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मोमबत्ती की रोशनी में संपन्न हुआ विवाह, मूंछ वाली दुल्हन देखकर भड़का दूल्हा

मोमबत्ती की रोशनी में गड़बड़ मंत्रों से मूर्खों का विवाह संपन्न तो हुआ लेकिन मूंछ वाली दुल्हन देखकर दूल्हा भड़क उठा। बात इतनी बिगड़ी की नौबत छुट्टा-छुट्टी तक पहुंच गई। राजेंद्र प्रसाद घाट पर बृहस्पतिवार को महामूर्खों के मेले में देर रात तक ठहाके गूंजते रहे। महामूर्ख मेले में उल्टे-पुल्टे दृश्य, बेमेल नजारों और मूर्खताओं के जरिए कोरोना काल की परेशानियों को हास्य रस के साथ परोसा गया।हास्य व्यंग्य की कविताओं पर हंसते-हंसते मुक्ताकाशी मंच पर जमी भीड़ भी लोटपोट होती रही। मेले की शुरुआत गधे की आवाज में चीपों-चीपों कर मूर्खता के शंखनाद से हुआ। अतिथियों को स्मृति चिन्ह तथा बेलन देकर सम्मानित किया गया। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी टंडन दूल्हा बनीं और डॉ. अनुराग टंडन सोलह शृंगार कर दूल्हन। मूर्ख पुजारी ने मोमबत्ती की रोशनी में दोनों का गड़बड़ मंत्रों से विवाह कराया।दूल्हा तो दुल्हन की मूंछ देखकर बिदक गया और थोड़ी देर में दोनों में तलाक भी हो गया। जनता ने भी इस अनोखे विवाह से उत्पन्न हास्य के रस में खूब डुबकी लगाई। गो कोरोना गो की थीम पर आयोजित महामूर्ख मेले में सलीम ने सुनाया गजबै रजा विकास होत हौ बिन पढ़ले सबै पास होत हो, मंदिर मस्जिद बंद पड़ल हौ, घर बैठल अरदास होत हौ… गेरूआ और धानी में जमकर टीवी पर बकवास पर होत हौ… सुनाकर वर्तमान व्यवस्था को आइना दिखाया।दर्शकों ने भी हास्य कविता का जमकर आनंद उठाया। काव्य शृंखला को आगे बढ़ाते हुए सलीम ने पप्पूआ बोले उछड़-उछड़के  देश क सत्यानाश होत हौ, अर्थव्यवस्था देश क झंडू गपुआ कहे विकास होत हौ, चीन का डंगरी एक दिन टूटी अबही त अभ्यास होत हौ… सुनाकर वर्तमान संदर्भों पर भी कटाक्ष किया। प्रयागराज से आए कवि अखिलेश द्विवेदी ने मंच संभाला तो उन्होंने जो हैं पढ़े लिखे वो सब हैं संतरी बने, अपराध माफिया हैं जो मंतरी बने, जिसने विवाह करके अपनी पत्नी छोड़ दी, वो अपने देश में प्रधानमंतरी बने… सुनाया तो जनता भी इशारा समझ गई और खूब ठहाके लगाए।फक्कड़ गाजीपुर ने गजब चुनाव परधानी देखली… सुनाकर ग्राम प्रधान चुनाव पर हास्य व्यंग्य के तीर चलाए। ब्रजेश चंद्र पांडेय ने गोत्र पता हो गया, जाति पता करना है, धर्म पता होते ही मुहूर्त देखा जाएगा… सुनाकर बंगाल चुनाव पर कटाक्ष किए। सुदामा तिवारी सांड़ बनारसी ने लंबे-लंबे लॉकडाउन में पिंजरे में कैद रहे…, डॉ. प्रशांत तिवारी ने पिता की डांट खाई पर न अदावत की है… सुनाकर तालियां बटोरीं।इस अवसर पर पहली अप्रैल 2021 का लोकार्पण किया गया। इस दौरान अशोक सुंदरानी, गौरव चौहान, अखिलेश द्विवेदी, अचानक मउवी, झगड़ू भैया, श्यामलाल यादव, अंबरीश ठाकुर, दान बहादुर सिंह, किशोर बनारसी ने भी काव्य पाठ किया।

मोमबत्ती की रोशनी में गड़बड़ मंत्रों से मूर्खों का विवाह संपन्न तो हुआ लेकिन मूंछ वाली दुल्हन देखकर दूल्हा भड़क उठा। बात इतनी बिगड़ी की नौबत छुट्टा-छुट्टी तक पहुंच गई। राजेंद्र प्रसाद घाट पर बृहस्पतिवार को महामूर्खों के मेले में देर रात तक ठहाके गूंजते रहे। महामूर्ख मेले में उल्टे-पुल्टे दृश्य, बेमेल नजारों और मूर्खताओं के जरिए कोरोना काल की परेशानियों को हास्य रस के साथ परोसा गया।