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साइबर ठगी का नया तरीकाः ओटीपी बताएं न बताएं.. खाता हैक और पूरी रकम गायब

ठगी का नया तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं साइबर ठग, विशेषज्ञों के पास अब तक कोई तोड़ नहींअपने शिकार को करते हैं फोन- आपका खाता हैक कर हमने निकाल ली है पूरी रकममहीने भर में ही ताबड़तोड़ वारदातें, पुलिस की सलाह- किसी हालत में न बताएं ओटीपी
केस- 1
केस- 2
बरेली। अब तक साइबर ठग किसी न किसी बहाने ओटीपी पूछकर लोगों के खाते साफ कर रहे थे लेकिन अब अब बगैर ओटीपी पूछे ही खातों में सेंध लगा रहे हैं। यही नहीं वे अपने शिकार को पहले ही फोन करके बताते हैं कि उसका खाता हैक किया जा रहा है। कुछ ही सेकेंड में खाते में बैलेंस शून्य होने का मेसेज भी मोबाइल पर आ जाता है। साइबर एक्सपर्ट भी अभी पता नहीं लगा सके हैं कि बगैर ओटीपी बताए साइबर ठग आखिर कैसे खाता हैक करने में कामयाब हो रहे हैं।साइबर पुलिस के मुताबिक ठगी का यह तरीका इसी महीने शुरू हुआ है और हाल ही में ताबड़तोड़ वारदातें हुई हैं। साइबर थाने में 15 दिनों में ही इस तरह के करीब छह मामले आ चुके हैं। साइबर ठग अपने शिकार को उसके खाते से रकम निकालने से पहले या बाद में फोन करके इसकी जानकारी भी देते हैं। साफ-साफ बताते हैं कि वे ठग हैं और उन्होंने उसका खाता हैक कर लिया है। कुछ ही पलों में जब मोबाइल पर मेसेज शून्य बैलेंस हो जाने का मेसेज पहुंचता है तब कहीं लोगों को उनकी बात पर यकीन आता है।
आपके खाते का बैलेंस शून्य है.. इस मेसेज के बाद शुरू होता है ठगों की असली खेल
मोबाइल पर खाते का बैलेंस शून्य होने का मेसेज आते ही किसी के भी होश उड़ जाते हैं। ज्यादातर लोग ठगों के आगे अपनी रकम वापस कर देने के लिए गिड़गिड़ाते हैं। यहीं से ठगी का असली खेल शुरू होता है। ठग उसे कुछ रकम वापस करने का झांसा देकर मोबाइल पर आने वाला ओटीपी बताने को कहते हैं। ओटीपी बताते ही ठगों का काम पूरा हो जाता है। खाते से निकाली गई रकम ठगों के खाते में ट्रांसफर हो जाती है।
साइबर पुलिस का दावा, ओटीपी न बताने पर खाते में वापस लौट सकती है रकम
साइबर थाने के इंस्पेक्टर अनिल कुमार के मुताबिक ठग लोगों का खाता हैक कर उसमें मौजूद रकम की एफडी बनवा लेते है। शातिरपन यह है कि यह एक ही दिन के लिए बनती है। लिहाजा उसी दिन या कुछ घंटे बाद उसकी अवधि पूरी हो जाती है। ऐसे में ठग के पास अपना खेल पूरा करने के लिए अधिकतम 12 घंटे होते हैं। वे खाताधारक से ओटीपी पूछते हैं और ओटीपी मिलते ही एफडी से रकम सीधे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। इंस्पेक्टर अनिल कुमार के मुताबिक ओटीपी न बताने प रकम ठग के खाते में नहीं जा सकती। साइबर थाने के एसआई शशांक सिंह ने बताया कि ओटीपी पता न चलने पर खाते से निकाली गई रकम बैंक की पार्किंग जेल में पड़ी रहती है। समय रहते शिकायत की जाए तो इसे वापस खाते में लाया जा सकता है।