बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी ने शुक्रवार को बताया कि बोर्ड अब नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) के अंतर्गत काम करेगा। बोर्ड को नाडा के कानून का पालन करना होगा। बीसीसीआई पूर्ण रूप से इन नियमों का पालन करने के लिए तैयार है।
अब भारतीय क्रिकेटरों को भी नाडा की परीक्षण प्रक्रिया से गुजरना होगा। हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते खिलाड़ी पृथ्वी शॉ को प्रतिबंधित दवा का सेवन करने का दोषी पाया गया था। इसके बाद उन पर 15 नवंबर तक का बैन भी लगाया गया।
शॉ ने गलती से ली थी दवा: बीसीसीआई
हालांकि बीसीसीआई ने अपनी प्रेस रिलीज में स्पष्ट किया था कि शॉ ने गलती से प्रतिबंधित दवा (टर्ब्यूटलाइन) ली थी। सामान्य तौर पर यह पदार्थ कफ सिरप में पाया जाता है। इससे पहले लंबे समय तक बीसीसीआई क्रिकेटरों के डोपिंग टेस्ट के लिए नाडा प्रक्रिया का इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ रही है। इसकी वजह बोर्ड का उनके तौर-तरीके से संतुष्ट न होना था।
‘नाडा के प्रदर्शन से खुश नहीं’
बोर्ड के एंटी-डोपिंग मैनेजर अभिजीत साल्वी ने न्यूज एजेंसी से कहा- यदि हम नाडा के प्रदर्शन से खुश होते, तो हमें उनके नियम लागू करने में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। मुझे भरोसा है कि आपने भी नाडा की अक्षमता से जुड़ी पुरानी रिपोर्ट्स पढ़ी ही होगी।
बहरहाल, अब खेल सचिव आरएस जुलानिया ने स्पष्ट कर दिया है कि अब बीसीसीआई के पास इस बात से इनकार करने का कोई कारण नहीं है। अब हर किसी को इसके (नाडा के) नियम मानने होंगे।
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