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परिवर्तित स्वरूप में बेहद खतरनाक है कोरोना वायरस, सावधानी ही बचाव

कोरोना वायरस का वर्तमान स्वरूप बेहद ही खतरनाक है। इससे पहले 2002, 2003 और 2012 में मिडिल ईस्ट में इसके चलते महामारी फैल चुकी हैं। लेकिन उस वायरस की मूल संरचना में परिवर्तन हुआ और अब कोरोना वायरस अपने परिवर्तित स्वरूप में हम सबके सामने हैं जो बेहद खतरनाक है। भले ही वैक्सीन आ गई हो लेकिन यह कहां तक प्रभावी है, इसका परिणाम अभी पूरी तरह से ज्ञात नहीं हो सका है। ऐसे में सावधानी ही बचाव का सबसे बेहतर विकल्प है। लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ प्रकाश खेतान ने यह बातें लोगों को जागरूक करते हुए कही हैं। उन्होंने बताया है कि वायरस का वर्तमान स्वरूप पूर्व में महामारी का कारण बने कोविड 19 का परिवर्तित रूप है। अपने पूर्व स्वरूप के मुकाबले वर्तमान स्वरूप का वायरस संक्रमण तेजी से फैलाता है और यह बेहद खतरनाक है।यह शरीर के आंतरिक अंगों पर तेजी से असर करता है और शायद यही वजह है कि कई बार कोरोना संक्रमित व्यक्ति ठीक होने के बाद दूसरी बीमारियों का शिकार बन रहा है। उन्होंने बताया कि कोविड 19 एक ऐसा वायरस है जिसके पास ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए खुद मेें कोई क्षमता नहीं होती है। यहां तक कि एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए भी कैरियर की जरूरत पड़ती है। यह अनंत काल तक सुप्त अवस्था में पड़ा रह सकता है। हालांकि जैसे ही यह मनुष्यों के संपर्क में आता है यह तेजी से संक्रमण फैलाता है। ऐसे करें बचाव
मास्क को बार-बार न छुएं। इसलिए क्योंकि अगर इसकी ऊपरी सतह पर कोई वायरस चिपक गया है तो बार-बार छूने से हाथ संक्रमित हो सकता है और फिर इसके जरिए अन्य चीजों तक भी संक्रमण फैल् सकता है।
मास्क की ऊपरी सतह पर किसी प्रकार के डिसइनफेक्टेंट का स्प्रे न करें। वरना इसके अति सूक्ष्म छिद्र बंद हो सकते हैं। साथ ही उसकी फिल्ट्रेशन की क्षमता भी खत्म हो सकती है।
अच्छे साबुन से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ जरूर धुलें। साबुन में मौजूद कण कोविड 19 के आरएनए को बांधने वाले बॉन्ड को घुलनशील कर देते हैं जिससे वायरस मर जाता है।
कोरोना संक्रमण मुख्यत: सांस लेने के साथ बाहर आने वाले ड्रॉपलेट, एयरोसोल के संपर्क में आने से फैलता है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का अनिवार्य रूप से पालन होना चाहिए।