हाइलाइट्स:ठगी के सामान्य केस में बदमाश रुपये वसूलने के बाद लापता हो जाते हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआहैरानी की बात है कि ये ठग तीन साल तक लूटते रहे और हर किस्त पर कंपनियों के फर्जी लेटर तक दिए गएलोन डिफॉल्ट होने और किस्त जमा नहीं होने पर बैंकिंग लोकपाल, एंटी करप्शन ब्यूरो से बताकर कॉल करतेगाजियाबादठगी के सामान्य केस में बदमाश रुपये वसूलने के बाद लापता हो जाते हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। ठग तीन साल तक लूटते रहे। हर किस्त पर कंपनियों के फर्जी लेटर तक दिए गए। लोन डिफॉल्ट होने और किस्त जमा नहीं होने पर बैंकिंग लोकपाल, एंटी करप्शन ब्यूरो और इंश्योरेंस रेगुलेटरी एवं डिवेलपमेंट अथॉरिटी (आईआरडीए) से बताकर कॉल करते।विश्वास जीतने के बाद यहीं से ठगी का पूरा चक्र शुरू होता था। यह हैरान कर देने वाला मामला है यूपी के गाजियाबाद का। साइबर सेल और कविनगर थाना पुलिस ने ऐसे ही 2 बदमाशों को गिरफ्तार किया है। एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली के रहने वाले नवीन और पुनीत सिंह को गिरफ्तार किया गया है। गैंग के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है।बड़े अधिकारी बनकर देते थे झांसागैंग अलग-अलग तरीके से ऐसी पॉलिसी की डिटेल हासिल की थी, जिसमें किसी न किसी कारण से दिक्कत है। इसके बाद लोगों कॉल कर बात की जाती थी। पॉलिसी के रुकने का कारण बताने के बाद उसे सेटल करने के लिए कुछ रुपये मांगे जाते थे। इस दौरान टारगेट को मेल के माध्यम से कभी लोकपाल तो कभी आईआरडीए के नाम से लेटर भेजे जाते थे। लेटर बिल्कुल विभाग से मिलता-जुलता होता था।लेटर देकर वह लोगों में विश्वास पैदा करते थे और रुपये डलवाने का कार्य शुरू होता था। इस दौरान ठग विभाग के बड़े अधिकारी बनकर लोगों से बात करते थे और मदद का आश्वासन देते थे। मुंबई के रहने वाले एक व्यक्ति की पॉलिसी के बोनस और अमाउंट को दिलवाने के लिए बदमाशों ने उससे 2015 से 2017 तक के बीच 60 लाख रुपये ठगे। इस गैंग ने अब तक 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है।बदमाशों के पास मिले 15 अकाउंटसीओ साइबर अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि बदमाशों के पास से 15 अकाउंट मिले हैं। इनमें लाखों का लेनदेन किया गया है। इन्हें फ्रिज कराने के लिए बैंकों को कहा गया है। गैंग के अन्य अकाउंट के बारे में भी साइबर सेल जांच कर रही है।मुंबई के व्यक्ति से भी 6 अकाउंट में अलग-अलग समय में 60 लाख रुपये डलवाए गए थे। मामले में दिसंबर 2020 में रिपोर्ट होने के बाद साइबर सेल को जिम्मेदारी दी गई थी।साल बीत जाता है पर नहीं होता ठगी का अहसासजानकारी के अनुसार, सामान्यतौर पर हुई ठगी में लोगों को उसका अहसास जल्दी हो जाता है, लेकिन इस गैंग के साथ ऐसा नहीं है। इनकी प्लानिंग ऐसी होती है कि लोग उन पर विश्वास करने लगते हैं। लोगों को बताया जाता है कि डिस्प्यूटेड पॉलिसी में थोड़ा वक्त लगता है। ऐसे में लोग उनके झांसे में आकर वर्षों तक रुपये देते रहते हैं।वीकएंड में नहीं करते कॉलसाइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि गैंग वीकएंड में कोई कॉल नहीं करता। वह इस दौरान ठगी से मिले रुपये का प्रयोग घूमने फिरने में करते हैं। हाल ही में बदमाश मनाली घूमकर आए थे। पुलिस के अनुसार बदमाश, ठगी इस सफाई से कर रहे थे कि लोगों को उस बारे में कुछ समय में ही नहीं आ रहा था।सांकेतिक तस्वीर
Nationalism Always Empower People
More Stories
Hardoi News- बर्गर के पैसे मांगने पर हिस्ट्रीशीटर का खूनी हमला: दबंगई की नई मिसाल
Chandauli के 19 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर का आदेश: न्यायालय का सख्त रुख और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा कदम
Lucknow: बैंक की महिला अधिकारी की संदिग्ध मौत: क्या यह महज बीमारी थी या कुछ और?