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शब ए बरात आज, बुजुर्गों की कब्रगाह होगी चिरागों से रोशन, करेंगे इबादत

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शब ए बरात की अजीम रात मुस्लिम समुदाय परवर दीगार की इबादत करेगा। सारी रात मोमिनीन खास नमाज अदा करेंगे और शब ए बरात पर अपने बुजुर्गों की कब्रगाह पर अजीज चिरागा करते हैं। घरों में रोशन की जाती है और शिरनी की फातेहा भी होती है।एक तरफ होलिका दहन की रस्म अदा होगी तो दूसरी ओर मस्जिदों में रातभर इबादतों का दौर शुरू होगा। रविवार को होलिका दहन और शब ए बरात साथ-साथ होगा। शहर में भी दोनों समुदाय के लोग अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। रविवार की शाम को इशा की नमाज के बाद जहां मस्जिदों-घरों में इबादतों का सिलसिला शुरू होगा, वहीं तकरीबन इसी समय होलिका दहन की रस्म अदा होगी। पिछले वर्ष लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते लोगों ने अपने घरों में ही सारी रात जग कर इबादत की थी, वहीं इस बार भी कोविड-19 के नियम थोड़े सख्त होंगे। मर्द ही नहीं घरों में ख्वातीन भी शब ए बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होंगे। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाएंगी और शाम को इबादत में मशगूल हो जाएंगी। शुरू हो जाता है रुहानी सालमुफ्ती ए शहर अब्दुल बातिन नोमानी ने बताया कि शब ए बरात से रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों को जिम्मेदारियां सौंपता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी, किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव आएगा। ये इसी रात लिखा जाता है साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ  व रौशन रखते हैं।उमड़ेंगे अकीदतमंदशहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादुर शहीद कब्रिस्तान रविंद्रपुरी, बजरडीहा के सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैयां, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानीटोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर आदि इलाक़ों के कब्रिस्तान और दरगाहों में लोग शमां रोशन करेंगे। 
काजी ए शहर मौलाना गुलाम यासीन ने सभी से कोविड-19 नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कहीं भी भीड़ बिल्कुल न लगाएं। शब ए बरात के दिन घर के कुछ लोग ही कब्रगाह पहुंचे, बाकी लोग खासतौर पर बच्चे व बुजुर्ग घर पर रहकर ही इबादत करें। कोरोना वायरस भीड़ में फैल सकता है। आपकी छोटी सी लापरवाही सिर्फ आपको ही नहीं, आपके परिवार व समाज को खतरे में डाल सकती है।12वें इमाम मेंहदी की विलादत का जश्न हुआ शुरूशब ए बरात पर इबादतों का सिलसिला शनिवार को शुरू हो गई। लोगों ने रोजा रखा और खुदा की बारगाह में सभी की सलामती की दुआ मांगी। इबादत और महफिलों का यह सिलसिला 30 मार्च तक जारी रहेगा। शनिवार को 12वें इमाम मेंहदी की विलादत के जश्न का आगाज हो गया।इमानिया अरबी कॉलेज में कदीमी महफिल का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रो. अजीज हैदर, रेहान बनारसी, अतश बनारसी, अथर बनारसी, रिजवान बनारसी, मेंहदी बनारसी ने कलाम पेश किए। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर करबलाई ने बताया कि इमाम मेंहदी की विलादत के अवसर पर आयोजित होने वाली यह महफिल सौ सालों से हो रही है।28 मार्च को लोग कब्रिस्तान जाकर अपने मरहूम और अजीजों को याद करेंगे। 29 मार्च को लोग गंगा के किनारे जाएंगे और अपनी अर्जी इमाम की खिदमत में पेश करेंगे।

शब ए बरात की अजीम रात मुस्लिम समुदाय परवर दीगार की इबादत करेगा। सारी रात मोमिनीन खास नमाज अदा करेंगे और शब ए बरात पर अपने बुजुर्गों की कब्रगाह पर अजीज चिरागा करते हैं। घरों में रोशन की जाती है और शिरनी की फातेहा भी होती है।

एक तरफ होलिका दहन की रस्म अदा होगी तो दूसरी ओर मस्जिदों में रातभर इबादतों का दौर शुरू होगा। रविवार को होलिका दहन और शब ए बरात साथ-साथ होगा। शहर में भी दोनों समुदाय के लोग अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। रविवार की शाम को इशा की नमाज के बाद जहां मस्जिदों-घरों में इबादतों का सिलसिला शुरू होगा, वहीं तकरीबन इसी समय होलिका दहन की रस्म अदा होगी। 

पिछले वर्ष लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते लोगों ने अपने घरों में ही सारी रात जग कर इबादत की थी, वहीं इस बार भी कोविड-19 के नियम थोड़े सख्त होंगे। मर्द ही नहीं घरों में ख्वातीन भी शब ए बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होंगे। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाएंगी और शाम को इबादत में मशगूल हो जाएंगी। 
शुरू हो जाता है रुहानी साल
मुफ्ती ए शहर अब्दुल बातिन नोमानी ने बताया कि शब ए बरात से रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों को जिम्मेदारियां सौंपता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी, किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव आएगा। ये इसी रात लिखा जाता है साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ  व रौशन रखते हैं।
उमड़ेंगे अकीदतमंद
शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादुर शहीद कब्रिस्तान रविंद्रपुरी, बजरडीहा के सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैयां, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानीटोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर आदि इलाक़ों के कब्रिस्तान और दरगाहों में लोग शमां रोशन करेंगे।

 

सख्ती से पालन करें कोविड-19 के नियमों का

काजी ए शहर मौलाना गुलाम यासीन ने सभी से कोविड-19 नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कहीं भी भीड़ बिल्कुल न लगाएं। शब ए बरात के दिन घर के कुछ लोग ही कब्रगाह पहुंचे, बाकी लोग खासतौर पर बच्चे व बुजुर्ग घर पर रहकर ही इबादत करें। कोरोना वायरस भीड़ में फैल सकता है। आपकी छोटी सी लापरवाही सिर्फ आपको ही नहीं, आपके परिवार व समाज को खतरे में डाल सकती है।12वें इमाम मेंहदी की विलादत का जश्न हुआ शुरूशब ए बरात पर इबादतों का सिलसिला शनिवार को शुरू हो गई। लोगों ने रोजा रखा और खुदा की बारगाह में सभी की सलामती की दुआ मांगी। इबादत और महफिलों का यह सिलसिला 30 मार्च तक जारी रहेगा। शनिवार को 12वें इमाम मेंहदी की विलादत के जश्न का आगाज हो गया।इमानिया अरबी कॉलेज में कदीमी महफिल का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रो. अजीज हैदर, रेहान बनारसी, अतश बनारसी, अथर बनारसी, रिजवान बनारसी, मेंहदी बनारसी ने कलाम पेश किए। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर करबलाई ने बताया कि इमाम मेंहदी की विलादत के अवसर पर आयोजित होने वाली यह महफिल सौ सालों से हो रही है।28 मार्च को लोग कब्रिस्तान जाकर अपने मरहूम और अजीजों को याद करेंगे। 29 मार्च को लोग गंगा के किनारे जाएंगे और अपनी अर्जी इमाम की खिदमत में पेश करेंगे।

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