बनारस की हवा को सुधारने की कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहल की है। इसकी जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को दी गई है। बनारस की बिगड़ी हवा को सुधारने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आईआईटी कानपुर ने मिलकर काम शुरू कर दिया है। शहर में पांच वर्षों के हवा के डाटा को संग्रहित करने की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को दी गई है। इसके लिए शहर को तीन भागों औद्योगिक क्षेत्र, रिहायशी और मिश्रित क्षेत्र में बांटकर हवा की गुणवत्ता का डाटा तैयार किया जा रहा है। आईआईटी कानपुर की टीम ने कचहरी, आईएमए लहुराबीर और चांदपुर में मशीनें स्थापित करके वायु की गुणवत्ता मापने का काम शुरू भी कर दिया है।क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि आईआईटी कानपुर के डाटा के आधार पर स्वच्छ हवा की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। आंकड़ों के आधार पर यह जांचा जाएगा कि वायु प्रदूषण के लिए किस क्षेत्र में कौन-कौन से कारण प्रमुख हैं। इन कारणों की पड़ताल करने के साथ उसको दूर करने और जुर्माने की भी कार्रवाई की जाएगी।पांच सालों तक तैयार होगा डाटा
आईआईटी कानपुर की टीम बनारस की हवा में पीएम 2.5, पीएम 10, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड और ओजोन की मात्रा समेत प्रदूषण के कारकों का भी डाटा तैयार कर रही है। अगले पांच सालों तक टीम शहर का डाटा तैयार करेगी।20 सालों में बढ़ा है तीन गुना अधिक प्रदूषणसरकारी कवायदों के बावजूद शहर में पिछले 20 सालों में प्रदूषण का स्तर तीन गुना तक बढ़ा है। प्रदूषण की हालत यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्धारित मानक से करीब 10 गुना से ज्यादा है। 2018 में वाराणसी को दुनिया के 4300 शहरों में तीसरा सबसे अधिक प्रदूषित शहर बताया गया था। जनवरी 2019 में पीएम 2.5 का औसत स्तर 105 दर्ज किया गया। जनवरी 2021 में वायु प्रदूषण का स्तर ढाई सौ के पार रहा।एयर क्वालिटी इनडेक्स
0.50 के बीच – अच्छा
51.100 के बीच – संतोषजनक
101.200 के बीच – मध्यम स्तर
201.300 के बीच – खराब स्तर
301.400 के बीच – बहुत खराब स्तर
401.500 के बीच – गंभीर स्तर का प्रदूषण
500 से ऊपर – गंभीर स्तर का प्रदूषण माना जाता है।
कोरोना काल में सुधरी हवा अनलॉक में बिगड़ी
कोविड-19 आपदा के दौरान लागू संपूर्ण लॉकडाउन में बनारस की हवा स्वच्छ रही। सभी ने स्वच्छ वायु को महसूस किया। वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी मानक के अनुकूल रहे। इसका कारण सभी औद्योगिक इकाइयों का बंद रहना, सड़कों पर डीजल-पेट्रोल से चालित वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहना और कूड़े-कचरे का जलना बंद रहना आदि ऐसे ही अनेक कारण थे। लॉकडाउन के खत्म होने और अनलॉक शुरू होने के कुछ दिन बाद ही हवा एक बार फिर से प्रदूषित होने लगी।एयर क्वालिटी इंडेक्स रहा 199शुक्रवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 199 दर्ज किया गया। इसमें पीएम 2.5 की मात्रा 166, पीएम 10 की मात्रा 362, सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा 20, ओजोन की मात्रा 205 और नाइट्रोजन आक्साइड की मात्रा 110 रही।
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