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साहब मुझे छुट्टी दे दो… बच्चे का देखभाल करने वाला कोई नहीं है, 15 माह के बच्चे को लेकर अधिकारियों के चक्कर लगाती रही आरती

अभिषेक जायसवाल, वाराणसीसाहब मेरी बहन का निधन हो गया, मेरे गोद में 15 माह का उसका बच्चा है। इस बच्चे को घर पर संभालने वाला भी कोई नहीं है, मुझे छुट्टी दे दीजिए चुनाव में ड्यूटी नहीं कर पाऊंगी, प्लीज मुझे छुट्टी दे दीजिए, ये दर्द है वाराणसी के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में तैनात आरती गुप्ता का।आरती वाराणसी के हरहुआ स्थित रमदत्तपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कम्प्यूटर अनुदेशक के पद पर तैनात हैं। लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को देखते हुए उनकी प्रशासन ने चुनाव में उनकी ड्यूटी लगाई है। अब दिक्कत ये है कि आरती 15 माह के बच्चे को गोद में लेकर आखिर चुनाव की ड्यूटी करे तो कैसे करें।आरती ने बताया कि 1 अप्रैल को उनकी बहन का आकस्मिक निधन हो गया। बहन के निधन के बाद उसके 15 महीने के बच्चे का एकमात्र सहारा सिर्फ वो ही हैं। आरती के घर पर भी कोई नहीं है, जो उसकी देखभाल कर सके। ऐसे में आरती के सामने संकट खड़ा हो गया है कि आखिर अब वो क्या करें।माता-पिता के घर रहती हैं आरतीआरती ने बताया कि परिवारिक समस्याओं के कारण कुछ महीनों से वह अपने माता-पिता के घर रह रही हैं। बहन के मौत के बाद उसके माता पिता उनके घर चले गए हैं। आरती घर पर अकेले रहकर उसके बच्चे का देखभाल कर रही हैं।गोद में बच्चा लेकर काटती रही चक्करआरती ने बताया कि अपनी इस मुश्किल को लेकर उन्होंने जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी के अलावा जिले के जिलाधिकारी से भी चुनाव से ड्यूटी हटाने के लिए गुहार लगाई है। बुधवार को वो 15 माह के बच्चे को गोद मे लिए घंटों अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काटती रहीं। लेकिन उनका आरोप है कि कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। बुधवार को बार-बार चुनाव में ड्यूटी करने के लिए उन्हें फोन आते रहे हैं।दे दूंगी इस्तीफाएनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में आरती गुप्ता ने बताया कि नौकरी छोड़ने के अलावा उन्हें अब कोई दूसरा विकल्प भी नहीं दिख रहा है। आरती ने कहा कि ऐसे ही रहा तो मेरे सामने सिर्फ दो ही रास्ते बचेंगे या तो मैं इस बच्चे को लेकर चुनाव की ड्यूटी करुं या नौकरी से इस्तीफा दे दूं।कमिटी करेगी फैसलाएनबीटी ऑनलाइन से बातचीत के वाराणसी के बेसिक शिक्षा अधिकारी में बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। चुनाव में ड्यूटी से लगाने और नाम हटाने का काम मुख्य विकास अधिकारी के आदेश से होता है। नाम हटवाने का फैसला भी सीडीओ के प्रत्यावेदन के बाद कमिटी करती है।