सीएम योगी आदित्यनाथ
– फोटो : amar ujala
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प्रदेश सरकार ने वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को मंजूरी दे दी है। कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए यह प्रदेश सरकार का एक प्रभावी कदम माना जा रहा है। देश में फिलहाल पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम का प्रावधान 10 लाख या इससे ज्यादा की आबादी वाले शहर के लिए किया गया है। इसके लिए गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने वर्ष 2005 में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी थी।इससे पहले वर्ष 1983 में प्रकाशित नेशनल पुलिस कमीशन की छठी रिपोर्ट के अनुसार कमिश्नरेट सिस्टम पांच लाख या इससे ज्यादा आबादी वाले शहर में लागू करने का निर्णय लिया गया था। गौरतलब है कि पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को ब्रिटिश हुकूमत ने पुलिस एक्ट, 1861 के अस्तित्व में आने से पहले ही तत्कालीन बंबई, कलकत्ता और चेन्नई शहर में लागू कर दिया था। वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम वर्ष 1977-79 में लागू हुआ था।बनाई जाएगी एक पुलिस कोर्ट
कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 और 107/16 के तहत पाबंद किए जाने के लिए एक पुलिस कोर्ट बनेगी। इसमें पुलिस के कानून-व्यवस्था संबंधित मिले अधिकारों को अनुपालन कराने के लिए निर्णय होगा। बाकी अन्य आपराधिक मामलों के लिए अदालत में ही सुनवाई होगी।आवास सहित अन्य संसाधनों की करनी होगी व्यवस्था
लखनऊ में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ तो वहां कमिश्नर के साथ ही 11 आईपीएस तैनात किए गए थे। इसके आधार पर यह माना जा रहा है कि बनारस में थानों की संख्या कम होने के कारण लखनऊ से कम संख्या में आईपीएस तैनात किए जाएंगे। इन सभी के लिए कार्यालय, वाहन, आवास सहित अन्य संसाधनों की जल्द ही व्यवस्था करनी पड़ेगी। इसके अलावा थानेदारों, क्षेत्राधिकारियों और एडिशनल एसपी को भी कमिश्नरेट सिस्टम की आधारभूत जानकारी देकर उन्हें उनकी शक्तियों, अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में प्रशिक्षित करना होगा।खत्म हुआ पुलिस कप्तान का पद, सिर्फ ग्रामीण इलाके में एसपी
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के साथ ही जिले में पुलिस कप्तान का पद खत्म हो जाएगा। वाराणसी कमिश्नरेट में कोतवाली, आदमपुर, रामनगर, भेलूपुर, लंका, मंडुवाडीह, चेतगंज, जैतपुरा, सिगरा, कैंट, शिवपुर, सारनाथ, लालपुर-पांडेयपुर, दशाश्वमेध, चौक, लक्सा, पर्यटक और महिला थाना रहेंगे। इन 18 थानों के मुखिया पुलिस कमिश्नर होंगे। वहीं जिले के ग्रामीण इलाके के रोहनिया, जंसा, लोहता, बड़ागांव, मिर्जामुराद, कपसेठी, चौबेपुर, चोलापुर, फूलपुर और सिंधौरा थाने के मुखिया के तौर पर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधीक्षक तैनात किए जाएंगे। इस तरह से जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कानून व्यवस्था में जिलाधिकारी का दखल पूर्व की भांति यथावत रहेगा।पुलिस कमिश्नर समेत अन्य पदों पर अफसरों की तैनाती
वहीं बृहस्पतिवार को पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की मंजूरी मिलने के बाद अगले दिन शुक्रवार सुबह वाराणसी पुलिस कमिश्नर पद के लिए आईपीएस ए. सतीश गणेश के नाम की घोषणा हुई। अब तक डीआईजी/एसएसपी वाराणसी के पद पर तैनात रहे आईपीएस अमित पाठक का तबादला इसी पद पर गाजियाबाद के लिए किया गया है। वहीं, अब तक एडीजी/आईजी रेंज वाराणसी के पद पर तैनात रहे आईपीएस विजय सिंह मीना का तबादला एडीजी सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के पद पर किया गया है। इसके अलावा आईपीएस अखिलेश कुमार मीणा और अनिल सिंह को वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) के पद पर तैनात किया गया है। आईपीएस एसके भगत को वाराणसी में आईजी रेंज के पद पर तैनात किया गया है। अफसरों ने कहा- पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव महसूस करेंगे लोग
आईपीएस अमित पाठक
आईपीएस अमित पाठक ने पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की स्वीकृति को बनारस के लिए महत्वपूर्ण दिन बताया। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर बनारस के लोग आगामी दिनों में पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव महसूस करेंगे। कई कार्यों में आमजन की भागदौड़ कम होगी और उनका समय बचेगा। देश के महत्वपूर्ण महानगरों में से एक बनारस के लिए प्रदेश सरकार ने कानून व्यवस्था के लिहाज से एक बड़ी सौगात दी है।आईपीएस विजय सिंह मीना
आईपीएस विजय सिंह मीना ने कहा कि एकीकृत व्यवस्था के बहुत फायदे होते हैं। पुलिस के समय की बचत होगी और उसका लाभ आमजन को मिलेगा। प्रदेश के दो शहरों में साल भर से लागू कमिश्नरेट सिस्टम की आज सभी प्रशंसा कर रहे हैं। बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर में भी इस सिस्टम के सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे। उधर, एडीजी जोन बृज भूषण ने कहा कि कानून व्यवस्था से जुड़े ज्यादातर मामलों में स्थिति इसलिए अनियंत्रित हो जाती है क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते हैं। कमिश्नरेट सिस्टम में पुलिस निरोधात्मक कार्रवाई के लिए खुद मजिस्ट्रेट की भूमिका में होगी। निरोधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी और उनमें कानून का भय व्याप्त होगा। प्रदेश सरकार ने बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर की कानून व्यवस्था के लिए बहुत अच्छा निर्णय लिया है।लखनऊ के बाद बनारस में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के साक्षी
एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी
एडिशनल एसपी विकास चंद्र त्रिपाठी लखनऊ के बाद बनारस में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होते देखेंगे। बीते साल जनवरी महीने में जब लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ तो वह लखनऊ में एसपी पश्चिम के पद पर तैनात थे। इसी तरह अब बनारस में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो रहा है तो वह यहां एसपी सिटी के पद पर तैनात हैं। वहीं, एडिशनल एसपी दिनेश कुमार पुरी लखनऊ में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के समय एसपी क्राइम के पद पर तैनात थे। फिलहाल वह बनारस में एसपी ट्रैफिक के पद पर तैनात हैं। दोनों पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कमिश्नरेट सिस्टम के बहुत फायदे हैं और आमजन जल्द ही इसके कई अच्छे परिणाम देखेंगे।
रिटायर्ड आईपीएस अफसरों ने किया स्वागत
लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की सफलता को देखते हुए जानकारों का यह कहना है कि बनारस में भी कानून व्यवस्था और यातायात की स्थिति पहले से बेहतर होगी। इसके साथ ही महिलाओं, युवतियों और किशोरियों को पहले से ज्यादा बेहतर सुरक्षित माहौल मिलेगा। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी डॉ. चंद्रिका राय ने कहा कि बनारस प्रदेश और देश का एक महत्वपूर्ण महानगर है। यहां देश और दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। बेहतर पुलिसिंग और चुस्त-दुरुस्त कानून व्यवस्था के लिए ही यहां पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है। प्रदेश सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय का हम सभी को स्वागत करना चाहिए। हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में हमें कमिश्नरेट सिस्टम के सकारात्मक परिणाम बनारस में देखने को मिलेंगे।
रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी लालजी शुक्ला ने कहा कि कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने से शहर की कानून व्यवस्था सुदृढ़ होगी। पुलिसिंग की व्यवस्था एकीकृत हो जाएगी। न्याय दिलाने और कानून व्यवस्था का पालन कराने में पुलिस को काफी सहूलियत मिलेगी। कानून को लागू कराने में आसानी होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि जनता की परेशानी कम हो जाएगी। कमिश्नरेट सिस्टम बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर के लिए बहुत अच्छी सौगात है। इसके एक नहीं अनेक फायदे हैं। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हरीश कुमार ने कहा कि बनारस में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया जाना एक बहुत अच्छा निर्णय है। कानून व्यवस्था के लिए पुलिस अब और बेहतर तरीके से काम कर जनता को अच्छे परिणाम दे सकेगी। लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरेट सिस्टम के सुखद परिणाम देखने को मिले हैं। हम पूरे विश्वास के साथ यह कह सकते हैं कि बनारस में भी कमिश्नरेट सिस्टम के अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
प्रदेश सरकार ने वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को मंजूरी दे दी है। कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए यह प्रदेश सरकार का एक प्रभावी कदम माना जा रहा है। देश में फिलहाल पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम का प्रावधान 10 लाख या इससे ज्यादा की आबादी वाले शहर के लिए किया गया है। इसके लिए गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने वर्ष 2005 में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी थी।
इससे पहले वर्ष 1983 में प्रकाशित नेशनल पुलिस कमीशन की छठी रिपोर्ट के अनुसार कमिश्नरेट सिस्टम पांच लाख या इससे ज्यादा आबादी वाले शहर में लागू करने का निर्णय लिया गया था। गौरतलब है कि पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को ब्रिटिश हुकूमत ने पुलिस एक्ट, 1861 के अस्तित्व में आने से पहले ही तत्कालीन बंबई, कलकत्ता और चेन्नई शहर में लागू कर दिया था। वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम वर्ष 1977-79 में लागू हुआ था।
बनाई जाएगी एक पुलिस कोर्ट
कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 और 107/16 के तहत पाबंद किए जाने के लिए एक पुलिस कोर्ट बनेगी। इसमें पुलिस के कानून-व्यवस्था संबंधित मिले अधिकारों को अनुपालन कराने के लिए निर्णय होगा। बाकी अन्य आपराधिक मामलों के लिए अदालत में ही सुनवाई होगी।आवास सहित अन्य संसाधनों की करनी होगी व्यवस्था
लखनऊ में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ तो वहां कमिश्नर के साथ ही 11 आईपीएस तैनात किए गए थे। इसके आधार पर यह माना जा रहा है कि बनारस में थानों की संख्या कम होने के कारण लखनऊ से कम संख्या में आईपीएस तैनात किए जाएंगे। इन सभी के लिए कार्यालय, वाहन, आवास सहित अन्य संसाधनों की जल्द ही व्यवस्था करनी पड़ेगी। इसके अलावा थानेदारों, क्षेत्राधिकारियों और एडिशनल एसपी को भी कमिश्नरेट सिस्टम की आधारभूत जानकारी देकर उन्हें उनकी शक्तियों, अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में प्रशिक्षित करना होगा।खत्म हुआ पुलिस कप्तान का पद, सिर्फ ग्रामीण इलाके में एसपी
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के साथ ही जिले में पुलिस कप्तान का पद खत्म हो जाएगा। वाराणसी कमिश्नरेट में कोतवाली, आदमपुर, रामनगर, भेलूपुर, लंका, मंडुवाडीह, चेतगंज, जैतपुरा, सिगरा, कैंट, शिवपुर, सारनाथ, लालपुर-पांडेयपुर, दशाश्वमेध, चौक, लक्सा, पर्यटक और महिला थाना रहेंगे। इन 18 थानों के मुखिया पुलिस कमिश्नर होंगे। वहीं जिले के ग्रामीण इलाके के रोहनिया, जंसा, लोहता, बड़ागांव, मिर्जामुराद, कपसेठी, चौबेपुर, चोलापुर, फूलपुर और सिंधौरा थाने के मुखिया के तौर पर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधीक्षक तैनात किए जाएंगे। इस तरह से जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कानून व्यवस्था में जिलाधिकारी का दखल पूर्व की भांति यथावत रहेगा।पुलिस कमिश्नर समेत अन्य पदों पर अफसरों की तैनाती
वहीं बृहस्पतिवार को पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की मंजूरी मिलने के बाद अगले दिन शुक्रवार सुबह वाराणसी पुलिस कमिश्नर पद के लिए आईपीएस ए. सतीश गणेश के नाम की घोषणा हुई। अब तक डीआईजी/एसएसपी वाराणसी के पद पर तैनात रहे आईपीएस अमित पाठक का तबादला इसी पद पर गाजियाबाद के लिए किया गया है। वहीं, अब तक एडीजी/आईजी रेंज वाराणसी के पद पर तैनात रहे आईपीएस विजय सिंह मीना का तबादला एडीजी सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के पद पर किया गया है। इसके अलावा आईपीएस अखिलेश कुमार मीणा और अनिल सिंह को वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) के पद पर तैनात किया गया है। आईपीएस एसके भगत को वाराणसी में आईजी रेंज के पद पर तैनात किया गया है। अफसरों ने कहा- पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव महसूस करेंगे लोग
आईपीएस अमित पाठक
आईपीएस अमित पाठक ने पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की स्वीकृति को बनारस के लिए महत्वपूर्ण दिन बताया। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर बनारस के लोग आगामी दिनों में पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव महसूस करेंगे। कई कार्यों में आमजन की भागदौड़ कम होगी और उनका समय बचेगा। देश के महत्वपूर्ण महानगरों में से एक बनारस के लिए प्रदेश सरकार ने कानून व्यवस्था के लिहाज से एक बड़ी सौगात दी है।आईपीएस विजय सिंह मीना
आईपीएस विजय सिंह मीना ने कहा कि एकीकृत व्यवस्था के बहुत फायदे होते हैं। पुलिस के समय की बचत होगी और उसका लाभ आमजन को मिलेगा। प्रदेश के दो शहरों में साल भर से लागू कमिश्नरेट सिस्टम की आज सभी प्रशंसा कर रहे हैं। बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर में भी इस सिस्टम के सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे। उधर, एडीजी जोन बृज भूषण ने कहा कि कानून व्यवस्था से जुड़े ज्यादातर मामलों में स्थिति इसलिए अनियंत्रित हो जाती है क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते हैं। कमिश्नरेट सिस्टम में पुलिस निरोधात्मक कार्रवाई के लिए खुद मजिस्ट्रेट की भूमिका में होगी। निरोधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी और उनमें कानून का भय व्याप्त होगा। प्रदेश सरकार ने बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर की कानून व्यवस्था के लिए बहुत अच्छा निर्णय लिया है।लखनऊ के बाद बनारस में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के साक्षी
एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी
एडिशनल एसपी विकास चंद्र त्रिपाठी लखनऊ के बाद बनारस में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होते देखेंगे। बीते साल जनवरी महीने में जब लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ तो वह लखनऊ में एसपी पश्चिम के पद पर तैनात थे। इसी तरह अब बनारस में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो रहा है तो वह यहां एसपी सिटी के पद पर तैनात हैं। वहीं, एडिशनल एसपी दिनेश कुमार पुरी लखनऊ में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के समय एसपी क्राइम के पद पर तैनात थे। फिलहाल वह बनारस में एसपी ट्रैफिक के पद पर तैनात हैं। दोनों पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कमिश्नरेट सिस्टम के बहुत फायदे हैं और आमजन जल्द ही इसके कई अच्छे परिणाम देखेंगे।
रिटायर्ड आईपीएस अफसरों ने किया स्वागत
लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की सफलता को देखते हुए जानकारों का यह कहना है कि बनारस में भी कानून व्यवस्था और यातायात की स्थिति पहले से बेहतर होगी। इसके साथ ही महिलाओं, युवतियों और किशोरियों को पहले से ज्यादा बेहतर सुरक्षित माहौल मिलेगा। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी डॉ. चंद्रिका राय ने कहा कि बनारस प्रदेश और देश का एक महत्वपूर्ण महानगर है। यहां देश और दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। बेहतर पुलिसिंग और चुस्त-दुरुस्त कानून व्यवस्था के लिए ही यहां पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है। प्रदेश सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय का हम सभी को स्वागत करना चाहिए। हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में हमें कमिश्नरेट सिस्टम के सकारात्मक परिणाम बनारस में देखने को मिलेंगे।
रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी लालजी शुक्ला ने कहा कि कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने से शहर की कानून व्यवस्था सुदृढ़ होगी। पुलिसिंग की व्यवस्था एकीकृत हो जाएगी। न्याय दिलाने और कानून व्यवस्था का पालन कराने में पुलिस को काफी सहूलियत मिलेगी। कानून को लागू कराने में आसानी होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि जनता की परेशानी कम हो जाएगी। कमिश्नरेट सिस्टम बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर के लिए बहुत अच्छी सौगात है। इसके एक नहीं अनेक फायदे हैं। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हरीश कुमार ने कहा कि बनारस में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया जाना एक बहुत अच्छा निर्णय है। कानून व्यवस्था के लिए पुलिस अब और बेहतर तरीके से काम कर जनता को अच्छे परिणाम दे सकेगी। लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरेट सिस्टम के सुखद परिणाम देखने को मिले हैं। हम पूरे विश्वास के साथ यह कह सकते हैं कि बनारस में भी कमिश्नरेट सिस्टम के अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
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