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मुख्तार ऐंबुलेंस केस में राजनाथ यादव को 14 दिन की हिरासत, लोकल कनेक्शन पर पुलिस खाली हाथ

चंद्रकांत मौर्य, बाराबंकीबाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को बांदा जेल में शिफ्ट कर दिया गया। उधर, फर्जी पते पर ऐंबुलेंस रजिस्ट्रेशन के कागजात पर धमकाकर हस्ताक्षर करवाने के आरोपी मऊ निवासी राजनाथ यादव को मंगलवार को पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में पेश किया। वहां से उसे 14 दिन की जूडिशल कस्टडी में जेल भेज दिया गया। हालांकि इस कार्रवाई से भी फर्जी रजिस्ट्रेशन में स्थानीय कनेक्शन पर तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। मऊ से लौटी पुलिस ने जो थ्योरी बताई है, उसके अनुसार मऊ के श्याम संजीवनी हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर की निदेशिका डॉ.अलका राय ने रजिस्ट्रेशन के अभिलेखों पर जो हस्ताक्षर किए, वही बाराबंकी के एआरटीओ कार्यालय में लगाए गए। इसमें वह वोटर आईडी है, जिसमें उनके आवास का पता बाराबंकी के मोहल्ला रफीनगर का दर्ज था। इस ऐंबुलेंस के कागजात को लेकर अलका के पास राजनाथ यादव और मुजाहिद गए। इन लोगों ने उनको धमकाकर हस्ताक्षर कराए। मुख्तार अंसारी का प्रतिनिधि मुजाहिद है, वह पकड़ा नहीं जा सका है। राजनाथ यादव ने पुलिस पूछताछ में सिर्फ यह कहा कि वह प्रतिनिधि के साथ गया था, पर वह कागजात कहां से तैयार होकर आए और किसके माध्यम से बाराबंकी के एआरटीओ कार्यालय पहुंचे, उसे नहीं पता। ऐसे में मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के लिए यह सुराग जुटाना अहम हो गया है कि आखिरकार वह कौन शख्स था जिसने 225 किलोमीटर दूर बाराबंकी के एआरटीओ कार्यालय से रजिस्ट्रेशन का रास्ता दिखाया और उसे अंजाम तक पहुंचाया। खास बात यह है कि ऐंबुलेंस बाराबंकी की ही फर्म से खरीदी गई और यहां से ही एक प्रतिष्ठित फाइनेंस कंपनी से लोन करवाया गया। जानकार बताते हैं कि यदि इस काम में एआरटीओ कार्यालय का कोई शख्स शामिल होता तो शायद 2017 में फिटनेस खत्म हो जाने पर उसकी परवाह करता और चीजें बाहर आने से बचती। सीओ सिटी सीमा यादव ने भी माना कि इस मामले में स्थानीय कनेक्शन पर अभी तस्वीर साफ नहीं है। मुजाहिद के साथ ही स्थानीय कनेक्शन पर हमारी निगाहें है।रजिस्ट्रेशन नंबर का दुरुपयोग!ऐंबुलेंस की टूटी नीली बत्ती? क्षतिग्रस्त बम्पर, तार से बंधी नंबर प्लेट? हां अंदर बिछाई गई मैट बिल्कुल नई और टायर भी दो दिन ही पुराने। यह हुलिया है पंजाब गई एसआईटी की एक टीम के मुखिया व सीओ हैदरगढ़ नवीन कुमार सिंह की ओर से रोपड़ रोड के ढाबे से लावरिस हालत में लाई गई ऐंबुलेंस(यूपी 41 एटी 7171) का। ऐंबुलेंस देखकर नहीं लगता कि इसका उपयोग माफिया मुख्तार अंसारी कर रहा होगा।यह भी हो सकता है कि मुख्तार चलता किसी और ऐंबुलेंस हो और नंबर बाराबंकी का रहा हो? विवाद बढ़ा तो कहीं पर खड़ी रही इस ऐंबुलेस को एसआईटी के सामने डालकर छानबीन का सिलसिला रोकने का प्रयास किया गया हो। एसपी के अनुसार टेक्निकल रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है। पुलिस को उसके चालक की तलाश है और एक टीम अभी भी वहां पर कैंप कर रही है। जायजा लेने के लिए एडीजी लखनऊ जोन एसएन साबत भी बाराबंकी पहुंचे और ऐंबुलेंस देखी।नहीं मिला इंजन का नंबरमंगलवार को ही पंजाब से लाई गई एंबुलेंस का तकनीकि मुआयना सुल्तानपुर के तकनीकि विशेषज्ञ लक्ष्मीकांत व एआरटीओ बाराबंकी पंकज सिंह ने किया। पंजीकृत ऐंबुलेंस का चेसिस नंबर मैच कर गया पर इंजन नहीं मिला है। इसके लिए ऐंबुलेंस को टाटा कंपनी को भेजा जाएगा। इसके अलावा ऐंबुलेस में मिला चिकित्सा का सामान भी एक साल पुराना है। दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं।