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मांडा के गौरैया कला गांव में बुधवार को बड़ी संख्या में भूमिहीन किसानों के साथ पहुंचे भू दान आंदोलन के पांच सदस्यों के खिलाफ पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि बिना किसी कागजात के आंदोलन के सदस्य भोले भाले ग्रामीणों को लेकर वहां पहुंच गए थे जिससे वहां बवाल मच गया। पुलिस ने पांच सदस्यों के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। हालांकि भू दान आंदोलन के सदस्यों का कहना था कि स्थानीय ग्रामीणों ने उनसे साथ मारपीट की और कार तोड़ दी। इसकी तहरीर दी गई लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। मांडा के गौरैया कला गांव में बुधवार को भू दान आंदोलन के सदस्यों के साथ शंकरगढ, बारा, मिर्जापुर, मेजा, सोनभद्र आदि जगहों से सैकड़ों भूमिहीन किसान ट्रैक्टर से पहुंच गए थे। वहां उन्होंने नारेबाजी करते हुए टेंट तंबू कनात लगाना शुरू किया तभी स्थानीय ग्रामीण इकट्ठे हो गए। बाहर से आए किसानों ने बताया था कि भू दान आंदोलन के सदस्यों ने कहा था कि छह हजार रुपये में एक बीघा जमीन देंगे। इसी बात को लेकर ग्रामीणों और भू-दान आंदोलन संगठन के लोगों में बहस होने लगी।सदस्यों ने बताया कि यह जमीन भू दान आंदोलन में दी गई थी। स्थानीय ग्रामीणों ने सदस्यों को जमकर पीटा और उनकी गाड़ी तोड़ दी। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस के आने के बाद भूमिहीन किसान वापस चले गए। पांचों सदस्यों को थाने ले जाया गया। वे पुलिस को अपने दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज या कागज नहीं दे पाए। उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों के खिलाफ तहरीर दी।बृहस्पतिवार को थाने के दरोगा संतोष कुमार सिंह की तहरीर पर भूदान संगठन के बृजेश कुमार सक्सेना निवासी नंद कालोनी दारागंज, शिमला तिवारी निवासी झूंसी बन्धवा ताहिरपुर, अरबिंद तिवारी, रत्नाकर मणि तिवारी, सत्येंद्र तिवारी निवासीगण झूंसी के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इंस्पेक्टर मांडा ने बताया कि आंदोलन के सदस्यों की हरकत से वहां कोई बड़ा बवाल हो सकता था। इसलिए उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई।
मांडा के गौरैया कला गांव में बुधवार को बड़ी संख्या में भूमिहीन किसानों के साथ पहुंचे भू दान आंदोलन के पांच सदस्यों के खिलाफ पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि बिना किसी कागजात के आंदोलन के सदस्य भोले भाले ग्रामीणों को लेकर वहां पहुंच गए थे जिससे वहां बवाल मच गया। पुलिस ने पांच सदस्यों के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। हालांकि भू दान आंदोलन के सदस्यों का कहना था कि स्थानीय ग्रामीणों ने उनसे साथ मारपीट की और कार तोड़ दी। इसकी तहरीर दी गई लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।
मांडा के गौरैया कला गांव में बुधवार को भू दान आंदोलन के सदस्यों के साथ शंकरगढ, बारा, मिर्जापुर, मेजा, सोनभद्र आदि जगहों से सैकड़ों भूमिहीन किसान ट्रैक्टर से पहुंच गए थे। वहां उन्होंने नारेबाजी करते हुए टेंट तंबू कनात लगाना शुरू किया तभी स्थानीय ग्रामीण इकट्ठे हो गए। बाहर से आए किसानों ने बताया था कि भू दान आंदोलन के सदस्यों ने कहा था कि छह हजार रुपये में एक बीघा जमीन देंगे। इसी बात को लेकर ग्रामीणों और भू-दान आंदोलन संगठन के लोगों में बहस होने लगी।
सदस्यों ने बताया कि यह जमीन भू दान आंदोलन में दी गई थी। स्थानीय ग्रामीणों ने सदस्यों को जमकर पीटा और उनकी गाड़ी तोड़ दी। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस के आने के बाद भूमिहीन किसान वापस चले गए। पांचों सदस्यों को थाने ले जाया गया। वे पुलिस को अपने दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज या कागज नहीं दे पाए। उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों के खिलाफ तहरीर दी।
बृहस्पतिवार को थाने के दरोगा संतोष कुमार सिंह की तहरीर पर भूदान संगठन के बृजेश कुमार सक्सेना निवासी नंद कालोनी दारागंज, शिमला तिवारी निवासी झूंसी बन्धवा ताहिरपुर, अरबिंद तिवारी, रत्नाकर मणि तिवारी, सत्येंद्र तिवारी निवासीगण झूंसी के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इंस्पेक्टर मांडा ने बताया कि आंदोलन के सदस्यों की हरकत से वहां कोई बड़ा बवाल हो सकता था। इसलिए उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई।
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