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इस बार का नव संवत्सर राक्षस नाम का होगा। आनंद नामक नव संवत्सर के लोप की वजह से 2078 नव संवत का नाम राक्षस होगा। इस नव संवत्सर के साथ कई अनूठे संयोग जुड़ रहे हैं। ग्रहों की चालें तो विपरीत रहेंगी ही, इस वर्ष एक ही ग्रह मंगल राजा और मंत्री दोनों की भूमिका में होगा।इस नव संवत्सर में जनता में निष्ठुरता पैदा होने और दया, प्रेम में कमी आने की बात कही गई है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के साथ 13 अप्रैल को राक्षस नामक नव संवत्सर की शुरुआत होगी। धर्मशास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नए वर्ष का आरंभ होगा। इस बार का नव संवत्सर राक्षस नाम से जाना जाएगा। कोरोना संक्रमण के दौर में आए राक्षस नामक नव संवत्सर में ग्रहों की स्थितियां प्रतिकूल रहेंगी। ज्योतिषाचार्य ब्रजेंद्र मिश्र के अनुसार आनंद संवत्सर का लोप होने के बाद सीधे राक्षस संवत्सर आ रहा है। 90 वर्ष बाद इस संवत की शुरुआत होगी। वह बताते हैं कि राक्षस सनातन धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है।
ज्योतिष के फलित के अनुसार इस संवत्सर के आने पर प्रजा बड़ी निष्ठुर हो जाती है और उसमें निष्क्रियता की स्थितियां बढ़ जाती हैं। प्रजातंत्र में मतभेद बढ़ने के साथ ही सीमा पर हमले और विद्रोह की घटनाओं में भी वृद्धि होती है। इस संवत्सर का स्वामी विष्णु को माना गया है। राक्षस संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु भी क्रूर स्वभाव के होंगे। कुत्सित विचारों और कर्मों की वजह से समाज में दया से हीन, कलह करने वाले लोगों की अधिकता हो सकती है। ब्रह्म पुराण में नव संवत्सर का उल्लेख मिलता है। कहा गया है कि ब्रह्मा ने इसी तिथि को सूर्योदय के समय सृष्टि की रचना की थी। स्मृतियों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र के निष्कुंभ योग में भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था।
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