Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial :- भारत के महान सपुतों को अपमानित करना गांधी परिवार के लिये खेल रहा हैे

25 May 2019

सोनिया गांधी के आवास पर मांबहन के अपमान से उठी थी जगन रेड्डी की आंधी! 2019 में पूरी हुई सौगंध

नायडू और राहुल गांधी छब्बेजी बनने निकले थे, लेकिन दुबेजी बनकर लौट

लाल बहादुर शास्त्री का पार्थिव शरीर दिल्ली की सड़क पर था। उसे देखकर ललिता शास्त्री जी विलाप कर रही थी। उन्हे संदेह था कि शास्त्री जी का शरीर नीला हो गया था, संदेह था उन्हेें जहर दिये जाने का। पर ललीता जी की दु: भरी पुकार उस समय कांग्रेस की सर्वेसर्वा इंदिरा गांधी ने अनसुनी कर दी थी।
भारत के गैर गांधी परिवार के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर का किस प्रकार से  गांधी परिवार द्वारा अपमान हुआ था यह सर्वविदित हैँ।
कांग्रेस की अध्यक्ष सेानिया गांधंी को बनाने के लिये सीताराम केसरी का गांधी परिवार के अंध भक्तों ने किस प्रकार से अपमान किया था यह पब्लिक डोमेन मे है।
उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ नये प्रांत बने अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में ,आम सहमति से शांति से।
ठीक इसके विपरीत आंध्रा का विभाजन तेलंगाना बनाकर दिग्विजय सिंह जब आंध्रा के प्रभारी थे तब किया गया उस समय किस प्रकार से जनता ने विरोध किया, यहॉ तक की इंदिरा जी और राजीव जी की प्रतिमाओं को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
इसी प्रकार से भगवा हिन्दू आतंक को येनकेनप्रकारेण प्रचारित करने के लिये यूपीए शासनकाल में किस प्रकार से वर्षों तक प्रज्ञा भारती को अपमानित ही नहीं बल्कि प्रताडि़त भी किया गया था।
इसी कडी में सोनिया गांधी के आवास पर मांबहन के अपमान से उठी थी जगन रेड्डी की आंधी! 2019 में पूरी हुई सौगंध :
जगनमोहन रेड्डी की मां और उनकी बहन जब हैदराबाद से दिल्ली स्थित सोनिया गांधी के निवास स्थल 10 जनपथ पहुंची तब उनका अभिवादन बड़ी बेरूखी से किया गया।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और आंध्र के मुख्यमंत्री वाईएसआर की हेलिकॉप्टर क्रैश में मृत्यु के बाद परिस्थितियां ऐसे बदलीं कि उनके परिवार और 10 जनपथ (सोनिया गांधी का निवास स्थल) के बीच खाई चौड़ी हो गई। दरअसल, बात वर्ष 2010 के मध्य की है। वाईएसआर की विधवा और जगन रेड्डी की मां विजयलक्ष्मी (विजयम्मा) अपनी बेटी शर्मिला रेड्डी के साथ हैदराबाद से दिल्ली स्थित सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पहुंचीं। लेकिन, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पर उनके साथ व्यवहार कुछ खास गर्मजोशी वाला नहीं था। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक सोनिया गांधी की तरफ से विजयम्मा और शर्मिला को खास तवज्जो नहीं मिली। इन्हें तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष से मिलने के लिए 10-15 मिनट का इंतजार करना पड़ा। इसके बाद जब ड्राइंग रूम में दोनों दाखिल हुईं, तब उनका सामना सोनिया गांधी के साथ हुआ। सोनिया गांधी का व्यवहार सामान्य से हटकर कुछ सख्त था।
मुलकात के चंद पल बीतते ही सोनिया ने विजयम्मा को उनके बेट जगनमोहन रेड्डी कीओदारपूÓ यात्रा स्थगित करने के लिए कहा। जगन रेड्डी उन लोगों के घर पहुंच रहे थे, जिन्होंने उनके पिता की मृत्यु के वियोग में आत्महत्याएं कर ली थीं। जगन अपनी यात्रा के बीच पड़ाव में थे और सोनिया चाहती थीं कि वह इसे तत्काल प्रभाव से रोक दें।
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक सोनिया गांधी की बात सुनकर विजयम्मा सन्न रह गईं। हालांकि, उन्होंने गांधी कोओदारपूÓ यात्रा के बारे समझाने की कोशिश कीं, मगर सोनिया अपनी कुर्सी से उठीं और उन्हें विवादित यात्रा रोकवाने को कहा। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के इस व्यवहार से आहत जगन की मां और बहन हैदराबाद लौट आए। लेकिन, इस दौरान उन्होंने अपमान का बदला लेने की कसम खा ली। रायलसीमा में एक बार वाईएसआर परिवार की तरफ से कहा भी गया, “जब रेड्डी किसी के खिलाफ कसम खा लेता है, तो उसे तब तक चैन नहीं मिलती जब तक सामने वाले को सबक सीखा दे। या तो वह अपना बदला पूरा करता है या फिर अपने आपको बर्बाद कर डालता है।
>> ङ्घस्क्रष्टक्क की जीत में अहम रही ङ्घस् विजयम्मा और शर्मिला की भूमिका, चर्चा में रहा, ‘बाय बाय बाबूÓ
>>  प्रशांत किशोर के साथ मिलकर जगन ने लिखी आंध्र में जीत की इबारत।
>> जगन रेड्डी परिवार ने २०१९ के लोकसभा चुनाव में कांगेे्रस से ही बदला नहीं लिया है बल्कि वर्तमान अपने प्रतिद्वंदी चंद्रबाबू नायडू से भी बदला लिया है।
>> राष्ट्रीय राजनीतिक नफ़ा के फेर में प्रदेश की राजनीति से भी हुए सफ़ा
नायडू और राहुल गांधी छब्बेजी बनने निकले थे, लेकिन दुबेजी बनकर लौटे :
शिवराज: न्होंने कहा, ‘नायडू का इस कहावत को पूरी तरह चरितार्थ करता है किचौबेजी छब्बेजी बनने निकले थे, लेकिन दुबेजीÓ बनकर लौटे. चौहान ने चंद्रबाबू नायडू पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, “चौबेजी छब्बेजी बनने निकले थे, लेकिन दुबेजी बनकर लौटेआपने (नायडू) राहुल गांधी की सहायता से  मोदीजी को हटाने के लिए दिनरात उठापटक की लेकिन देश की जनता के दिलों में मोदीजी बसते हैं और वहां से उन्हें कोई नहीं हटा सकता.”
हिन्दी में एक मशहूर कहावत हैना घर के रहे ना घाट केÓ, एग्जिट पोल के बाद से राष्ट्रीय राजनीति में एक्टिव मोड के साथ भाजपा के खिलाफमिशन सरकारÓ को अंजाम देने की कवायद में लगे चंद्रबाबू नायडू और राहुल गांधी पर एकदम सटीक बैठती है।