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कोरोना ने ली जान, अब खुले में पड़े हैं शव, मुक्तिधाम मेें भी जगह नहीं

कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप ने दहशत फैला दी है। मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश के सबसे बड़े डाक्‍टर भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में भयावह मंजर देखने को मिल रहा है। मरच्‍यूरी में शव रखने की जगह तक नहीं है। खुले में ही शव रखे जा रहे हैं।

खुले में शव देख कइयों की आंखों से आंसू फूट पड़े। मातम छाया हुआ है। हर दिन केवल कोरोना से 30 से ज़्यादा लोगों की मौत हो रही है। मुक्तिघाट में भी शवों के अंतिम संस्‍कार के लिए जगह नहीं मिल रही है। जिला प्रशासन ने राजधानी में 23 घाट में कोरोना मरीजों के दाहसंस्कार करने की व्यवस्था की है।

ग्रामीण इलाकों में 35 नए श्मशान घाट बनाए गए हैं। वहीं, रायपुर समेत अन्य जिलों में भी कोविड 19 महामारी के कारण हो रही अधिक मौतों और मुक्तिधाम में शव जलाने में उत्पन्न हो रही कठिनाइयों से निपटने के लिए विद्युत शवदाहगृह स्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है।

नगरीय प्रशासन मंत्री डाक्‍टर शिवकुमार डहरिया ने मुक्तिधामों में मौत के बाद शव जलाने में लम्बा इंतजार और लोगों को आ रही कठिनाइयों को गंभीरता से लिया है। उन्होंने रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर,कोरबा,भिलाई और रिसाली नगर निगम में विद्युत शवदाहगृह स्थापित करने आवश्यक निर्देश दिए हैं।

नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और भिलाई और दुर्ग,रिसाली नगर निगम आयुक्त को इस संबंध में अल्पकालीन निविदा/ ईओआई जारी करने सात दिवस की अनुमति प्रदान की गई है। रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, कोरबा में विद्युत शवदाहगृह के लिए पूर्व में ही अनुमति दी जा चुकी थी।