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सावधान! साल में एक मीटर पानी जा रहा पाताल की ओर, बचाएं जल, नहीं तो बूंद बूंद को तरसेंगे कल

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जल संरक्षण की बात तो हर साल होती है, लेकिन इसके बावजूद साल दर साल पानी का जलस्तर घटता जा रहा है। भूगर्भ विभाग के अनुसार साल में तकरीबन एक मीटर पानी पाताल की ओर जा रहा है। 1980 से अब तक भूगर्भ जल 7 से 9 मीटर नीचे चला गया है। आने वाले दिनों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। वर्षा के बाद पानी सबसे ऊपर होता है। वर्षा शुरू होने से पहले नीचे चला जाता है। सामान्य बारिश पर पर्याप्त पानी मिल जाता है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर समेत आराजी लाइन व हरहुआ ब्लाक अतिदोहित क्षेत्र में हैं। पिंडरा ब्लाक क्रिटिकल क्षेत्र में हैं। बड़ागांव, चिरईगांव, चोलापुर, काशी विद्यापीठ व सेवापुरी ब्लाक सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में हैं।शहरी क्षेत्र के डार्क जोन में जाने की वजह नदी आधारित सरकारी पेयजल योजनाओं का फेल होना है। बीते एक दशक में 500 करोड़ से अधिक बजट से गंगा आधारित पेयजल योजना को मूर्तरूप दिया जा रहा है। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण वह अब तक पूर्ण नहीं हुआ। लिहाजा, 20 लाख की शहरी आबादी के साथ ही कल-कारखानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भूगर्भ जल का अतिदोहन ही किया जा रहा है। वहीं, दूषित पेयजल आपूर्ति के कारण पानी के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी नहरों के अभाव के कारण भूगर्भ जल से ही सिंचाई हो रही है तो वहीं कुंड व तालाब पाटे जाने से जल संरक्षण की दिशा में कुठाराघात हुआ है।
जल संकट का प्रभाव
 
गर्मी में तेजी से सूखेंगे हैंडपंप और कुएं
सिंचाई के लिए नसीब नहीं होगा पानी
पीने के पानी के लिए मचेगा हाहाकार
पालतू जानवरों के लिए खड़ी होगी समस्या
ऐसे होगा समाधान
रोकी जाए पानी की बर्बादी
गर्मी आने से पहले नलों की हो मरम्मत
रेन वाटर हार्वेस्टिंग की हो व्यवस्था
टपका सिंचाई का संयंत्र लगाया जाए
वाराणसी में ब्लाकवार जल स्तर मीटर में
आराजीलाइन ब्लाक 
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 16.78, मानसून बाद 10.82
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 15.42, मानसून बाद 10.79
बड़ागांव ब्लाक 
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 11.44, मानसून बाद 09.22
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 11.25, मानसून बाद 08.06
चिरईगांव ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 12.04, मानसून बाद 08.85
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 13.28, मानसून बाद 07.45
चोलापुर ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 09.00, मानसून बाद 06.00
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 09.00, मानसून बाद 06.00
हरहुआ ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 15.43, मानसून बाद 14.40
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 15.97, मानसून बाद 14.80
काशी विद्यापीठ ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 14.15, मानसून बाद 10.36
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 12.82, मानसून बाद 07.79
पिंडरा ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 14.99, मानसून बाद 12.59
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 16.49, मानसून बाद 13.29
सेवापुरी ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 12.84, मानसून बाद 08.82
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 13.11, मानसून बाद 07.23
– 916.641 मिलीमीटर-औसत वर्षा- 80 फीसद-भू-जल से सिंचाई कार्य- 85 फीसद-भू-जल से औद्योगिक कार्य- 95 फीसद-भू-जल से पेयजल कार्य
पानी बचाने का लें संकल्प
– शॉवर, स्वीमिंग पुल और बाथ टब की बजाय सामान्य रूप से नहाने से बचेगा पानी।
– वॉशिंग मशीन में कपड़ा धोने से पानी ज्यादा खर्च होता है इसलिए कम कपड़े हैं तो हाथ से धोएं।
– बर्तन धोने के लिए नल की जगह बाल्टी या टब का इस्तेमाल करके पानी बचाया जा सकता है।
– टूथ ब्रश करते समय यदि नल लगातार खुला रहता है तो एक बार में 4-5 लीटर पानी बह जाता है, इसलिए नल खुला न छोड़ें।
– कार साफ करने के लिए बाल्टी में इस्तेमाल करें, इससे हर बार आप करीब 130 लीटर पानी बचा सकते हैं। 
– बाथरूम में लीकेज से पानी बर्बाद हो जाता है, इसलिए तुरंत सुधरवा लिया जाना चाहिए।
– प्रत्येक आरओ मशीन में हर साल करीब 14 हजार लीटर पानी नष्ट होता है इस पानी का इस्तेमाल पेड़-पौधों को सींचने और गाड़ी धोने में किया जा सकता है।

विस्तार

जल संरक्षण की बात तो हर साल होती है, लेकिन इसके बावजूद साल दर साल पानी का जलस्तर घटता जा रहा है। भूगर्भ विभाग के अनुसार साल में तकरीबन एक मीटर पानी पाताल की ओर जा रहा है। 1980 से अब तक भूगर्भ जल 7 से 9 मीटर नीचे चला गया है। आने वाले दिनों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। वर्षा के बाद पानी सबसे ऊपर होता है। वर्षा शुरू होने से पहले नीचे चला जाता है। सामान्य बारिश पर पर्याप्त पानी मिल जाता है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर समेत आराजी लाइन व हरहुआ ब्लाक अतिदोहित क्षेत्र में हैं। पिंडरा ब्लाक क्रिटिकल क्षेत्र में हैं। बड़ागांव, चिरईगांव, चोलापुर, काशी विद्यापीठ व सेवापुरी ब्लाक सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में हैं।

शहरी क्षेत्र के डार्क जोन में जाने की वजह नदी आधारित सरकारी पेयजल योजनाओं का फेल होना है। बीते एक दशक में 500 करोड़ से अधिक बजट से गंगा आधारित पेयजल योजना को मूर्तरूप दिया जा रहा है। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण वह अब तक पूर्ण नहीं हुआ। लिहाजा, 20 लाख की शहरी आबादी के साथ ही कल-कारखानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भूगर्भ जल का अतिदोहन ही किया जा रहा है। वहीं, दूषित पेयजल आपूर्ति के कारण पानी के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी नहरों के अभाव के कारण भूगर्भ जल से ही सिंचाई हो रही है तो वहीं कुंड व तालाब पाटे जाने से जल संरक्षण की दिशा में कुठाराघात हुआ है।

जल संकट का प्रभाव
 

गर्मी में तेजी से सूखेंगे हैंडपंप और कुएं
सिंचाई के लिए नसीब नहीं होगा पानी
पीने के पानी के लिए मचेगा हाहाकार
पालतू जानवरों के लिए खड़ी होगी समस्या
ऐसे होगा समाधान

रोकी जाए पानी की बर्बादी
गर्मी आने से पहले नलों की हो मरम्मत
रेन वाटर हार्वेस्टिंग की हो व्यवस्था
टपका सिंचाई का संयंत्र लगाया जाए
वाराणसी में ब्लाकवार जल स्तर मीटर में

आराजीलाइन ब्लाक 
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 16.78, मानसून बाद 10.82
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 15.42, मानसून बाद 10.79
बड़ागांव ब्लाक 
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 11.44, मानसून बाद 09.22
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 11.25, मानसून बाद 08.06
चिरईगांव ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 12.04, मानसून बाद 08.85
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 13.28, मानसून बाद 07.45
चोलापुर ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 09.00, मानसून बाद 06.00
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 09.00, मानसून बाद 06.00
हरहुआ ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 15.43, मानसून बाद 14.40
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 15.97, मानसून बाद 14.80
काशी विद्यापीठ ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 14.15, मानसून बाद 10.36
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 12.82, मानसून बाद 07.79

पिंडरा ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 14.99, मानसून बाद 12.59
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 16.49, मानसून बाद 13.29
सेवापुरी ब्लाक
वर्ष 2019 : मानसून पूर्व 12.84, मानसून बाद 08.82
वर्ष 2020 : मानसून पूर्व 13.11, मानसून बाद 07.23
– 916.641 मिलीमीटर-औसत वर्षा- 80 फीसद-भू-जल से सिंचाई कार्य- 85 फीसद-भू-जल से औद्योगिक कार्य- 95 फीसद-भू-जल से पेयजल कार्य
पानी बचाने का लें संकल्प

– शॉवर, स्वीमिंग पुल और बाथ टब की बजाय सामान्य रूप से नहाने से बचेगा पानी।
– वॉशिंग मशीन में कपड़ा धोने से पानी ज्यादा खर्च होता है इसलिए कम कपड़े हैं तो हाथ से धोएं।
– बर्तन धोने के लिए नल की जगह बाल्टी या टब का इस्तेमाल करके पानी बचाया जा सकता है।
– टूथ ब्रश करते समय यदि नल लगातार खुला रहता है तो एक बार में 4-5 लीटर पानी बह जाता है, इसलिए नल खुला न छोड़ें।
– कार साफ करने के लिए बाल्टी में इस्तेमाल करें, इससे हर बार आप करीब 130 लीटर पानी बचा सकते हैं। 
– बाथरूम में लीकेज से पानी बर्बाद हो जाता है, इसलिए तुरंत सुधरवा लिया जाना चाहिए।
– प्रत्येक आरओ मशीन में हर साल करीब 14 हजार लीटर पानी नष्ट होता है इस पानी का इस्तेमाल पेड़-पौधों को सींचने और गाड़ी धोने में किया जा सकता है।

जल संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। मनरेगा से सभी ब्लाकों में पोखरे और तालाबों की खोदाई कराई गई है। इसके अलावा कुछ सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाई गई है। जहां नहीं लगे हैं वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाई जाएगी। – मधुसूदन हुल्गी, मुख्य विकास अधिकारी, वाराणसी