार दोस्त ‘कोविड मिशन’ पर निकले हैं. इस मिशन का उद्देश्य कोरोना से मरने वाले ऐसे लोगों का अंतिम संस्कार करना है जिनका कोई नाते-रिश्तेदार लाश लेने के लिए सामने नहीं आता है. अब तक कर चुके 25 लावारिसों का अंतिम संस्कारकरीब 30 साल की उम्र वाले ये चारों दोस्त कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों का श्मशान घाट ले जाकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं. दरअसल, कई परिजन कोरोना संक्रमण के डर से मृतक की लाश लेने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं. ऐसे में इन युवाओं की पहल वाकई काबिलेतारीफ है. अब तक ये चारों दोस्त 25 शवों का दाह संस्कार कर चुके हैं.India Inc cares: कोरोना संकट में आम लोगों की मदद के लिए किस तरह आगे आया इंडिया इंक?राहुल का था यह नेक आइडियाये चारों दोस्त यूपी के सहारनपुर के रहने वाले हैं. इनका नाम राहुल झंब, संचित अरोरा, गौरव कक्कर और सोनी शर्मा है. ये चारों दोस्त मरने वालों को उनके घरों से भी डेड बॉडी लेकर उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. इन चारों दोस्तों में से एक राहुल झंब ने अपने दोस्तों से यह आइडिया शेयर किया तो बाकी दोस्त तैयार हो गए हैं और यह नेक काम करने लगे. खुद का दर्द दूसरों के लिए दवा बना राहुल ने यह नेक काम इसलिए शुरू किया क्योंकि राहुल के साथ पहले इसी तरह की घटना हो चुकी थी. राहुल बतातें हैं कि साल 2017 में उनके पिता को गुर्दे फेल होने के चलते हरियाणा इलाज कराने के लिए ले जाना पड़ा. मैं अकेला था . मैं अपने पिता को बचा नहीं सका औऱ मुझे अकेले वहीं, उनका दाह संस्कार करना पड़ा.आधी रात को सोनू सूद ने किया ‘100 करोड़ वाला’ यह ट्वीट, यूजर्स दिल दे बैठेकोविड प्रोटोकॉल का कर रहे कड़ाई से पालनफिलहाल कई खबरें आ रही हैं कि कोरोना से मरने वाले कई लोगों के परिजन शव लेने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं ऐसे लावारिशों के बारे में हमने अपने दोस्तों से बातचीत की तो वे मेरा साथ देने को तैयार हो गए .कोरोना संक्रमण के डर के बारे में राहुल का साथ इस मिशन में लगे उनके दोस्त संचित अरोरा मानते हैं कि नेक काम करने वालों की भगवान मदद करते हैं और बचाते हैं. हम लोग पीपीई किट पहनते हैं और सभी जरूरी सावधानियां भी बरतते हैं. संचित की बुटीक शॉप है जबकि राहल एक इलेक्ट्रिकल रिपेयरिंग शॉप चलाते हैं.