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स्वास्थ्य मंत्री के जिले सुलतानपुर में ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं मिल रहा, कोरोना मरीजों को हो रही परेशानी

असगर, सुलतानपुरउत्तर प्रदेश का सुलतानपुर जिला स्वास्थ्य मंत्री जेपी सिंह का प्रभार वाला जिला है। बीजेपी जिलाध्यक्ष पेशे से चिकित्सक हैं और स्वयं का हास्पिटल संचालित करते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी यहां की सांसद हैं, जो खुद को मां की संज्ञा देती हैं। इत्तेफाक से जिले की पांच में से चार सीटों पर बीजेपी के ही विधायक हैं। इतनी लंबी सत्ताधारियों की फौज के बाद जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा वेंटिलेटर पर हैं। जी हां, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि मंगलवार देर रात जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में एडमिट हुए रेल कर्मी को डेढ़ घंटे बाद आक्सीजन सिलिंडर मुहैया हुआ, वो भी तब जब उसका आक्सीजन लेबल 45 से 47 के बीच था।नर्स ने आक्सीजन सिलिंडर नही होने की कही बातरेलवे में पोटल के पद पर कार्यरत मेराज अहमद का स्वास्थ्य सोमवार को गड़बड़ हो गया था। उसे सांस लेने में समस्या हो रही थी। परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर आए। कोविड जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे भर्ती कर लिया। मंगलवार सुबह स्वस्थ होने पर उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया। उसकी कोरोना रिपोर्ट अभी आई नहीं थी, इसी बीच मंगलवार रात एकाएक उसका स्वास्थ्य फिर से गड़बड़ होने पर परिजन उसे लेकर करीब 1:30 बजे के आसपास जिला अस्पताल पहुंचे। उसका आक्सीजन लेबल काफी कम था। परिजनों का आरोप है कि नर्स और अन्य स्टाफ ने कहा कि अस्पताल में सिलिंडर नहीं है। मरीज को लखनऊ ले जाओ। सीएमएस के हस्तक्षेप के बाद मिला आक्सीजन सिलिंडररात करीब पौने दो बजे एनबीटी आनलाइन के संवाददाता के पास मदद के लिए फोन आया कि अस्पताल में आक्सीजन नहीं मिल रही किसी प्राइवेट हास्पिटल में उन्हें भर्ती करा दें। जहां आक्सीजन मिल जाए। परिजन मरीज को लखनऊ ले जाने से डर रहे थे। इस बीच एनबीटी आनलाइन के रिपोर्टर ने आधा दर्जन प्राइवेट अस्पताल से संपर्क साधा, इलाज के नाम पर जेब काटने वाले सभी प्राइवेट अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए। डीएम रवीश गुप्ता के सीयूजी नंबर पर कोई सार्थक जवाब नहीं मिला। सीएमओ ने नंबर उठाना ही मुनासिब नहीं समझा और इन्हीं के ढर्रे पर बीजेपी जिलाध्यक्ष भी चलते दिखे। अंत में एनबीटी आनलाइन रिपोर्टर रात करीब सवा दो बजे के बाद जिला अस्पताल पहुंचा, जहां की इमरजेंसी में ड्यूटी दे रहे चिकित्सक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सिलिंडर उपलब्ध है। बताया गया कि आइसोलेशन वार्ड में नर्स मना कर रही, तब उन्होंने सीएमएस से बात करने के लिए कहा। सीएमएस के हस्तक्षेप के बाद कहीं जाकर करीब पौने तीन बजे आक्सीजन सिलिंडर मरीज को मुहैया हो सका।NGO के सदस्यों से लोग मांग रहे मददअंकुरण फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य अभिषेक सिंह बताते हैं कि जिला अस्पताल में आक्सीजन सिलिंडर के लिए काफी मारामारी है। पिछले कई दिनों से दिन भर में 30-40 फोन मदद के लिए आ रहे हैं। वहीं, नेशनल यूनिटी फाउंडेशन के सदस्य अफसर मिर्जा ने भी बताया कि उन्हें भी कई लोग मदद के लिए फोन कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। अफसर कहते हैं कि अगर उन्हें पैसे देकर आक्सीजन सिलिंडर मिल जाए तो वो लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराने को तैयार हैं।