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विक्रम संवत 2078 के नामकरण को लेकर विवाद, काशी विद्वत परिषद ने आनंद संवत्सर पर लगाई मुहर

विक्रम संवत 2078 के नामकरण को लेकर विवाद शुरू हो गया है। नाम आनंद हो या राक्षस इसको लेकर के विद्वानों में मतांतर की स्थितियां उत्पन्न हो गई है। इसका परिणाम देश के विभिन्न क्षेत्रों-प्रान्तों से प्रकाशित होने वाले पंचांगों में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है।देश के कुछ पंचांगकारों ने अपने पंचांग में संवत्सर का नाम आनंद तो कुछ पंचांगकारों ने अपने पंचांगों में संवत्सर का नाम राक्षस दिया है जिससे जनमानस एवं सनातन धर्मावलंबियों में भी भ्रम की स्थितियां उत्पन्न हो गई है।इस विषय को लेकर काशी विद्वत परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ की बैठक ऑनलाइन माध्यम से परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में आरंभ हुई। बीएचयू के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने शास्त्रों का पक्ष रखा।
कहा कि विगत 5-7 वर्षों से कुछ पंचांगकारों ने अपने पंचांगों में लुप्त संवत्सर का विनियोग करके वर्तमान में राक्षस नामक संवत्सर का उल्लेख किया है जबकि शुद्ध गणना पद्धति से अभी किसी संवत्सर का लोप प्राप्त नहीं हो रहा है।अत: इस वर्ष आनंद नामक संवत्सर ही होगा तथा वर्ष पर्यंत संकल्पादि गणना में आनंद नामक संवत्सर का प्रयोग करना ही उचित होगा। इस पर विद्वानों ने सर्वसम्मतिपूर्वक अपनी सहमति देते हुए संवत्सर का नाम वर्ष पर्यंत आनंद ही व्यवहार में लाने की सहमति प्रदान की।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन जो संवत्सर होता है उसी की संकल्प आदि में वर्ष पर्यंत गणना की जाती है। परंतु यदा कदा ऐसी भी स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जब स्वाभाविक रूप में किसी संवत्सर की प्रवृत्ति नहीं होती और उसे क्षय वर्ष अथवा लुप्त संवत्सर के नाम से जाना जाता है। संचालन महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने किया। इस दौरान प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो.चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री, डॉ. सुभाष पांडेय मौजूद रहे।

विक्रम संवत 2078 के नामकरण को लेकर विवाद शुरू हो गया है। नाम आनंद हो या राक्षस इसको लेकर के विद्वानों में मतांतर की स्थितियां उत्पन्न हो गई है। इसका परिणाम देश के विभिन्न क्षेत्रों-प्रान्तों से प्रकाशित होने वाले पंचांगों में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है।

देश के कुछ पंचांगकारों ने अपने पंचांग में संवत्सर का नाम आनंद तो कुछ पंचांगकारों ने अपने पंचांगों में संवत्सर का नाम राक्षस दिया है जिससे जनमानस एवं सनातन धर्मावलंबियों में भी भ्रम की स्थितियां उत्पन्न हो गई है।

इस विषय को लेकर काशी विद्वत परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ की बैठक ऑनलाइन माध्यम से परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में आरंभ हुई। बीएचयू के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने शास्त्रों का पक्ष रखा।